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कैप्टन आनंद की शहादत पर फफक पड़े पिता- 'देश के लिए मर मिटा, हमें छोड़ गया' - martyrdom of Captain Anand In Khagaria

बिहार के लाल कैप्टन आनंद के शहीद (Khagaria Captain Anand Kumar Martyred) होने की खबर मिलते ही खगड़िया में परिवार समेत पूरे गांव में मातम पसरा हुआ है. खबर मिलने के बाद कैप्टन के पिता राजगीर पुलिस लाइन से अपने पैतृक गांव पहुंच गये हैं. घर पर लोगों का तांता लगा हुआ है. वहीं, शहीद की मां का रो-रोकर बुरा हाल है. वो बार-बार बेटे का नाम ले-लेकर बेहोश हो रहीं हैं. पढ़ें पूरी खबर..

अपने माता-पिता के साथ कैप्टन आनंद की तस्वीर
अपने माता-पिता के साथ कैप्टन आनंद की तस्वीर
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Published : Jul 18, 2022, 8:38 PM IST

खगड़िया: जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले के मेंढर सेक्टर में हुए ग्रेनेड विस्फोट में खगड़िया के परबता प्रखंड के नयागांव शिरोमणि टोला के रहने वाले कैप्टन आनंद शहीद (Anand Kumar Martyred In Jammu Kashmir) हो गए. कैप्टन के शहीद होने की खबर जैसे ही गांव में पहुंची. इलाके में सन्नाटा पसर गया. गांव के लोगों को शहीद होने की खबर पर विश्वास ही नहीं हो रहा है. वहीं कैप्टन आनंद के परिवार में कोहराम मचा हुआ है. शहीद के मां और पिता अब गांव पहुंचे हैं. गांव का माहौल गमगीन है और हर कोई आनंद को याद कर रहा है.

ये भी पढ़ें-जम्मू-कश्मीर में शहीद हुए बिहार के लाल कैप्टन आनंद कुमार, खगड़िया में शोक की लहर

कैप्टन के शहीद होने की खबर लगते ही गांव में मातम: कैप्टन आनंद बीते दस जुलाई को छुट्टी समाप्त होने के बाद ड्यूटी पर गये थे. एक सप्ताह में जैसे ही आनंद के परिवार के लोगों को उसके शहीद होने की सूचना मिली, घर परिवार में कोहराम मच गया. शहीद की मां चीख-चीख कर कह रही है कि 'अब कौन मेरा आंचल पकड़ेगा' इतना बोलते-बोलते वो रोते-रोते बेहोश हो जा रही हैं. कैप्टन के शहीद होने की खबर गांव में फैलने के साथ ही गांव के लोग कैप्टन के घर पर इकट्ठा होने लगे हैं. लोगों को इस खबर पर तनिक भी विश्वास नहीं हो रहा है. क्योंकि आठ दिन पहले ही उसे लोगों ने देखा था.

गृह प्रवेश प्रवेश कर 10 जुलाई को गया था ड्यूटी पर: दस दिन पहले गांव में गृह प्रवेश हुआ था, जिसमें घर के सभी सदस्य शामिल हुए थे. इसी में शामिल होने के लिए आनंद भी आए थे. जहां परिवार और आसपास के लोगों से बहुत दिनों बाद मिलने का मौका मिला था. आनन्द काफी मिलनसार थे और बचपन से ही पढ़ने में काफी होशियार थे. आनंद के पिता मधुकर सनगही बिहार पुलिस में दारोगा हैं और वर्तमान में वह राजगीर पुलिस प्रशिक्षण केंद्र में तैनात हैं.

बोकारो से ही एनडीए में हुआ था शामिल: शहीद आनंद की प्रारंभिक शिक्षा भागलपुर जिले से हुई थी. वहां से निकलने के बाद आनंद बोकारो से इन्टर की परीक्षा पास किए थे. साल 2015 में एनडीए में सफल होने के बाद 2019 में आईएमए (IMA) से पास आउट होने के बाद वो लेफ्टिनेंट के पद पर तैनात हुए थे. शहीद आनंद दो भाईयों में सबसे बड़े थे. एनडीए में पास करने के बाद वह कैप्टन बने थे. गांव वालों को विश्वास ही नहीं हो रहा है कि उनके बीच से एक अच्छा दोस्त, भाई या रिश्तेदार चल गया.

पार्थिव शरीर के इंतजाम में परिवार के लोग: शहीद के पिता ने बताया कि वह बहुत कष्ट से पढ़ाकर कैप्टन बनाए थे. उन्होंने कहा कि आनंद को बचपन से ही सेना में जाने का शौक था और सेना में शामिल भी हुए. वहीं, स्थानीय ग्रामीण संजीव की मानें तो गांव ने एक होनहार युवक खो दिए हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें गर्व है कि वह देश के लिए शहीद हुए हैं. स्थानीय जिला परिषद सदस्य की माने तो गृह प्रवेश में वह आया था, आज भी उसका चेहरा उनके आंखों के सामने है. फिलहाल सभी शहीद आनंद के पार्थिव शरीर के पैतृक गांव पहुंचने का इंतजार कर रहे हैं.

"जब नुनु आईआईटी निकाल लिया. 12वीं किया. वो इंतना इंटेलीजैंट था. ऐज नहीं पूरा हुआ था तो एनडीए का रिटेन निकालकर बताया कि पापा देख रहे हैं एनडीए का रैंक. हम एग्जाम निकाल लिए हैं. बोकारो से 12th पास किया. वहीं से सलेक्ट हुआ. नेक्स्ट इयर ज्वाइन कर गया. आज हमारे बीच आनंद है भी नहीं. हमको चार बजे भोर में सूचना मिली."- मधुकर सनगही, शहीद के पिता

"सबसे बड़ी गर्व की बात थी कि वो पहले एनडीए थे और उनके पिताजी बहुत संघर्ष से यानि की बचपन से लेफ्टीनेंट बनने तक का जो सफर था उनके फादर का बहुत संघर्षपूर्ण था. उन्होंने बेटे की खुशी भी नहीं जानी. आज वो शहीद हो गया. हमलोगों को गर्व है कि हमारा भाई देश के लिए शहीद हुआ है. वो सिर्फ शेरोमणि टोला का बेटा नहीं पूरे देश का बेटा था और आज वो आनंद सबको आनंद करके चला गया."- संजीव, ग्रामीण

"बहुत अच्छा सा मकान बनवाया, जिसका गृह प्रवेश 1 तारीख को किया. उसी में वो अपने से पहल करके मोहल्ले के लोगों को परिवार के लोगों को आमंत्रित किया. सबको आदर सम्मान के साथ भोज दिया. आज उसकी कमी आनंद की कमी पूरे गांव को पूरे इलाके को बहुत जबरदस्त खलेगी. कि हमने अपने इलाके का एक विलक्ष्ण प्रतिभा का युवक जो देश सेवा में रत था उसे खो दिया. उस कमी की अब शायद ही भरपायी हो पाएगी."- शैलेश कुमार, जिला परिषद सदस्य

ये भी पढ़ें-बांका: शहीद जवान का पार्थिव शरीर पहुंचा पैतृक गांव, अंतिम दर्शन के लिए उमड़ा जनसैलाब

खगड़िया: जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले के मेंढर सेक्टर में हुए ग्रेनेड विस्फोट में खगड़िया के परबता प्रखंड के नयागांव शिरोमणि टोला के रहने वाले कैप्टन आनंद शहीद (Anand Kumar Martyred In Jammu Kashmir) हो गए. कैप्टन के शहीद होने की खबर जैसे ही गांव में पहुंची. इलाके में सन्नाटा पसर गया. गांव के लोगों को शहीद होने की खबर पर विश्वास ही नहीं हो रहा है. वहीं कैप्टन आनंद के परिवार में कोहराम मचा हुआ है. शहीद के मां और पिता अब गांव पहुंचे हैं. गांव का माहौल गमगीन है और हर कोई आनंद को याद कर रहा है.

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कैप्टन के शहीद होने की खबर लगते ही गांव में मातम: कैप्टन आनंद बीते दस जुलाई को छुट्टी समाप्त होने के बाद ड्यूटी पर गये थे. एक सप्ताह में जैसे ही आनंद के परिवार के लोगों को उसके शहीद होने की सूचना मिली, घर परिवार में कोहराम मच गया. शहीद की मां चीख-चीख कर कह रही है कि 'अब कौन मेरा आंचल पकड़ेगा' इतना बोलते-बोलते वो रोते-रोते बेहोश हो जा रही हैं. कैप्टन के शहीद होने की खबर गांव में फैलने के साथ ही गांव के लोग कैप्टन के घर पर इकट्ठा होने लगे हैं. लोगों को इस खबर पर तनिक भी विश्वास नहीं हो रहा है. क्योंकि आठ दिन पहले ही उसे लोगों ने देखा था.

गृह प्रवेश प्रवेश कर 10 जुलाई को गया था ड्यूटी पर: दस दिन पहले गांव में गृह प्रवेश हुआ था, जिसमें घर के सभी सदस्य शामिल हुए थे. इसी में शामिल होने के लिए आनंद भी आए थे. जहां परिवार और आसपास के लोगों से बहुत दिनों बाद मिलने का मौका मिला था. आनन्द काफी मिलनसार थे और बचपन से ही पढ़ने में काफी होशियार थे. आनंद के पिता मधुकर सनगही बिहार पुलिस में दारोगा हैं और वर्तमान में वह राजगीर पुलिस प्रशिक्षण केंद्र में तैनात हैं.

बोकारो से ही एनडीए में हुआ था शामिल: शहीद आनंद की प्रारंभिक शिक्षा भागलपुर जिले से हुई थी. वहां से निकलने के बाद आनंद बोकारो से इन्टर की परीक्षा पास किए थे. साल 2015 में एनडीए में सफल होने के बाद 2019 में आईएमए (IMA) से पास आउट होने के बाद वो लेफ्टिनेंट के पद पर तैनात हुए थे. शहीद आनंद दो भाईयों में सबसे बड़े थे. एनडीए में पास करने के बाद वह कैप्टन बने थे. गांव वालों को विश्वास ही नहीं हो रहा है कि उनके बीच से एक अच्छा दोस्त, भाई या रिश्तेदार चल गया.

पार्थिव शरीर के इंतजाम में परिवार के लोग: शहीद के पिता ने बताया कि वह बहुत कष्ट से पढ़ाकर कैप्टन बनाए थे. उन्होंने कहा कि आनंद को बचपन से ही सेना में जाने का शौक था और सेना में शामिल भी हुए. वहीं, स्थानीय ग्रामीण संजीव की मानें तो गांव ने एक होनहार युवक खो दिए हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें गर्व है कि वह देश के लिए शहीद हुए हैं. स्थानीय जिला परिषद सदस्य की माने तो गृह प्रवेश में वह आया था, आज भी उसका चेहरा उनके आंखों के सामने है. फिलहाल सभी शहीद आनंद के पार्थिव शरीर के पैतृक गांव पहुंचने का इंतजार कर रहे हैं.

"जब नुनु आईआईटी निकाल लिया. 12वीं किया. वो इंतना इंटेलीजैंट था. ऐज नहीं पूरा हुआ था तो एनडीए का रिटेन निकालकर बताया कि पापा देख रहे हैं एनडीए का रैंक. हम एग्जाम निकाल लिए हैं. बोकारो से 12th पास किया. वहीं से सलेक्ट हुआ. नेक्स्ट इयर ज्वाइन कर गया. आज हमारे बीच आनंद है भी नहीं. हमको चार बजे भोर में सूचना मिली."- मधुकर सनगही, शहीद के पिता

"सबसे बड़ी गर्व की बात थी कि वो पहले एनडीए थे और उनके पिताजी बहुत संघर्ष से यानि की बचपन से लेफ्टीनेंट बनने तक का जो सफर था उनके फादर का बहुत संघर्षपूर्ण था. उन्होंने बेटे की खुशी भी नहीं जानी. आज वो शहीद हो गया. हमलोगों को गर्व है कि हमारा भाई देश के लिए शहीद हुआ है. वो सिर्फ शेरोमणि टोला का बेटा नहीं पूरे देश का बेटा था और आज वो आनंद सबको आनंद करके चला गया."- संजीव, ग्रामीण

"बहुत अच्छा सा मकान बनवाया, जिसका गृह प्रवेश 1 तारीख को किया. उसी में वो अपने से पहल करके मोहल्ले के लोगों को परिवार के लोगों को आमंत्रित किया. सबको आदर सम्मान के साथ भोज दिया. आज उसकी कमी आनंद की कमी पूरे गांव को पूरे इलाके को बहुत जबरदस्त खलेगी. कि हमने अपने इलाके का एक विलक्ष्ण प्रतिभा का युवक जो देश सेवा में रत था उसे खो दिया. उस कमी की अब शायद ही भरपायी हो पाएगी."- शैलेश कुमार, जिला परिषद सदस्य

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