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जंजाल बना ऑनलाइन एजुकेशन, बच्चे पढ़ाई कम गेम में हो रहे हैं ज्यादा व्यस्त - lockdown in bihar

बिहार सरकार के पूर्व माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. रामप्रकाश महतो ने कहा कि ऑनलाइन पढ़ाई अच्छा भी हैं, तो यह उससे बड़ा ढकोसला भी है.

ऑनलाइन एजुकेशन
ऑनलाइन एजुकेशन
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Published : May 4, 2020, 3:54 PM IST

कटिहार : कोरोना वायरस से बचाव और संक्रमण की रोकथाम के लिये 17 मई तक पूरे देश में लॉकडाउन हैं. ऐसे में बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं हों, इसे देखते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सीबीएसई के सभी स्कूलों को ऑनलाइन क्लासेज लेने की एडवाइजरी जारी की थी. इस एडवाइजरी के तहत कटिहार में कई स्कूलों के जरिए व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर बच्चों को पढ़ाने की शुरुआत की गई.

लेकिन अब यह ऑनलाइन शिक्षा अभिभावकों के लिये परेशानी का सबब बन गया हैं. क्योंकि हाथ मे एंड्रॉइड मोबाइल मिलते ही बच्चे मौका पाकर गेम या दूसरे अन्य वीडियो देखने मे व्यस्त हो जाते हैं. लगातार मिल रही इस शिकायत के बाद कई स्कूल प्रबंधन ने अभिभावकों के लिये निर्देश जारी किये हैं कि ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान अभिभावक बच्चे पर ध्यान रखें. वहीं, बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के पूर्व मंत्री ने बच्चों के ऑनलाइन शिक्षा को महज ढकोसला बताया है.

देखें पूरी रिपोर्ट

सीबीएसई ने जारी की है एडवाइजरी
इसी कड़ी में कटिहार के केन्द्रीय विद्यालय के क्लास दो के बच्चों के लिये एक मैसेज जारी किया गया हैं, जिसमें यह बताया गया हैं कि ऐसा सुना जा रहा है कि बच्चों के पढ़ाई के नाम पर मोबाइल फोन के दुरुपयोग की शिकायतें मिल रहीं हैं. इसलिये उन्हें ऐसे दुरुपयोग से बचने के लिये आगाह किया जाता हैं कि लॉकडाउन के दौरान सीबीएसई से एडवाइजरी मिलने के बाद जिले के कई विद्यालयों ने छोटे बच्चों के घर बैठे पढ़ाई जारी रखने के लिये व्हाट्सएप ग्रुप बनाया हैं. जिसके तहत उस ग्रुप में वीडियो डालकर या फिर होमवर्क लिखकर उसे पूरा करने का निर्देश दिया जाता हैं. बच्चे उस निर्देश के तहत होमवर्क पूरा कर उसे फिर ऑनलाइन भेज देते हैं. इस दौरान घर मे अभिभावक बच्चों पर ध्यान देते हैं. लेकिन इसी बीच मम्मी या फिर पापा के सामने छोटे बच्चे मौका पाकर या जिद करके मोबाइल सेट अपने हाथों में लेकर गेम या दूसरे वीडियो देखने मे मशगूल हो जाते हैं.

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कई स्कूलों ने अभिभावकों को भेजा मैसेज

'पारंपरिक क्लास के अलग ही होते हैं मायने'
स्थानीय अभिभावक छाया तिवारी ने कहा कि ऑनलाइन क्लास के इंतजाम तो ठीक हैं. बच्चे पढ़ाई से जुड़े रहते हैं. लेकिन इसका दूसरा पक्ष काफी दिक्कतें भरा हैं. बच्चों के सामने अभिभावक तंग हो जातें हैं और इस तरह दिन का अधिकांश समय बच्चों का मोबाइल पर गुजर रहा है. दूसरी परेशानी यह हैं कि बाहर संड़कों या मैदानों पर पुलिस या आवाजाही बिल्कुल बन्द है. लिहाजा अभिभावक करें तो क्या करें.

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अभिभावक

वहीं, बिहार सरकार के पूर्व माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. रामप्रकाश महतो ने कहा कि ऑनलाइन पढ़ाई अच्छा भी हैं, तो यह उससे बड़ा ढकोसला भी है. स्कूलों को बच्चों के सिलेबस पूरा करने के कई अन्य उपाय भी हैं. पारंपरिक क्लास के अलग ही मायने होते हैं, जिसे छोटे बच्चों पर ऑनलाइन शिक्षा से पूरा नहीं किया जा सकता.

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डॉ. रामप्रकाश महतो, पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री, बिहार

बच्चों पर रखें कड़ाई से निगरानी
बता दें कि कटिहार में कोरोना के 5 पॉजिटिव मामले सामने आये हैं और शहरी इलाका सहित कई क्षेत्र पूरी तरह सील हैं. लॉकडाउन के कारण जो हालात हैं, उसमें इसी तरह से बच्चों की पढ़ाई जारी स्कूल प्रबंधन से लेकर अभिभावकों की मजबूरी भी हैं. इसीलिए ऑनलाइन एजुकेशन के समय अभिभावक बच्चों पर कड़ाई से निगरानी रखें, तो मोबाइल वायरस से बच्चों की लत को दूर रखा जा सकता है.

कटिहार : कोरोना वायरस से बचाव और संक्रमण की रोकथाम के लिये 17 मई तक पूरे देश में लॉकडाउन हैं. ऐसे में बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं हों, इसे देखते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सीबीएसई के सभी स्कूलों को ऑनलाइन क्लासेज लेने की एडवाइजरी जारी की थी. इस एडवाइजरी के तहत कटिहार में कई स्कूलों के जरिए व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर बच्चों को पढ़ाने की शुरुआत की गई.

लेकिन अब यह ऑनलाइन शिक्षा अभिभावकों के लिये परेशानी का सबब बन गया हैं. क्योंकि हाथ मे एंड्रॉइड मोबाइल मिलते ही बच्चे मौका पाकर गेम या दूसरे अन्य वीडियो देखने मे व्यस्त हो जाते हैं. लगातार मिल रही इस शिकायत के बाद कई स्कूल प्रबंधन ने अभिभावकों के लिये निर्देश जारी किये हैं कि ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान अभिभावक बच्चे पर ध्यान रखें. वहीं, बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के पूर्व मंत्री ने बच्चों के ऑनलाइन शिक्षा को महज ढकोसला बताया है.

देखें पूरी रिपोर्ट

सीबीएसई ने जारी की है एडवाइजरी
इसी कड़ी में कटिहार के केन्द्रीय विद्यालय के क्लास दो के बच्चों के लिये एक मैसेज जारी किया गया हैं, जिसमें यह बताया गया हैं कि ऐसा सुना जा रहा है कि बच्चों के पढ़ाई के नाम पर मोबाइल फोन के दुरुपयोग की शिकायतें मिल रहीं हैं. इसलिये उन्हें ऐसे दुरुपयोग से बचने के लिये आगाह किया जाता हैं कि लॉकडाउन के दौरान सीबीएसई से एडवाइजरी मिलने के बाद जिले के कई विद्यालयों ने छोटे बच्चों के घर बैठे पढ़ाई जारी रखने के लिये व्हाट्सएप ग्रुप बनाया हैं. जिसके तहत उस ग्रुप में वीडियो डालकर या फिर होमवर्क लिखकर उसे पूरा करने का निर्देश दिया जाता हैं. बच्चे उस निर्देश के तहत होमवर्क पूरा कर उसे फिर ऑनलाइन भेज देते हैं. इस दौरान घर मे अभिभावक बच्चों पर ध्यान देते हैं. लेकिन इसी बीच मम्मी या फिर पापा के सामने छोटे बच्चे मौका पाकर या जिद करके मोबाइल सेट अपने हाथों में लेकर गेम या दूसरे वीडियो देखने मे मशगूल हो जाते हैं.

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कई स्कूलों ने अभिभावकों को भेजा मैसेज

'पारंपरिक क्लास के अलग ही होते हैं मायने'
स्थानीय अभिभावक छाया तिवारी ने कहा कि ऑनलाइन क्लास के इंतजाम तो ठीक हैं. बच्चे पढ़ाई से जुड़े रहते हैं. लेकिन इसका दूसरा पक्ष काफी दिक्कतें भरा हैं. बच्चों के सामने अभिभावक तंग हो जातें हैं और इस तरह दिन का अधिकांश समय बच्चों का मोबाइल पर गुजर रहा है. दूसरी परेशानी यह हैं कि बाहर संड़कों या मैदानों पर पुलिस या आवाजाही बिल्कुल बन्द है. लिहाजा अभिभावक करें तो क्या करें.

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अभिभावक

वहीं, बिहार सरकार के पूर्व माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. रामप्रकाश महतो ने कहा कि ऑनलाइन पढ़ाई अच्छा भी हैं, तो यह उससे बड़ा ढकोसला भी है. स्कूलों को बच्चों के सिलेबस पूरा करने के कई अन्य उपाय भी हैं. पारंपरिक क्लास के अलग ही मायने होते हैं, जिसे छोटे बच्चों पर ऑनलाइन शिक्षा से पूरा नहीं किया जा सकता.

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डॉ. रामप्रकाश महतो, पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री, बिहार

बच्चों पर रखें कड़ाई से निगरानी
बता दें कि कटिहार में कोरोना के 5 पॉजिटिव मामले सामने आये हैं और शहरी इलाका सहित कई क्षेत्र पूरी तरह सील हैं. लॉकडाउन के कारण जो हालात हैं, उसमें इसी तरह से बच्चों की पढ़ाई जारी स्कूल प्रबंधन से लेकर अभिभावकों की मजबूरी भी हैं. इसीलिए ऑनलाइन एजुकेशन के समय अभिभावक बच्चों पर कड़ाई से निगरानी रखें, तो मोबाइल वायरस से बच्चों की लत को दूर रखा जा सकता है.

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