कटिहार: गरीबी और मुफलिसी के बीच कटिहार के सुकरात सिंह ( Sukrat Singh From Katihar) ने वो कर दिखाया है जिसकी आज सभी प्रशंसा कर रहे हैं. कटिहार रेलवे स्टेशन (Katihar Railway Station) पर पिता के साथ चाय बेचने वाले इस युवक ने अपनी कड़ी मेहनत (Success Story Of Tea Seller Daroga ) से बिहार पुलिस (Bihar Police) में जगह बनाई है. सुकरात अब दारोगा बन गए हैं लेकिन उनका इस मुकाम तक पहुंचने का सफर उतना आसान नहीं था.
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चाय बेचने वाले सुकरात बने दारोगा: सुकरात के जीवन में सबसे बड़ी चुनौती 15 साल पहले आई थी. मनिहारी थाना क्षेत्र ( Manihari Police Station ) के मेदनीपुर में परिवार के साथ रहते हुए सुकरात (Success Story Of Sukrat Singh From Katihar) पढ़ाई करते थे. खेती बाड़ी था तो आर्थिक परेशानी भी कम थी लेकिन 2007 में गंगा नदी के भीषण कटाव में उनकी झोपड़ी, खेत खलिहान सबकुछ पानी में समा गया. विस्थापित परिवार के पास भूखों मरने की नौबत आ गई.
15 साल पहले गंगा में घर समाया: पूरा परिवार मनिहारी रेलवे स्टेशन के समीप आकर किसी तरह जिन्दगी बसर करने लगा. सुकरात के पिता ने जीविकोपार्जन के लिये स्टेशन पर चाय की दुकान खोल दी. धीरे धीरे सुकरात ने पिता के काम में हाथ बंटाना शुरू किया और चाय बेचने लगे. आर्थिक स्थिति खराब रहने के बावजूद सुकरात सिंह उर्फ राजीव ने हार नहीं मानी. चाय बेचने के दौरान जो भी समय बचता था उसमें, वो यूट्यूब की मदद से पढ़ाई करते थे.
"विस्थापित होकर हम यहां आए थे. मनिहारी रेलवे स्टेशन के बगल में फुटपाथ पर चाय बेचते हैं लेकिन जीवन में कुछ करने का सोचा था. यूट्यूब की मदद और सेल्फ स्टडी किया. सभी छात्र भी रेगुलर तैयारी करें सफलता जरूर मिलेगी."- सुकरात सिंह, सफल दारोगा अभ्यर्थी
यूट्यूब की मदद से की पढ़ाई: साल 2018 में सूबे में हुए दारोगा परीक्षा में सुकरात फिजिकल एग्जाम में छंट गए. बावजूद इसके सुकरात ने हिम्मत नहीं हारी और दोगुनी मेहनत से परीक्षा की तैयारी करने लगे. दूसरे प्रयास में सब इंस्पेक्टर के लिये चयनित हुए. सुकरात बताते हैं कि यदि दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो कामयाबी जरूर मिलती है. सुकरात अपनी सफलता का पूरा श्रेय अपने माता-पिता को देते हैं.
सुकरात ने दिया सफलता का मंत्र: सुकरात बताते हैं कि पांच-छह लोग मिलकर परीक्षा की तैयारी कर रहे थे. जिसमें से तीन लोगों ने परीक्षा में क्वालीफाई किया था लेकिन फिर फिजिकल में छंट गए. सिर्फ मैने ही क्वालीफाई किया. रेगुलर पढ़ाई करते थे. 8 से 10 घंटे तक पढ़ाई करते थे. परीक्षा की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आने लगी दुकान आना कम कर दिया और पढ़ाई पर फोकस किया. सेल्फ स्टडी किया क्योंकि ट्यूशन करने के लिए पैसे नहीं थे. पढ़ाई के लिए यूट्यूब की मदद लेते थे. ग्रुप स्टडी से भी मदद मिली. परीक्षा की तैयारी करने वालों को सुकरात कहते हैं कि रेगुलर बेसिस पर तैयारी करें. सिलेबस के अनुसार तैयारी करनी चाहिए. ऐसा करने से सफलता जरूर मिलेगी.
छात्रों को सुकरात का संदेश: सुकरात सिंह की प्राथमिक शिक्षा मेदनीपुर प्राथमिक विद्यालय से हुई. 2012 में मैट्रिक की परीक्षा दी थी. रामेश्वर प्रसाद कॉलेज से इंटर और ग्रेजुएशन किया. वह अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार और माता-पिता को देते हैं. साथ ही छात्रों को कभी भी हिम्मत ना हारने की सलाह भी दे रहे हैं.
बोले पिता- 'बढ़ गया मान-सम्मान': वहीं सुकरात के पिता कैलाश सिंह का कहना है कि गरीबी में बेटे ने पूरे परिवार का नाम रोशन किया है. 15 साल पहले बाढ़ में सबकुछ बह गया तो मनिहारी में चाय की दुकान की. 20 साल से चाय की दुकान कर रहे हैं. बेटा भी मदद करता था.
"बेटे ने अपनी मेहनत से सफलता पाई है. मुझे बहुत खुशी हो रही है. आज हम सभी का मुंह मीठा कर रहे हैं. मान सम्मान बढ़ गया है."-कैलाश सिंह, सुकरात के पिता