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एक ही भवन में दो विद्यालय, शौचालय में दरवाजा तक नहीं

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Published : Feb 7, 2020, 11:39 AM IST

विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. लेकिन, बच्चों तक इसका लाभ नहीं पहुंच पा रहा है, संसाधन, भवन, पेयजल, शौचालय और शिक्षकों की कमी से जूझ रहे विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कल्पना बेमानी लगती है.

Khagaria
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खगड़िया: शिक्षा में सुधार के दावे भले ही किए जा रहे हों लेकिन जिले में एक भवन में ही 2 विद्यालय संचालित हो रहे हैं. वहीं, इस विद्यालय के शौचालय में दरवाजा तक नहीं है.

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एक ही भवन में संचालित होते हैं 2 विद्यालय

शिक्षा विभाग के कार्यालय से महज 1 किलोमीटर की दूरी पर एक विद्यालय है. इस विद्यालय में सिर्फ 2 कमरे हैं और एक कमरे में विद्यालय का कार्यालय है. यहां एक कमरे में 2 विद्यालयों की छात्राएं पढ़ाई करती है. वहीं, एक विद्यालय का नाम आर्य प्राथमिक कन्या विद्यालय है और दूसरे विद्यालय का नाम कन्या मध्य विद्यालय है.

विद्यालय की छात्रा
विद्यालय की छात्रा

एक ही भवन में 2 विद्यालय
आर्य प्राथमिक कन्या विद्यालय के प्रधानाध्यापक नरेश चौधरी ने बताया कि इस भवन में दो विद्यालय संचालित होता है. उन्होंने कहा कि विद्यालय के पास अपना भवन नहीं था और पहले पेड़ के नीचे कई वर्षों से विद्यालय चल रहा था. साथ ही उन्होंने कहा कि विद्यालय के शौचालय में दरवाजा नहीं है ना ही पानी की कोई व्यवस्था है.

विद्यालय में संसाधनों की घोर कमी

बच्चों तक नहीं पहुंच पा रहा लाभ
बता दें कि विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. लेकिन, बच्चों तक इसका लाभ नहीं पहुंच पा रहा है, संसाधन, भवन, पेयजल, शौचालय और शिक्षकों की कमी से जूझ रहे विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कल्पना बेमानी लगती है. आज भी थरुहट क्षेत्र के अधिकतर विद्यालयों में कुछ ऐसी ही स्थिति है.

खगड़िया: शिक्षा में सुधार के दावे भले ही किए जा रहे हों लेकिन जिले में एक भवन में ही 2 विद्यालय संचालित हो रहे हैं. वहीं, इस विद्यालय के शौचालय में दरवाजा तक नहीं है.

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एक ही भवन में संचालित होते हैं 2 विद्यालय

शिक्षा विभाग के कार्यालय से महज 1 किलोमीटर की दूरी पर एक विद्यालय है. इस विद्यालय में सिर्फ 2 कमरे हैं और एक कमरे में विद्यालय का कार्यालय है. यहां एक कमरे में 2 विद्यालयों की छात्राएं पढ़ाई करती है. वहीं, एक विद्यालय का नाम आर्य प्राथमिक कन्या विद्यालय है और दूसरे विद्यालय का नाम कन्या मध्य विद्यालय है.

विद्यालय की छात्रा
विद्यालय की छात्रा

एक ही भवन में 2 विद्यालय
आर्य प्राथमिक कन्या विद्यालय के प्रधानाध्यापक नरेश चौधरी ने बताया कि इस भवन में दो विद्यालय संचालित होता है. उन्होंने कहा कि विद्यालय के पास अपना भवन नहीं था और पहले पेड़ के नीचे कई वर्षों से विद्यालय चल रहा था. साथ ही उन्होंने कहा कि विद्यालय के शौचालय में दरवाजा नहीं है ना ही पानी की कोई व्यवस्था है.

विद्यालय में संसाधनों की घोर कमी

बच्चों तक नहीं पहुंच पा रहा लाभ
बता दें कि विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. लेकिन, बच्चों तक इसका लाभ नहीं पहुंच पा रहा है, संसाधन, भवन, पेयजल, शौचालय और शिक्षकों की कमी से जूझ रहे विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कल्पना बेमानी लगती है. आज भी थरुहट क्षेत्र के अधिकतर विद्यालयों में कुछ ऐसी ही स्थिति है.

Intro:खगड़िया के एक विद्यालय भवन में दो विद्यालय संचालित हो रहा है। विद्यालय के भवन में सिर्फ 2 कमरे है। दोनों विद्यालय बालिका विद्यालय है फिर भी विद्यालय के शौचालय में दरवाजा तक नही है।


Body:खगड़िया के एक विद्यालय भवन में दो विद्यालय संचालित हो रहा है। विद्यालय के भवन में सिर्फ 2 कमरे है। दोनों विद्यालय बालिका विद्यालय है फिर भी विद्यालय के शौचालय में दरवाजा तक नही है।

शिक्षा व्यवस्था सरकार के तमाम वो दावे धरातल पर फेल होते हुए दिखते है। जिसमे सरकार दावा करती है कि शिक्षा व्यवस्था में सुधार आया है। आज हम खगड़िया शहर के विद्यालय से जुड़ी एक रिपोर्ट ले कर आए है खगड़िया शिक्षा विभाग के कार्यलय से महज 1 किलोमीटर की दूरी पर एक विद्यालय है जिसमें 2 विद्यालय संचालित होते है। इस विद्यालय में सिर्फ 2 कमरे है और एक कमरे में विद्यालय का कार्यालय है और बचे हुए एक कमरे में 2 विद्यालयों के छात्राय पढ़ाई करती है। एक विद्यालय का नाम आर्य प्राथमिक कन्या विद्यालय है और दूसरे विद्यालय का नाम कन्या मध्य विद्यालय है।
आर्य प्राथमिक कन्या विद्यालय के प्रधानाध्यापक नरेश चौधरी ने बताया कि इस भवन में दो विद्यालय संचालित होता है, परेशानी भी होती है लेकिन क्या करे विभाग का आदेश था तो यंहा शिफ्ट करना पड़ा क्यों कि हमारे विद्यालय के पास अपना भवन नही था पेड़ के नीचे कई वर्षों से विद्यालय चल रहा था।
दोनों विद्यालय कन्या से जुड़ा हुआ है फिर भी विद्यालय के शौचालय में दरवाजा नही है ना ही पानी की कोई व्यवस्था है।
इस स्कूल में छात्राओं को पीने के लिए भी कोई व्यवस्था नही है। जब कि ये विद्यालय खगडिया शहर के बीचों बीच स्थित है।


Conclusion:जिला शिक्षा विभाग को चाहिए कि कम से कम शहर के विद्यालयों पर विशेष नजर रखे और नियमित रूप से वंहा जांच करे ताकि विद्यालय में कोई गड़बड़ी ना हो सुर छात्र-छात्राओं को उचित व्यवस्था मिल सके।
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