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बांध की सुरक्षा के लिए 24x7 ड्यूटी दे रहे जवान, मिली सिर्फ एक झोपड़ी और एक मचान - trouble in khagaria

24x7 ड्यूटी पर लगे होमगार्ड जवानों के रहने और खाने-पीने की व्यवस्था पर गौर किया जाए, तो सिस्टम से सवाल करना लाजमी हो जाता है. खगड़िया में बाढ़ के दौरान ड्यूटी दे रहे ऐसे ही 6 जवानों का दर्द ईटीवी भारत के कैमरे में कैद हुआ है.

बिहार में बाढ़
बिहार में बाढ़
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Published : Jul 22, 2020, 9:42 PM IST

खगड़िया: नदियों से घिरे खगड़िया में बाढ़ कहर मचाने को है. घनी आबादी में बाढ़ का पानी घुसने की संभावना है. इसको लेकर कई बांधों का निर्माण कराया गया है. इन बांधों की सुरक्षा के लिए होमगार्ड के जवानों को नियुक्त किया गया है. लेकिन ये जवान कैसे रह रहे हैं, वो मिसाल भी कायम करता है और सिस्टम से सवाल भी पूछता है.

खगडिया के अलौली प्रखंड में बदल-नगरपारा बांध है. ये बांध ग्रामीण क्षेत्रों को बागमती नदी के उफान से लोगों को बचाता है. बांध की सुरक्षा के लिए होमगार्ड के 6 जवानों को लगाया है. इनको संतोष गांव से चातर तक 6 किलोमीटर की बांध की सुरक्षा करनी है. लेकिन इन 6 होमगार्ड के जवानों को रहने के लिए सिर्फ एक फूस की झोपड़ी दी गई और उसमें एक मचान है. सभी जवान इसी झोपड़ी में जैसे-तैसे रहते हैं. कोई जमीन पर बोरा बिछाकर सोता है तो कोई मचान पर.

सुने जवानों की बेबसी

'सरकार से मिली इतनी ही व्यवस्था'
सम्बंधित विभाग के जेईई से फोन पर बात की गई, तो उनका कहना था कि हमको जो निर्देश मिला. उसके अनुसार समुचित व्यवस्था हम दे चुके हैं. इससे ज्यादा सरकार की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं है. वहीं होमगार्ड के जवानों ने बताया कि एक झोपड़ी में 6 लोग नहीं रह पाते हैं. इतनी छोटा सी जगह में ना सो पाते हैं और ना बैठ पाते हैं. खाने के लिए भी ग्रामीणों के ऊपर निर्भर रहना पड़ता है. जब बारिश होती है, तो पूरा पानी अंदर आने लगता है. होमगार्ड के जवानों को यहां अक्टूबर तक ड्यूटी देनी है.

6 किलोमीटर के लिए 6 जवान, एक झोपड़ी
6 किलोमीटर के लिए 6 जवान, एक झोपड़ी

ऐसे में सिस्टम पर एक ही सवाल उठता है कि जिन कंधों पर गांवों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है. उन्हें इन हालातों में जीने के लिए क्यों मजबूर होना पड़ रहा है. क्या उनका इतना भी हक नहीं कि वे अच्छे से रहें और खाए पिये.

खगड़िया: नदियों से घिरे खगड़िया में बाढ़ कहर मचाने को है. घनी आबादी में बाढ़ का पानी घुसने की संभावना है. इसको लेकर कई बांधों का निर्माण कराया गया है. इन बांधों की सुरक्षा के लिए होमगार्ड के जवानों को नियुक्त किया गया है. लेकिन ये जवान कैसे रह रहे हैं, वो मिसाल भी कायम करता है और सिस्टम से सवाल भी पूछता है.

खगडिया के अलौली प्रखंड में बदल-नगरपारा बांध है. ये बांध ग्रामीण क्षेत्रों को बागमती नदी के उफान से लोगों को बचाता है. बांध की सुरक्षा के लिए होमगार्ड के 6 जवानों को लगाया है. इनको संतोष गांव से चातर तक 6 किलोमीटर की बांध की सुरक्षा करनी है. लेकिन इन 6 होमगार्ड के जवानों को रहने के लिए सिर्फ एक फूस की झोपड़ी दी गई और उसमें एक मचान है. सभी जवान इसी झोपड़ी में जैसे-तैसे रहते हैं. कोई जमीन पर बोरा बिछाकर सोता है तो कोई मचान पर.

सुने जवानों की बेबसी

'सरकार से मिली इतनी ही व्यवस्था'
सम्बंधित विभाग के जेईई से फोन पर बात की गई, तो उनका कहना था कि हमको जो निर्देश मिला. उसके अनुसार समुचित व्यवस्था हम दे चुके हैं. इससे ज्यादा सरकार की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं है. वहीं होमगार्ड के जवानों ने बताया कि एक झोपड़ी में 6 लोग नहीं रह पाते हैं. इतनी छोटा सी जगह में ना सो पाते हैं और ना बैठ पाते हैं. खाने के लिए भी ग्रामीणों के ऊपर निर्भर रहना पड़ता है. जब बारिश होती है, तो पूरा पानी अंदर आने लगता है. होमगार्ड के जवानों को यहां अक्टूबर तक ड्यूटी देनी है.

6 किलोमीटर के लिए 6 जवान, एक झोपड़ी
6 किलोमीटर के लिए 6 जवान, एक झोपड़ी

ऐसे में सिस्टम पर एक ही सवाल उठता है कि जिन कंधों पर गांवों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है. उन्हें इन हालातों में जीने के लिए क्यों मजबूर होना पड़ रहा है. क्या उनका इतना भी हक नहीं कि वे अच्छे से रहें और खाए पिये.

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