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चुनाव ड्यूटी में जान गवां चुके शिक्षक के परिजनों का आरोप, लाशों के ढेर पर चुनाव चाहती है सरकार - कोरोना संक्रमण काल में चुनाव

बिहार में होने वाले आगमी विधानसभा चुनाव की तैयारियां जैसे जैसे जोर पकड़ रही है. चुनावी ड्यूटी में लगे कर्मियों में संक्रमण और मौत की खबर आनी शुरू हो गई है.सिर्फ चुनाव की ड्यूटी में लगे ही नही बल्कि चुनावी गतिविधियों में भाग ले रहे नेताओ में भी संक्रमण के ढेरों मामले सामने आए है.

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Published : Aug 15, 2020, 11:32 AM IST

खगड़िया/मधुबनीः बिहार में कोरोना संक्रमण के बीच चुनाव संपन्न कराने की प्रबल संभावनाएं है. चुनाव को लेकर चुनाव आयोग अधिकारियों और अलग-अलग विभाग के कर्मचारियों को ट्रेनिंग दिलवा रहा है. हालांकि, चुनाव को लेकर ट्रेनिंग के दौरान शिक्षकों के कोरोना संक्रमण से मौत होने पर सवाल खड़े होने लगे हैं. शिक्षकों की मौत पर परिजनों ने नाराजगी जताई है. वहीं, विधानसभा चुनाव टालने की मांग की है.

खगड़िया के प्रख्यात साहित्यकार और प्रधानाध्यापक कैलाश किंकर की कोरोना संक्रमण से मौत हो गई. वे विधानसभा चुनाव के लिए मास्टर ट्रेनर थे. चुनावी ड्यूटी के दौरान हैदराबाद से आए इंजीनियर के संपर्क में आने से कैलाश झा की कोरोना संक्रमण से मौत हो गई. दिवंगत शिक्षक की पत्नी संध्या कुमारी ने बताया कि उनके पति 4 महीने तक घर से नहीं निकले. अचानक उनकी ड्यूटी चुनाव को लेकर लगाई गई. जहां, कोरोना पॉजिटिव होने से उनकी मृत्यु हो गई. उन्होंने कहा कि इस हालात में सरकार को फिलहाल चुनाव टाल देना चाहिए. वहीं, उनके छोटे बेटे सुमन शेखर ने बताया कि दूसरे देश में चुनाव होने के साथ सुविधाएं भी है जो अपने देश में नहीं उपलब्ध है.

खगड़िया से ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

दिवंगत शिक्षक के परिजनों की सरकार को सलाह

कैलाश झा के पुत्र ने आरोप लगाया कि सरकार के पास व्यवस्था रहती तो उनके पिता की मृत्य नहीं होती.अगर इस हालात में हजारों की संख्या में जनता वोट देने बूथ पर जाएगी तो भीड़ एकत्रित होगी. बिहार सरकार कितने लोगों को बचा पाएगी. ऐसे में सरकार जनता के लाशों के ढेर पर सरकार चुनी जाएगी. बता दें कि कैलाश झा किंकर बिहार के जाने माने साहित्यकार थे. उन्होंने हिंदी व अंगिका भाषा में करीब 20 किताब लिखी है. जबकि 6 सौ से ज्यादा लोगों को साहित्यकार की दुनिया में ला चुके हैं. कैलाश झा किंकर बिहार रत्न व बिहार गौरव थे. इन्हें 2005 में बिहार रत्न से सम्मानित किया गया था.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

मधुबनी में चुनाव ड्यूटी में तैनात शिक्षक की कोरोना से मौत

दूसरी तरफ मधुबनी ईवीएम कोषांग में प्रतिनियुक्त रहिका प्रखंड स्थित राजकीय मध्य विद्यालय सौराठ के शिक्षक मोहम्मद अजीम की भी कोरोना ने जान ले ली. संक्रमण की वजह से डीएमसीएच 30 जुलाई को उनकी मौत हो गई. जानकारी के मुताबिक 28 जुलाई को ड्यूटीके दौरान ही वह बेहोश होकर गिर पड़े थे. उनकी मौत से शिक्षक काफी डरे हुए हैं. वहीं चुनाव ड्यूटी से कतरा रहे हैं. दिवंगत शिक्षक की पत्नी ने सरकार से मुआवजा और परिवार के सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की है.

madhubani
शिक्षक मोहम्मद अजीम की पत्नी

शिक्षकों से जबरन काम करा रही सरकार

पत्नी अमिना खातून का आरोप है कि अब तक उनके परिवार को कोई भी मदद नहीं मिली है. मोहम्मद अजीम के साथ ड्यूटी कर रहे शिक्षक रविंद्र मिश्रा का कहना है कि सरकार लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर जबरन चुनाव कराना चाहती है. शिक्षकों से से जबरदस्ती डयूटी कराई जा रही है.

खगड़िया/मधुबनीः बिहार में कोरोना संक्रमण के बीच चुनाव संपन्न कराने की प्रबल संभावनाएं है. चुनाव को लेकर चुनाव आयोग अधिकारियों और अलग-अलग विभाग के कर्मचारियों को ट्रेनिंग दिलवा रहा है. हालांकि, चुनाव को लेकर ट्रेनिंग के दौरान शिक्षकों के कोरोना संक्रमण से मौत होने पर सवाल खड़े होने लगे हैं. शिक्षकों की मौत पर परिजनों ने नाराजगी जताई है. वहीं, विधानसभा चुनाव टालने की मांग की है.

खगड़िया के प्रख्यात साहित्यकार और प्रधानाध्यापक कैलाश किंकर की कोरोना संक्रमण से मौत हो गई. वे विधानसभा चुनाव के लिए मास्टर ट्रेनर थे. चुनावी ड्यूटी के दौरान हैदराबाद से आए इंजीनियर के संपर्क में आने से कैलाश झा की कोरोना संक्रमण से मौत हो गई. दिवंगत शिक्षक की पत्नी संध्या कुमारी ने बताया कि उनके पति 4 महीने तक घर से नहीं निकले. अचानक उनकी ड्यूटी चुनाव को लेकर लगाई गई. जहां, कोरोना पॉजिटिव होने से उनकी मृत्यु हो गई. उन्होंने कहा कि इस हालात में सरकार को फिलहाल चुनाव टाल देना चाहिए. वहीं, उनके छोटे बेटे सुमन शेखर ने बताया कि दूसरे देश में चुनाव होने के साथ सुविधाएं भी है जो अपने देश में नहीं उपलब्ध है.

खगड़िया से ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

दिवंगत शिक्षक के परिजनों की सरकार को सलाह

कैलाश झा के पुत्र ने आरोप लगाया कि सरकार के पास व्यवस्था रहती तो उनके पिता की मृत्य नहीं होती.अगर इस हालात में हजारों की संख्या में जनता वोट देने बूथ पर जाएगी तो भीड़ एकत्रित होगी. बिहार सरकार कितने लोगों को बचा पाएगी. ऐसे में सरकार जनता के लाशों के ढेर पर सरकार चुनी जाएगी. बता दें कि कैलाश झा किंकर बिहार के जाने माने साहित्यकार थे. उन्होंने हिंदी व अंगिका भाषा में करीब 20 किताब लिखी है. जबकि 6 सौ से ज्यादा लोगों को साहित्यकार की दुनिया में ला चुके हैं. कैलाश झा किंकर बिहार रत्न व बिहार गौरव थे. इन्हें 2005 में बिहार रत्न से सम्मानित किया गया था.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

मधुबनी में चुनाव ड्यूटी में तैनात शिक्षक की कोरोना से मौत

दूसरी तरफ मधुबनी ईवीएम कोषांग में प्रतिनियुक्त रहिका प्रखंड स्थित राजकीय मध्य विद्यालय सौराठ के शिक्षक मोहम्मद अजीम की भी कोरोना ने जान ले ली. संक्रमण की वजह से डीएमसीएच 30 जुलाई को उनकी मौत हो गई. जानकारी के मुताबिक 28 जुलाई को ड्यूटीके दौरान ही वह बेहोश होकर गिर पड़े थे. उनकी मौत से शिक्षक काफी डरे हुए हैं. वहीं चुनाव ड्यूटी से कतरा रहे हैं. दिवंगत शिक्षक की पत्नी ने सरकार से मुआवजा और परिवार के सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की है.

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शिक्षक मोहम्मद अजीम की पत्नी

शिक्षकों से जबरन काम करा रही सरकार

पत्नी अमिना खातून का आरोप है कि अब तक उनके परिवार को कोई भी मदद नहीं मिली है. मोहम्मद अजीम के साथ ड्यूटी कर रहे शिक्षक रविंद्र मिश्रा का कहना है कि सरकार लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर जबरन चुनाव कराना चाहती है. शिक्षकों से से जबरदस्ती डयूटी कराई जा रही है.

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