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मजदूरों ने सरकार से लगाई कटिहार के जूट मिल को चालू करने की गुहार, कहा- हजारों को मिल जाएगा रोजगार - Corona virus

मजदूर लगातार बिहार लौट रहे हैं. प्रदेश में रोजगार का अभाव है. वहीं, सरकार के सामने इन मजदूरों को रोजगार देना एक बड़ी चुनौती है. ऐसे में कटिहार स्थित जूट मिल चालू हो जाने से हजारों मजदूरों को रोजगार मिल सकता है.

कटिहार
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Published : May 27, 2020, 12:42 PM IST

कटिहार: देश में कोरोना महामारी की वजह से कई औद्योगिक कारखाने बंद हो गए हैं. जिसकी वजह से लाखों मजदूर बेरोजगार हो गए हैं. वहीं, मामले में दूसरी बड़ी समस्या महामारी से उपजे संकट काल में दूसरे प्रदेशों से पलायन कर आए प्रवासी मजदूर के रूप में खड़ी है. दूसरे प्रदेशों में कमाने गए मजदूर अब रोजगार के अभाव में अपने घर वापस लौटने लगे हैं.

बिहार में भी लाखों मजदूर दूसरे प्रदेशों से लौटकर अपने घर पहुंच चुके हैं. इन मजदूरों को बिहार सरकार ने राज्य में ही रोजगार देने की बात कही है, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में लौटे मजदूरों को राज्य में ही रोजगार देना बिहार सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होगी.

कटिहार
कटिहार स्थित जूट मिल

गौरतलब है कि एक समय में कटिहार जूट नगरी के नाम से विख्यात था. यहां आरबीएचएम जूट मिल हुआ करती थी. जिसे केंद्र सरकार द्वारा संचालित की जाती थी. जिसमें हजारों मजदूर काम करते थे. लेकिन सरकारी नीति और लापरवाही के कारण जूट मिल घाटे में चले जाने के बाद जूट मिल को 2007 में बंद कर दिया गया. जिससे इस मिल में काम कर रहे हजारों मजदूर बेरोजगार हो गए और अपने परिवार चलाने के भरण-पोषण के लिए दूसरे प्रदेशों में पलायन करने लगे.

'जूट की खेती भी बंद'
जिले में जूट मिल होने के कारण सीमांचल के इलाके में बड़े पैमाने पर जूट की खेती भी की जाती थी. जिससे हजारों किसानों की रोजी-रोटी चलती थी. लेकिन अब पिछले 13 साल से जूट मिल बंद है, तो किसानों ने भी जूट की खेती करना कम कर दिया है. वहीं अब जूट की जो थोड़ी बहुत खेती होती है. उसका कच्चा माल बंगाल या असम राज्य में भेज दिया जाता है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'हजारों मजदूर को मिल सकेगा रोजगार'
कटिहार जूट मिल के मजदूरों का कहना हैं कि सरकार की नीतियों के वजह से 2007 में यह मिल बंद हो गया. इसमें करीब 6500 मजदूर काम करते थे, लेकिन मिल बंद होने के बाद लोग इधर-उधर भटकने लगे. साथ ही कमाने के लिए परदेस जाने लगे. वहीं, अब कोरोना महामारी के चलते लोग अपने घर लौटने लगे हैं. ऐसे में सरकार अगर इस मिल को चालू कर देती है, तो हजारों मजदूर को रोजगार मिल सकेगा. साथ ही मजदूरों का कहना है कि अब तक हम लोगों द्वारा किए गए पिछले कामों का पैसा भी नहीं मिला है.

कटिहार
बंद पड़ी आरबीएचएम जूट मिल

'मिल चालू कराने के लिए जारी रहेगा प्रयास'
वहीं, मामले में कटिहार के सांसद दुलाल चंद्र गोस्वामी ने बताया कटिहार का जूट मिल विभिन्न कारणों से बंद हो गया. कटिहार के लोग आशा छोड़ दिए थे. हालांकि, इसे चालू कराने को लेकर कई बार लड़ाई लड़ी गई. सरकार तक बात पहुंचाने के बाद भी यह चालू नहीं हो सका. उन्होंने बताया कि जब मैं बिहार सरकार में श्रम मंत्री था. तब अपने प्रयास से केंद्र सरकार से अनुदान राशि दिलवाकर मिल को चालू कराया था लेकिन फिर बाद में यह बंद हो गया. यह बिहार का एकमात्र सरकारी जूट मिल है. इसे चालू कराने को लेकर हमारी कोशिश लगातार जारी रहेगी.

प्रदेश में कई मिलें पड़ी हैं बंद
गौरतलब है कि इस वक्त बिहार में रोजगार का अभाव है. लाखों मजदूर दूसरे राज्यों से अपने घर लौटे हैं. बिहार में कई औद्योगिक मिलें बंद पड़े हुए हैं. प्रदेश के चीनी, जूट, और सिल्क मिल सभी बंद है. ऐसे में राज्य सरकार कटिहार के आरबीएचएम जूट मिल समेत तमाम औद्योगिक मिलों को चालू कराकर हजारों मजदूर इस मिल के जरिए अपना घर परिवार चला सकते हैं.

कटिहार: देश में कोरोना महामारी की वजह से कई औद्योगिक कारखाने बंद हो गए हैं. जिसकी वजह से लाखों मजदूर बेरोजगार हो गए हैं. वहीं, मामले में दूसरी बड़ी समस्या महामारी से उपजे संकट काल में दूसरे प्रदेशों से पलायन कर आए प्रवासी मजदूर के रूप में खड़ी है. दूसरे प्रदेशों में कमाने गए मजदूर अब रोजगार के अभाव में अपने घर वापस लौटने लगे हैं.

बिहार में भी लाखों मजदूर दूसरे प्रदेशों से लौटकर अपने घर पहुंच चुके हैं. इन मजदूरों को बिहार सरकार ने राज्य में ही रोजगार देने की बात कही है, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में लौटे मजदूरों को राज्य में ही रोजगार देना बिहार सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होगी.

कटिहार
कटिहार स्थित जूट मिल

गौरतलब है कि एक समय में कटिहार जूट नगरी के नाम से विख्यात था. यहां आरबीएचएम जूट मिल हुआ करती थी. जिसे केंद्र सरकार द्वारा संचालित की जाती थी. जिसमें हजारों मजदूर काम करते थे. लेकिन सरकारी नीति और लापरवाही के कारण जूट मिल घाटे में चले जाने के बाद जूट मिल को 2007 में बंद कर दिया गया. जिससे इस मिल में काम कर रहे हजारों मजदूर बेरोजगार हो गए और अपने परिवार चलाने के भरण-पोषण के लिए दूसरे प्रदेशों में पलायन करने लगे.

'जूट की खेती भी बंद'
जिले में जूट मिल होने के कारण सीमांचल के इलाके में बड़े पैमाने पर जूट की खेती भी की जाती थी. जिससे हजारों किसानों की रोजी-रोटी चलती थी. लेकिन अब पिछले 13 साल से जूट मिल बंद है, तो किसानों ने भी जूट की खेती करना कम कर दिया है. वहीं अब जूट की जो थोड़ी बहुत खेती होती है. उसका कच्चा माल बंगाल या असम राज्य में भेज दिया जाता है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'हजारों मजदूर को मिल सकेगा रोजगार'
कटिहार जूट मिल के मजदूरों का कहना हैं कि सरकार की नीतियों के वजह से 2007 में यह मिल बंद हो गया. इसमें करीब 6500 मजदूर काम करते थे, लेकिन मिल बंद होने के बाद लोग इधर-उधर भटकने लगे. साथ ही कमाने के लिए परदेस जाने लगे. वहीं, अब कोरोना महामारी के चलते लोग अपने घर लौटने लगे हैं. ऐसे में सरकार अगर इस मिल को चालू कर देती है, तो हजारों मजदूर को रोजगार मिल सकेगा. साथ ही मजदूरों का कहना है कि अब तक हम लोगों द्वारा किए गए पिछले कामों का पैसा भी नहीं मिला है.

कटिहार
बंद पड़ी आरबीएचएम जूट मिल

'मिल चालू कराने के लिए जारी रहेगा प्रयास'
वहीं, मामले में कटिहार के सांसद दुलाल चंद्र गोस्वामी ने बताया कटिहार का जूट मिल विभिन्न कारणों से बंद हो गया. कटिहार के लोग आशा छोड़ दिए थे. हालांकि, इसे चालू कराने को लेकर कई बार लड़ाई लड़ी गई. सरकार तक बात पहुंचाने के बाद भी यह चालू नहीं हो सका. उन्होंने बताया कि जब मैं बिहार सरकार में श्रम मंत्री था. तब अपने प्रयास से केंद्र सरकार से अनुदान राशि दिलवाकर मिल को चालू कराया था लेकिन फिर बाद में यह बंद हो गया. यह बिहार का एकमात्र सरकारी जूट मिल है. इसे चालू कराने को लेकर हमारी कोशिश लगातार जारी रहेगी.

प्रदेश में कई मिलें पड़ी हैं बंद
गौरतलब है कि इस वक्त बिहार में रोजगार का अभाव है. लाखों मजदूर दूसरे राज्यों से अपने घर लौटे हैं. बिहार में कई औद्योगिक मिलें बंद पड़े हुए हैं. प्रदेश के चीनी, जूट, और सिल्क मिल सभी बंद है. ऐसे में राज्य सरकार कटिहार के आरबीएचएम जूट मिल समेत तमाम औद्योगिक मिलों को चालू कराकर हजारों मजदूर इस मिल के जरिए अपना घर परिवार चला सकते हैं.

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