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खगड़िया: डॉक्टर की किल्लत झेल रहे सरकारी अस्पताल में मरीजों का बुरा हाल

परबत्ता के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के प्रभारी चिकित्सक ने बताया कि अस्पताल में डॉक्टरों की कमी के बारे में वे कई बार सिविल सर्जन को लिख चुके हैं, लेकिन डॉक्टरों की नियुक्ति का उन्हें पता नहीं. ऐसे में डॉक्टरों की कमी के वजह से काफी परेशानियां होती हैं.

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Published : Oct 21, 2019, 11:36 PM IST

परबत्ता प्रखंड का प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र

खगड़िया: जिले के परबत्ता प्रखंड के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की हालत जर्जर है. यहां पर डॉक्टरों की घोर कमी है. लोगों को इलाज करवाने के लिए अस्पताल में घंटों इंतजार करना पड़ता है. खासकर गर्भवती महिलाओं को इसके कारण खासी दिक्कत झेलनी पड़ती है. ऐसे में मरीजों को निजी क्लिनिक का रुख करना पड़ता है.

गर्भवती महिलाओं को नहीं मिलता खाना
जानकारी के मुताबिक अस्पताल में मरीज तो आते हैं, लेकिन डॉक्टर नहीं रहते. वहीं, कुछ महिलाओं का कहना हैं कि प्रसव के बाद उन्हें वॉर्ड से बाहर बैठा दिया जाता है और कहा जाता है कि एम्बुलेंस अभी दूसरे इलाके में मरीज को छोड़ने गई है. जब आएगी तो उन्हें लेकर जाएगी. ऐसे में प्रसव के बाद महिलाएं नवजात को लेकर अस्पताल के बाहर पड़ी रहती है. इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि गर्भवती महिलाओं को न तो नाश्ता दिया जाता है, न ही खाना.

परबत्ता के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में है डॉक्टरों की कमी

'डॉक्टरों की कमी की वजह से होती है परेशानी'
लाखों रुपये की लागत से परबत्ता के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को बनाया गया है. साथ ही इसमें हर तरह की सुविधा दी गई है. लेकिन इन सभी सुविधाओं को अस्पताल में संचालित करने वाला कोई नहीं है. ईटीवी भारत ने जब अस्पताल के प्रभारी चिकित्सक से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि एम्बुलेंस की कमी के वजह से लोगों को इंतजार करना पड़ता है.

डॉक्टरों की कमी पर उन्होंने कहा कि पूरे जिले में यही हाल है. ऐसे में इसके बारे में वे कई बार सिविल सर्जन को लिख चुके हैं, लेकिन डॉक्टरों की नियुक्ति का उन्हें पता नहीं. उन्होंने बताया कि डॉक्टरों की कमी की वजह से काफी परेशानियां होती हैं.

खगड़िया: जिले के परबत्ता प्रखंड के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की हालत जर्जर है. यहां पर डॉक्टरों की घोर कमी है. लोगों को इलाज करवाने के लिए अस्पताल में घंटों इंतजार करना पड़ता है. खासकर गर्भवती महिलाओं को इसके कारण खासी दिक्कत झेलनी पड़ती है. ऐसे में मरीजों को निजी क्लिनिक का रुख करना पड़ता है.

गर्भवती महिलाओं को नहीं मिलता खाना
जानकारी के मुताबिक अस्पताल में मरीज तो आते हैं, लेकिन डॉक्टर नहीं रहते. वहीं, कुछ महिलाओं का कहना हैं कि प्रसव के बाद उन्हें वॉर्ड से बाहर बैठा दिया जाता है और कहा जाता है कि एम्बुलेंस अभी दूसरे इलाके में मरीज को छोड़ने गई है. जब आएगी तो उन्हें लेकर जाएगी. ऐसे में प्रसव के बाद महिलाएं नवजात को लेकर अस्पताल के बाहर पड़ी रहती है. इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि गर्भवती महिलाओं को न तो नाश्ता दिया जाता है, न ही खाना.

परबत्ता के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में है डॉक्टरों की कमी

'डॉक्टरों की कमी की वजह से होती है परेशानी'
लाखों रुपये की लागत से परबत्ता के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को बनाया गया है. साथ ही इसमें हर तरह की सुविधा दी गई है. लेकिन इन सभी सुविधाओं को अस्पताल में संचालित करने वाला कोई नहीं है. ईटीवी भारत ने जब अस्पताल के प्रभारी चिकित्सक से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि एम्बुलेंस की कमी के वजह से लोगों को इंतजार करना पड़ता है.

डॉक्टरों की कमी पर उन्होंने कहा कि पूरे जिले में यही हाल है. ऐसे में इसके बारे में वे कई बार सिविल सर्जन को लिख चुके हैं, लेकिन डॉक्टरों की नियुक्ति का उन्हें पता नहीं. उन्होंने बताया कि डॉक्टरों की कमी की वजह से काफी परेशानियां होती हैं.

Intro:आज हम फिर से एक विफल विभागों में से एक स्वास्थ्य विभाग की खबर को ले कर आये है आप के पास ये एक अस्पताल से जुड़ा हुआ खबर है


Body:ख निकल कर जिले से आती है जो खगड़िया प्रसाशन पर उंगली उठाने के लिए काफी होते है। शिक्षा व्यवस्था की बात करे या स्वास्थ्य विभाग की बात करे आप किसी भी विभाग को उठा कर खंगाल ले हर जगह आप को नकामी दर्शन पहले होगी।
आज हम फिर से एक विफल विभागों में से एक स्वास्थ्य विभाग की खबर को ले कर आये है आप के पास ये एक अस्पताल से जुड़ा हुआ खबर है जो खगड़िया के परबत्ता प्रखंड में पड़ने वाला परबत्ता अस्पताल का है
यंहा हाल कुछ ऐसा है कि यंहा मरीज तो अस्पताल आते है किसी ना किसी बीमारी से छुटकारा पाने के लिए लेकिन यंहा डॉक्टरों की कमी के वजह से घण्टो इंतेजार करना पड़ता है।यही नही प्रसव्व के लिए आय महिला को प्रसव करने के बाद अस्पताल के वार्ड से बाहर बैठा दिया जाता है और कहा जाता है कि एम्बुलेंस अभी दूसरे इलाके में मरीज को छोड़ने गई है आएगी तो आप को ले कर जायगी। वैसे में घण्टो पहले धरती पर आय नवजात को ले कर महिला अस्पताल के बाहर ऐसे ही पड़ी रहती है। और ये एक दिन की बात नही बल्कि हर दिन का यंहा यही हाल है।अस्पताल को लाखो रुपया लगा भव्य तरीके से बनाया गया हर तरह की सुविधा दी गई है लेकिन इन सभी सुविधाओ को संचालित करने वाला कोई नही है।गर्भवती महिलाओं को गंदे चादर पर ही दिन काटना पड़ता है रूटीन में लिखे हुआ न नास्ता मिलता है ना खाना। मरीज आते है और निरसा लिए हाथ मे अस्पताल से लौट जाते है मजबूरन उनको निजी क्लिनिक की तरफ रुख करना पड़ता है और सरकार के दिये हुए सुविधा के बावजूद हजारो रुपया खर्च करना पड़ता है निजी क्लिनिक में।परबत्ता अस्पताल के प्रभारी चिकित्सक से जब ये सवाल पूछा गया कि प्रसव वाली महिलायें बाहर क्यों लेती रहती है तो डॉक्टर साहब का कहना है कि एम्बुलेंस की कमी के वजह से उन्हें इंतेजार करना पड़ता है।वंही डॉक्टरों की कमी के बारे में कहा कि पूरे जिला में यंही हाल है काई बार सिविल सर्जन को लिख कर दिए है देखिए कब डॉक्टरों की नियुक्ति होती है।हालांकि प्रभारी डॉक्टर ने भी ये बात कबूली की डॉक्टरों की कमी के वजह से सभी को परेशानी होती है चाहे वो ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर हो या इलाज कराने आय मरीज।


Conclusion:
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