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खगड़ियाः पुदीना की खेती को युवा किसानों ने बनाया कमाई का नया जरिया, हो रहा दोगुना फायदा - मक्का प्रधान जिला

मेंथा एक औषधीय पौधा माना जाता है. किसान के मुताबिक इसका इस्तेमाल टूथपेस्ट, पान मसाला, बाथ शॉप, डिटर्जेंट पाउडर, आयुर्वेदिक दवाओं और कुछ एलोपैथिक दवाओं में इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा मेंथा आयल के कचरे से फिनाइल भी बनाया जाता है.

-khagaria
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Published : Jun 13, 2020, 3:09 PM IST

खगड़ियाः जिले का किसानों का एक बड़ा युवा तबका मेंथा (पुदीना) की खेती कर रहा है. मेंथा की खेती को मनी क्रॉप के नाम से भी जाना जाता है. मेंथा को मनी क्रॉप इसलिए नाम दिया गया है, क्योंकि किसान और जानकार कहते हैं कि मेंथा की खेती सीधे रुपया देती है. इसमें जितना लागत होता है, उसका दोगुना पैसा आराम से मुनाफा के रूप में मिल जाता है.

farming
पुदीना की खेती

बता दें कि खगड़िया यूं तो मक्का प्रधान जिला है. मक्के की खेती यहां ज्यादा होती है. लेकिन अब यहां के युवा किसान परंपरागत खेती को छोड़ नई खेती का प्रयोग कर रहे हैं और उसमें सफलता भी पा रहे हैं. जिले में ऐसे तो हर तरफ मेंथा की खेती थोड़े-थोड़े हिस्सों में हुई है. लेकिन अलौली और खगड़िया प्रखंड में ज्यादातर किसान इस बार इसमें भाग्य आजमा रहे हैं.

पेश है खास रिपोर्ट

जागरूक हुए हैं किसान
जो किसान पिछले बार मेंथा की खेती किए थे, उनको देख कर उनके जानने वाले इस बार मेंथा की खेती किए हैं. वहीं जो किसान पिछली बार किए थे, वो इस बार और ज्यादा खेती कर रहे हैं. खास कर युवा किसान मेंथा की खेती की ओर ज्यादा आकर्षित दिखाई दे रहे हैं, क्योंकि इसमें कम लागत में बहुत ज्यादा मुनाफा हो रहा है.

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पुदीने का पेड़

खेती और उसकी प्रक्रिया
मेंथा की खेती धान की फसल के कटाई के बाद खाली पड़ी जमीन में की जाती है. मेंथा रोपाई का उपयुक्त समय फरवरी से अप्रैल और जून माह तक होता है. पौधे को रोपाई के ठीक 90 दिन के बाद कटाई ली जाती है, फिर तेल निकालने की प्रक्रिया शुरु की जाती है. खगड़िया के ज्यादातर किसान पौधे से तेल निकालने के लिए खुद की जमीन के पास बॉयलर मशीन बैठा लिए है. मेंथा का पौधा टमाटर के पौधे की तरह 2 से 2.5 फिट ऊंचा होता है. इसके पौधे का रंग हरा होता है, जबकि तेल का रंग हल्का पीला यानी सोयाबीन के तेल की तरह होता है.

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तेल निकालते किसान

औषधिय पौधा माना जाता है पुदीना
मेंथा एक औषधीय पौधा माना जाता है किसान के मुताबिक इसका इस्तेमाल टूथपेस्ट, पान मसाला, बाथ शॉप, डिटर्जेंट पाउडर, आयुर्वेदिक दवाओं और कुछ एलोपैथिक दवाओं में इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा मेंथा ऑयल के कचरे से फिनाइल भी बनाया जाता है.

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पुदीने का तेल निकालने वाला मशीन

कैसे होता है मुनाफा
किसान कहते हैं कि एक एकड़ में कि गई मेंथा की खेती में औसतन 50 से 60 लीटर तेल निकलते हैं. किसान के मुताबिक मेंथा ऑयल निकालने में मेहनत लगती है. इस लिहाज से उन्हें उतना मुनाफा मिल जाता है. लेकिन स्थानीय स्तर पर खरीदार नहीं होने के वजह से बिक्री के लिए बेगूसराय जाना पड़ता है. वे कहते हैं एक लीटर पिपरमेंट तेल की कीमत बेगूसराय में हजार रुपया दी जाती है, जबकि इसकी कीमत 15 सौ रुपया प्रति लीटर से कहीं कम नहीं है. लेकिन खरीदार किसानों के मजबूरी का फायदा उठा कर मनमाने तरीके से पैसा देते है.

खगड़ियाः जिले का किसानों का एक बड़ा युवा तबका मेंथा (पुदीना) की खेती कर रहा है. मेंथा की खेती को मनी क्रॉप के नाम से भी जाना जाता है. मेंथा को मनी क्रॉप इसलिए नाम दिया गया है, क्योंकि किसान और जानकार कहते हैं कि मेंथा की खेती सीधे रुपया देती है. इसमें जितना लागत होता है, उसका दोगुना पैसा आराम से मुनाफा के रूप में मिल जाता है.

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पुदीना की खेती

बता दें कि खगड़िया यूं तो मक्का प्रधान जिला है. मक्के की खेती यहां ज्यादा होती है. लेकिन अब यहां के युवा किसान परंपरागत खेती को छोड़ नई खेती का प्रयोग कर रहे हैं और उसमें सफलता भी पा रहे हैं. जिले में ऐसे तो हर तरफ मेंथा की खेती थोड़े-थोड़े हिस्सों में हुई है. लेकिन अलौली और खगड़िया प्रखंड में ज्यादातर किसान इस बार इसमें भाग्य आजमा रहे हैं.

पेश है खास रिपोर्ट

जागरूक हुए हैं किसान
जो किसान पिछले बार मेंथा की खेती किए थे, उनको देख कर उनके जानने वाले इस बार मेंथा की खेती किए हैं. वहीं जो किसान पिछली बार किए थे, वो इस बार और ज्यादा खेती कर रहे हैं. खास कर युवा किसान मेंथा की खेती की ओर ज्यादा आकर्षित दिखाई दे रहे हैं, क्योंकि इसमें कम लागत में बहुत ज्यादा मुनाफा हो रहा है.

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पुदीने का पेड़

खेती और उसकी प्रक्रिया
मेंथा की खेती धान की फसल के कटाई के बाद खाली पड़ी जमीन में की जाती है. मेंथा रोपाई का उपयुक्त समय फरवरी से अप्रैल और जून माह तक होता है. पौधे को रोपाई के ठीक 90 दिन के बाद कटाई ली जाती है, फिर तेल निकालने की प्रक्रिया शुरु की जाती है. खगड़िया के ज्यादातर किसान पौधे से तेल निकालने के लिए खुद की जमीन के पास बॉयलर मशीन बैठा लिए है. मेंथा का पौधा टमाटर के पौधे की तरह 2 से 2.5 फिट ऊंचा होता है. इसके पौधे का रंग हरा होता है, जबकि तेल का रंग हल्का पीला यानी सोयाबीन के तेल की तरह होता है.

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तेल निकालते किसान

औषधिय पौधा माना जाता है पुदीना
मेंथा एक औषधीय पौधा माना जाता है किसान के मुताबिक इसका इस्तेमाल टूथपेस्ट, पान मसाला, बाथ शॉप, डिटर्जेंट पाउडर, आयुर्वेदिक दवाओं और कुछ एलोपैथिक दवाओं में इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा मेंथा ऑयल के कचरे से फिनाइल भी बनाया जाता है.

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पुदीने का तेल निकालने वाला मशीन

कैसे होता है मुनाफा
किसान कहते हैं कि एक एकड़ में कि गई मेंथा की खेती में औसतन 50 से 60 लीटर तेल निकलते हैं. किसान के मुताबिक मेंथा ऑयल निकालने में मेहनत लगती है. इस लिहाज से उन्हें उतना मुनाफा मिल जाता है. लेकिन स्थानीय स्तर पर खरीदार नहीं होने के वजह से बिक्री के लिए बेगूसराय जाना पड़ता है. वे कहते हैं एक लीटर पिपरमेंट तेल की कीमत बेगूसराय में हजार रुपया दी जाती है, जबकि इसकी कीमत 15 सौ रुपया प्रति लीटर से कहीं कम नहीं है. लेकिन खरीदार किसानों के मजबूरी का फायदा उठा कर मनमाने तरीके से पैसा देते है.

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