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एक ही कमरे में चलता है स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र, क्लास रूम में ही बनता है मध्याह्न भोजन

गांव के इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे ज्यादातर दलित परिवार से आते हैं. इन बच्चों को स्कूल में मिलने वाली मूलभूत सुविधाएं तक नसीब नहीं हैं.

समुदायिक भवन में चूल्हे के पास पढ़ते बच्चे
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Published : Apr 26, 2019, 12:51 PM IST

खगड़ियाः सूबे में शिक्षा के नाम पर कई ऐसी योजनाएं चलाई जा रहीं हैं, जिससे बिहार में शिक्षा के स्तर और शिक्षा दर को बढ़ाया जा सके. लेकिन इन सब के बावजूद आज भी कई जिलों से ऐसी तस्वीरें सामने आती हैं जो बेहतर शिक्षा के दावे की पोल खोलती नजर आती है.

ऐसी ही एक तस्वीर सामने आई है खगड़िया जिले के चौथम प्रखंड से, जहां मासूमों को शिक्षा तो दी जा रही है. लेकिन यहां कि सुविधा ऐसी है कि तस्वीर देख कर आप भी हंसने पर मजबूर हों जाएंगे.

धुंए से भरा रहता है क्लास रूम
दरअसल, ये तस्वीर चौथम प्रखंड के मुसेहरी गांव के एक प्राथमिक विद्यालय की है. विद्यालय को अपना भवन तक नसीब नहीं है. इसलिए यह स्कूल समुदायिक भवन में चलता है. समुदायिक भवन में एक ही कमरा है. उसी में आंगनबाड़ी केंद्र भी संचालित होता है. मध्याह्न भोजन भी उसी कमरे में मिट्टी के चूल्हे पर बनाता है. चूल्हे की वजह से कमरा धुंए से भरा रहता है. उसी में शिक्षक और बच्चे दिन काटते रहते हैं. पढ़ाई क्या होती होगी, ये बताने की जरूरत नहीं है. इस चिलचिलाती गर्मी में भी बच्चे चूल्हे की आग के सामने बैठ कर पढ़ने को मजबूर हैं.

समुदायिक भवन में पढ़ते बच्चे और बयान देते शिक्षक और अधिकारी

स्कूल को भवन तक नसीब नहीं
इस गांव की लगभग पूरी आबादी दलितों की है. जाहिर है विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र भी दलित ही होंगे. लेकिन क्या इन दलित बच्चों को वो सब सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं, जो एक अच्छे सरकारी विद्यालय को दी जाती है. बाकी सुविधाओं की बात तो छोड़िए इनको तो मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं. सबसे बड़ी कमी तो ये है कि इस प्राथमिक विद्यालय का अपना भवन ही नहीं है.

स्कूल के प्रिंसिपल ने बताया
स्कूल के प्रिंसिपल ने बताया कि शिक्षा विभाग से बहुत बार इसकी शिकायत की गई. मुख्यालय से आला अफसर भी आए. पास की एक सरकारी जमीन की मिट्टी की भी जांच की गई कि यहां विद्यालय बनाया जायेगा. लेकिन अब तक इस पर कोई ठोस पहल नहीं की गई. आंगनबाड़ी सेविका कहती हैं कि हम क्या करें. एक ही कमरे में यहां बच्चों को पढ़ाना हमारी मजबूरी है. सेविका भी अपने विभाग में अर्जी लगा चुकी है. जगह के लिए उनके अधिकारी भी आश्वासन दे चुके हैं.

क्या बोले शिक्षा पदाधिकारी
जिले के शिक्षा अधिकारी राजकुमार सिंह से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि डायरेक्टर के यहां से कल ही चिट्टी आई है. ऐसे विद्यालय को पास के किसी विद्यालय से मर्ज कर दिया जाए. हम इस बात को संज्ञान में लेकर बहुत जल्द कार्रवाई करेंगे.

खगड़ियाः सूबे में शिक्षा के नाम पर कई ऐसी योजनाएं चलाई जा रहीं हैं, जिससे बिहार में शिक्षा के स्तर और शिक्षा दर को बढ़ाया जा सके. लेकिन इन सब के बावजूद आज भी कई जिलों से ऐसी तस्वीरें सामने आती हैं जो बेहतर शिक्षा के दावे की पोल खोलती नजर आती है.

ऐसी ही एक तस्वीर सामने आई है खगड़िया जिले के चौथम प्रखंड से, जहां मासूमों को शिक्षा तो दी जा रही है. लेकिन यहां कि सुविधा ऐसी है कि तस्वीर देख कर आप भी हंसने पर मजबूर हों जाएंगे.

धुंए से भरा रहता है क्लास रूम
दरअसल, ये तस्वीर चौथम प्रखंड के मुसेहरी गांव के एक प्राथमिक विद्यालय की है. विद्यालय को अपना भवन तक नसीब नहीं है. इसलिए यह स्कूल समुदायिक भवन में चलता है. समुदायिक भवन में एक ही कमरा है. उसी में आंगनबाड़ी केंद्र भी संचालित होता है. मध्याह्न भोजन भी उसी कमरे में मिट्टी के चूल्हे पर बनाता है. चूल्हे की वजह से कमरा धुंए से भरा रहता है. उसी में शिक्षक और बच्चे दिन काटते रहते हैं. पढ़ाई क्या होती होगी, ये बताने की जरूरत नहीं है. इस चिलचिलाती गर्मी में भी बच्चे चूल्हे की आग के सामने बैठ कर पढ़ने को मजबूर हैं.

समुदायिक भवन में पढ़ते बच्चे और बयान देते शिक्षक और अधिकारी

स्कूल को भवन तक नसीब नहीं
इस गांव की लगभग पूरी आबादी दलितों की है. जाहिर है विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र भी दलित ही होंगे. लेकिन क्या इन दलित बच्चों को वो सब सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं, जो एक अच्छे सरकारी विद्यालय को दी जाती है. बाकी सुविधाओं की बात तो छोड़िए इनको तो मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं. सबसे बड़ी कमी तो ये है कि इस प्राथमिक विद्यालय का अपना भवन ही नहीं है.

स्कूल के प्रिंसिपल ने बताया
स्कूल के प्रिंसिपल ने बताया कि शिक्षा विभाग से बहुत बार इसकी शिकायत की गई. मुख्यालय से आला अफसर भी आए. पास की एक सरकारी जमीन की मिट्टी की भी जांच की गई कि यहां विद्यालय बनाया जायेगा. लेकिन अब तक इस पर कोई ठोस पहल नहीं की गई. आंगनबाड़ी सेविका कहती हैं कि हम क्या करें. एक ही कमरे में यहां बच्चों को पढ़ाना हमारी मजबूरी है. सेविका भी अपने विभाग में अर्जी लगा चुकी है. जगह के लिए उनके अधिकारी भी आश्वासन दे चुके हैं.

क्या बोले शिक्षा पदाधिकारी
जिले के शिक्षा अधिकारी राजकुमार सिंह से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि डायरेक्टर के यहां से कल ही चिट्टी आई है. ऐसे विद्यालय को पास के किसी विद्यालय से मर्ज कर दिया जाए. हम इस बात को संज्ञान में लेकर बहुत जल्द कार्रवाई करेंगे.

Intro:बिहार के शिक्षा व्यवस्था किस तरह लचर है इसका एक बहुत बड़ा उदहारण बना है खगड़िया के चौथम प्रखंड का मुसेहरी प्राथमिक विद्यालय


Body:बिहार के शिक्षा व्यवस्था किस तरह लचर है इसका एक बहुत बड़ा उदहारण बना है खगड़िया के चौथम प्रखंड का मुसेहरी प्राथमिक विद्यालय।
आप को बता दे कि सूबे के मुखिया नीतीश कुमार कई ऐसी योजनाएं चला रहे है जिस से बिहार के शिक्षा दर को बढ़ाया जा सके जैसे मध्यान भोजन चला रहे है ताकि बच्चे की उपस्थिति ज्यादा से ज्यादा की जा सके,छात्रवृत्ति दी जा रही है,सायकल दी जा रही है और भी कई तरह की योजनाएं है सभी का उल्लेख यंहा नही किया जा सकता
अब ये जान लिया जाय कि ये ऊपर लिखी बातों का इस से क्या लेना देना है
दरसल जिले के चौथम प्रखंड में एक विद्यालय है प्राथमिक विद्यालय मुसेहरी ये मुसेहरी गांव में है और इस गांव की लगभग पूरी आबादी दलित है तो जाहिर सी बात है कि विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र भी दलित ही होंगे लेकिन क्या इन दलित बच्चो को वो सब सुविधा मुहैया कराई जा रही है जो एक अच्छे सरकारी विद्यालय को कागज पर योजनायें मिलती है ? तो इसका जवाब भी हम दे रहे है नही मिल पाती इनको सुविधायें।बाकी सुविधाएं छोड़िए इनको तो मूलभूत सुविधा भी नही मिल रही है सब से बड़ी जो चूक है सरकार की और जिला प्रसाशन की वो ये है कि विद्यालय को अपना भवन नही है।विद्यालय एक समुदायक भवन में चलता है और ये भी कम नही है तो जान लीजये की समुदायक भवन में एक कमरा है उसी में आंगनबाड़ी केंद्र भी संचालित होता है,मध्यान भोजन भी उसी कमरे में मिट्टी के चूल्हे बार बनाता है।इस चिलचिलाती गर्मी में चूल्हे के वजह से कमरा धुंए से भरा रहता है उसी में शिक्षक और बच्चे दिन काटते रहते है।पढ़ाई क्या होती होगी इस दलित गांव में ये बताने की जरूरत नही है।

अब जरा ध्यान दिजीये की विद्यालय के शिक्षक और आंगनबाड़ी सेविका क्या कहते है
प्रधानाध्यापक साहब कहते है कि विभाग को बहुत बार इसकी शिकायत की गई कि विद्यालय को अपना भवन नही है मुख्यलय से अला अफसर भी आये और पास के एक सरकारी जमीन की मिट्टी भी जांच की गई कि यंहा विद्यालय बनाया जायेगा लेकिन अब तक इस पर कोई ठोस पहल नही की गई।आंगनबाड़ी सेविका कहती है कि हम क्या करे हमारी मजबरी है यंहा बच्चो को पढ़ना सेविका भी अपने विभाग में अर्जी लगा चुकी है जगह के लिए उनके अधिकारी भी अस्वाशन दे चुके है

ग्रामीण कहते है कि सब तरह की जांच पूरी कर ली गई है और हमारी कोशिस है कि जल्द से जल्द विभाग विद्यालय को भवन दे दे,अधिकारी कह कर गए है अब देखिए कब तक मिलता है भवन

जिले के शिक्षा अधिकारी राजकुमार सिंह से जब हमने ये बात रखी और कहा कि अपनी प्रतिक्रिया हमे दिजीये तो अधिकारी कहते है कि डायरेक्टर के यंहा से कल ही चिट्टी आई है कि ऐसे विद्यालय को पास के किसी विद्यालय से मर्ज कर दिया जाए हम इस बात को संज्ञान में कर बहुत जल्द कारवाई करंगे


Conclusion:
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