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खगड़िया के कमला नदी पर पुल नहीं, जान जोखिम में डालकर नाव पर सवार होते हैं लोग

कमला नदी में पुल नहीं होने के कारण ग्रामीण नांव की मदद से अपना काम चला रहे हैं. ऐसे में हर वक्त लोगों को जान का डर बना रहता है. ऐसे में हर वक्त लोगों को जान का डर बना रहता है.

ग्रामीण
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Published : Jun 11, 2019, 10:56 AM IST

खगड़िया: जिले में लोगों को नदी पार करने को लिए जान हथेली पर लेकर निकलना पड़ रहा है. मामला सुगरकोल घाट स्थित कमला नदी का है. यहां लोगों को नदी पार करने के लिए एक भी पुल नहीं है. जिससे ग्रामीणों को नांव के सहारे काम चलाना पड़ता है. हर वक्त लोगों को मौत का डर बना रहता है.

वाहन आ रहे नांव पर

दरअसल, कमला नदी में पुल नहीं होने के कारण ग्रामीण नांव की मदद से अपना काम चला रहे हैं. ऐसे में हर वक्त लोगों को जान का डर बना रहता है. लाखों की आबादी वाला यह गांव सरकार की उदासीनता का शिकार हो गया है. ग्रामीण अपने दो पहिया वाहन भी नाव पर ही रखकर लाते हैं.

ईटीवी भारत संवाददाता

सरकार की अनदेखी
ग्रामीणों का कहना है कि नाव से नदी को पार करने के लिए पुल नहीं है. यहां कभी कोई अधिकारी सुध लेने तक नहीं आया है. इमरजेंसी की हालत में और भी ज्यादा समस्या होती है. आए दिन नाव पलटने की खबरें आती रहती हैं. नाव वाला भी जरूरत से ज्यादा लोगों को ले जाता है. उन्होंने कहा कि सरकार भी लोगों पर ध्यान नहीं दे रही है.

पुल बनाने के लिए DPR तैयार
जिलाधिकारी अनिरुद्ध ने बताया कि सुगरकोल घाट पर पुल बनाने के लिए डीपीआर तैयार कर लिया गया है. इसका प्रस्ताव भी सरकार को भेज दिया गया है. कुछ कारणों से देरी हुई थी. लेकिन, बहुत जल्द ही इस पर काम शुरू कर दिया जाएएा.

खगड़िया: जिले में लोगों को नदी पार करने को लिए जान हथेली पर लेकर निकलना पड़ रहा है. मामला सुगरकोल घाट स्थित कमला नदी का है. यहां लोगों को नदी पार करने के लिए एक भी पुल नहीं है. जिससे ग्रामीणों को नांव के सहारे काम चलाना पड़ता है. हर वक्त लोगों को मौत का डर बना रहता है.

वाहन आ रहे नांव पर

दरअसल, कमला नदी में पुल नहीं होने के कारण ग्रामीण नांव की मदद से अपना काम चला रहे हैं. ऐसे में हर वक्त लोगों को जान का डर बना रहता है. लाखों की आबादी वाला यह गांव सरकार की उदासीनता का शिकार हो गया है. ग्रामीण अपने दो पहिया वाहन भी नाव पर ही रखकर लाते हैं.

ईटीवी भारत संवाददाता

सरकार की अनदेखी
ग्रामीणों का कहना है कि नाव से नदी को पार करने के लिए पुल नहीं है. यहां कभी कोई अधिकारी सुध लेने तक नहीं आया है. इमरजेंसी की हालत में और भी ज्यादा समस्या होती है. आए दिन नाव पलटने की खबरें आती रहती हैं. नाव वाला भी जरूरत से ज्यादा लोगों को ले जाता है. उन्होंने कहा कि सरकार भी लोगों पर ध्यान नहीं दे रही है.

पुल बनाने के लिए DPR तैयार
जिलाधिकारी अनिरुद्ध ने बताया कि सुगरकोल घाट पर पुल बनाने के लिए डीपीआर तैयार कर लिया गया है. इसका प्रस्ताव भी सरकार को भेज दिया गया है. कुछ कारणों से देरी हुई थी. लेकिन, बहुत जल्द ही इस पर काम शुरू कर दिया जाएएा.

Intro:अगर खगड़िया जिले के लोग खुद को आज भी गुलाम कहते है तो गलत नही कहते।आज एक तरफ जंहा दुनिया चांद पर जा रही है भारत अपने आप को विकशित देश की श्रेणी में खड़ा करना चाहता है वही बिहार के खगड़िया जिला में नदी पार करने के लिए सिर्फ एक नाव का सहारा रहता है।


Body:अगर खगड़िया जिले के लोग खुद को आज भी गुलाम कहते है तो गलत नही कहते।आज एक तरफ जंहा दुनिया चांद पर जा रही है भारत अपने आप को विकशित देश की श्रेणी में खड़ा करना चाहता है वही बिहार के खगड़िया जिला में नदी पार करने के लिए सिर्फ एक नाव का सहारा रहता है।आप को बता दे कि जिले के सुगरकोल घाट पर कमला नदी है और वहां सुगरकोल घाट है जिसके पार में 6 पंचायत की लगभग एक लाख की आबादी बस्ती है।लेकिन फिर भी आज तक उस घाट पर एक पूल नही बन सका।लोग दो नाव को जोड़ कर उस पर अपने वाहन 2 पहिया या 4 पहिया वाहनों को लाद कर आते जाते है।चाहे बच्चे को स्कूल ही क्यों ना जाना हो ग्रामीण या कोई सरकारी कर्मचारी को कार्यालय ही क्यों ना आना हो सभी एक नाव के सहारे है। नाव उस तरफ रहती है तो इस तरफ के लोग इन्तेजार में रहते है नाव उस एक खेफ मे उस पार जाती है फिर उस पार के लोग को इस पार लाती है।अस्थनीय राहगीर का कहना है कि घण्टो लग जाता है सिर्फ 500 मीटर के नदी को पार करने में यंहा जब भी पर करते है हमलोग हमेसा जान का डर बना रहता है कभी नावों के जोड़ टूट जाता है तो कभी नाव डूब जाती है इतने बड़े जोखिम को देखने वाला कोई नही है।हमारे लिए कोई प्रसाशन कोई और कोई सरकार नही है।
वही इस मामले में जिला अधिकारी अनिरुद्ध कुमार का कहना है कि उस घाट पर पूल के लिए डीपीआर तैयार हो चुका है और चुनाव के बाद उम्मीद है काम शुरू हो जायेगा


Conclusion:
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