खगड़िया: कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर झेल रहे जिलावासियों पर अब 'ब्लैक फंगस' का खतरा भी मंडराने लगा है. शनिवार को जिले में ब्लैक फंगस के पहले मरीज की मौत अलौली प्रखंड के अम्बा गांव में हो गयी. मृतक का नाम हरेराम प्रसाद सिंह बताया जाता है. उनकी सभी तरह की जांच एम्स पटना में की गई थी.
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आईजीआईएम में हुए थे भर्ती
मृतक के भतीजे मुकेश कुमार ने बताया कि हरेराम प्रसाद सिंह का एक दांत तीन मई को अपने आप टूट गया था. एक दिन बाद वहां दर्द होने होने लगा. कुछ दवा लेने के बाद आराम हुआ. फिर तीन दिन बाद दर्द बढ़ गया. इसके बाद खगड़िया के निजी क्लिनिक में दंत चिकित्सक को दिखाया. दवा खाने के बाद दर्द और बढ़ने लगा. तब उन्हें आईजीएमएस पटना ले गए लेकिन वहां एडमिट नहीं लिया गया.
पटना एम्स व पीएमसीएच में चला इलाज
दूसरे दिन एम्स में ले जाकर वहां सभी तरह की जांच करायी गई. जांच में 80 प्रतिशत म्यूकोरमाइकोसिस का लक्षण पाया गया. उनका चेहरा विकृत हो गया था. आंख के सामने काला धब्बा दिखने लगा था. एमआरआई जांच आने तक उन्हें परिवार से अलग रहने का निर्देश दिया गया था. दूसरे दिन वहां से पीएमसीएच भेज दिया.
शनिवार को गांव में हो गई मौत
पीएमसीएच में किसी तरह का आराम नहीं हुआ. स्थिति को गंभीर देखते हुए पटना में एक निजी अस्पताल में ले गया. वहां इलाज में असमर्थता जताने पर गुरुवार की रात को अपने घर लौट आये. शनिवार की सुबह उसकी मौत हो गई.
'मौत होने की जानकारी मिली है. जिले में उनकी सरकारी स्तर पर किसी तरह की जांच नहीं हुई थी. सदर अस्पताल में ब्लैक फंगस की पर्याप्त दवा है.' :- डॉ. आलोक रंजन घोष, जिलाधिकारी
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दो की संदिग्ध मौत
अलौली गांव के इंजीनियर महीपेन्द्र यादव एवं रामपुर अलौली गांव के रामलखन सिंह की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत शनिवार को हो गई. कोरोना से मौत की भी लोग चर्चा कर रहे थे परन्तु इसकी पुष्टि नहीं की गई है क्योंकि दोनों की कोविड जांच नहीं हुई थी. बताया जाता है कि रामलखन सिंह जन वितरण विक्रेता थे. बीएचएम ने बताया कि रामलखन सिंह की अस्पताल पहुंचने के पूर्व ही मौत हो चुकी थी. महीपेन्द्र यादव की पत्नी व बेटी की भी 15 दिनों पूर्व मौत चुकी है.