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खगड़िया: डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा अस्पताल, निजी क्लिनिकों की तरफ रुख कर रहे मरीज

ग्रामीण बताते हैं कि इस स्वास्थ्य केंद्र में सिर्फ एक ही डॉक्टर नियुक्त हैं. वह भी सप्ताह में तीन ही दिन आते हैं. ऐसे में लोगों को इलाज कराने में काफी समस्या होती है.

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Published : Aug 28, 2019, 2:58 AM IST

अस्पताल

खगड़िया: बिहार सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने की बात कर लें. लेकिन, इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है. जिले के चौथम प्रखंड के स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों की भारी कमी है. मरीजों को यहां दर- दर भटकना पड़ रहा है. अस्पताल में डॉक्टरों के नहीं होने मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

khagaria
दिनेश कुमार निर्मल सिविल सर्जन

क्या कहते हैं ग्रामीण ?
ग्रामीण बताते हैं कि इस स्वास्थ्य केंद्र में सिर्फ एक ही डॉक्टर नियुक्त हैं. वह भी सप्ताह में तीन ही दिन आते हैं. ऐसे में लोगों को इलाज कराने में काफी समस्या होती है. यहां तक इस स्वास्थ्य केंद्र में एनएम की भी दर्शन नहीं होता है. मरीजों का कहना है कि यहां की स्थिति काफी बदत्तर है. डॉक्टर के नहीं होने के कारण मरीजों को निजी क्लिनिक की ओर रुख करना पड़ता है.

सफाई से दूर अस्पताल
यहां गर्भवती महिलाओं को गंदे चादर पर दिन गुजानरा पड़ता है. उन्होंने कहा कि रुटीन के अनुसार यहां मरीजों को भोजन तक नहीं मिलता है. जहां तक बात साफ-सफाई की करें, तो यह कहना कहीं से नहीं गलत होगा कि यहां इस मामले में सफाई कोसों दूर है.

देखिए खास रिपोर्ट

क्या बेले सिविल सर्जन ?
इस संबंध में अस्पताल के सिविल सर्जन दिनेश कुमार निर्मल ने बताया कि डॉक्टरों की कमी से पूरा अस्पताल जूझ रहा है. पूरे बिहार में डॉक्टर की भारी कमी है. फिर भी अगर अस्पताल प्रशासन की तरफ से कोई गड़बरी पाई गई तो उसपर कार्रवाई जरुर की जाएगी.

खगड़िया: बिहार सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने की बात कर लें. लेकिन, इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है. जिले के चौथम प्रखंड के स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों की भारी कमी है. मरीजों को यहां दर- दर भटकना पड़ रहा है. अस्पताल में डॉक्टरों के नहीं होने मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

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दिनेश कुमार निर्मल सिविल सर्जन

क्या कहते हैं ग्रामीण ?
ग्रामीण बताते हैं कि इस स्वास्थ्य केंद्र में सिर्फ एक ही डॉक्टर नियुक्त हैं. वह भी सप्ताह में तीन ही दिन आते हैं. ऐसे में लोगों को इलाज कराने में काफी समस्या होती है. यहां तक इस स्वास्थ्य केंद्र में एनएम की भी दर्शन नहीं होता है. मरीजों का कहना है कि यहां की स्थिति काफी बदत्तर है. डॉक्टर के नहीं होने के कारण मरीजों को निजी क्लिनिक की ओर रुख करना पड़ता है.

सफाई से दूर अस्पताल
यहां गर्भवती महिलाओं को गंदे चादर पर दिन गुजानरा पड़ता है. उन्होंने कहा कि रुटीन के अनुसार यहां मरीजों को भोजन तक नहीं मिलता है. जहां तक बात साफ-सफाई की करें, तो यह कहना कहीं से नहीं गलत होगा कि यहां इस मामले में सफाई कोसों दूर है.

देखिए खास रिपोर्ट

क्या बेले सिविल सर्जन ?
इस संबंध में अस्पताल के सिविल सर्जन दिनेश कुमार निर्मल ने बताया कि डॉक्टरों की कमी से पूरा अस्पताल जूझ रहा है. पूरे बिहार में डॉक्टर की भारी कमी है. फिर भी अगर अस्पताल प्रशासन की तरफ से कोई गड़बरी पाई गई तो उसपर कार्रवाई जरुर की जाएगी.

Intro:खगडिया में विभागों की बात करे तो ऐसा कोई विभाग नही है जो अपने कर्तव्यो को निष्ठा से अच्छे से निभाता हो लगतार ऐसी खबर निकल कर जिले से आती है


Body:खगडिया में विभागों की बात करे तो ऐसा कोई विभाग नही है जो अपने कर्तव्यो को निष्ठा से अच्छे से निभाता हो लगतार ऐसी खबर निकल कर जिले से आती है जो खगड़िया प्रसाशन पर उंगली उठाने के लिए काफी होते है। शिक्षा व्यवस्था की बात करे या स्वास्थ्य विभाग की बात करे आप किसी भी विभाग को उठा कर खंगाल ले हर जगह आप को नकामी दर्शन पहले होगी।
आज हम फिर से एक विफल विभागों में से एक स्वास्थ्य विभाग की खबर को ले कर आये है आप के पास ये एक अस्पताल से जुड़ा हुआ खबर है जो खगड़िया के चौथम प्रखंड में पड़ने वाला चौथम गांव के अस्पताल का है
यंहा हाल कुछ ऐसा है कि यंहा मरीज तो अस्पताल आते है किसी ना किसी बीमारी से छुटकारा पाने के लिए लेकिन यंहा नियुक्त डॉक्टर कभी दर्शन नही देते। ग्रामीण बताते है कि एक ऐसे डॉक्टर की नियुक्ति है जिनको सप्ताह में तीन दिन आना होता है और एक एन एम है जिनको रोज आना होता है लेकिन डॉक्टर तो छोड़िए एन एम भी नही आती। अस्पताल को लाखो रुपया लगा भव्य तरीके से बनाया गया हर तरह की सुविधा दी गई है लेकिन इन सभी सुविधाओ को संचालित करने वाला कोई नही है।गर्भवती महिलाओं को गंदे चादर पर ही दिन काटना पड़ता है रूटीन में लिखे हुआ न नास्ता मिलता है ना खाना। मरीज आते है और निरसा लिए हाथ मे अस्पताल से लौट जाते है मजबूरन उनको निजी क्लिनिक की तरफ रुख करना पड़ता है और सरकार के दिये हुए सुविधा के बावजूद हजारो रुपया खर्च करना पड़ता है निजी क्लिनिक में।खगड़िया सिविल सर्जन दिनेश कुमार निर्मल का कहना है कि ऐसा डॉक्टर की कमी के वजह से हो रहा है और ये कमी पूरे बिहार में है । हम इस विषय पर जांच करवाते है और नियुक्त डॉक्टर गलत पाय जाते है तो कार्यवाई जरूर करेंगे।



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