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शीतलहर के कारण मूर्तिकारों पर आई आफत, नहीं सूख रहीं मिट्टी की मूर्तियां

मूर्तिकार देवनारायण मंडल हर साल मां सरस्वती की कम से कम दो से ढाई सौ मूर्तियां बनाते थे. लेकिन इस बार ठंड के कारण मुश्किल से सौ मूर्ति तैयार हो पाई है.

katihar
मूर्तियां बनाता मूर्तिकार
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Published : Jan 7, 2020, 9:45 AM IST

कटिहारः ठण्ड का असर मूर्तियों पर भी पड़ रहा है. शीतलहर के कारण पूजा के लिए मिट्टी से बनी मूर्तियां सूख नहीं पा रही है. जिससे मूर्तिकारों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. बीते कई दिनों से सूर्य देवता का दर्शन नहीं हुआ है और इसी महीने के अंत में विद्या की देवी सरस्वती की पूजा है.

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मिट्टी की मूर्तियां

नहीं सूख रहीं मिट्टी की मूर्तियां
दरअसल मूर्तिकारों के सामने मिट्टी नहीं सूखने के उसके रंग-रोगन में समस्या हो रही है. इलाके में चल रहे कोल्ड स्ट्राइक की वजह से मिट्टियां सूख नहीं पा रहीं है. जिसकी वजह से मूर्तियों की पेंटिंग का काम भी नहीं हो पा रहा है.

ठण्ड के कारण नहीं बनी ज्यादा मूर्तियां
मूर्तिकार देवनारायण मंडल बताते हैं कि गिली मिट्टियों के कारण हाथ काम नहीं कर रहे और लगातार ठण्ड में खड़े रहने के कारण परेशानी दोगुनी हो गयी है. देवनारायण मंडल हर साल मां सरस्वती की कम से कम दो से ढाई सौ मूर्तियां बनाते थे. लेकिन इस बार ठण्ड के कारण सौ मूर्ति भी मुश्किल से बनी है.

जानकारी देते मूर्तिकार

टूट गई अच्छी कमाई की उम्मीद
इस बार कड़ाके की ठंड ने इन मूर्तिकारों के सामने बड़ी समस्या ला खड़ी कर दी है. हाल यह है कि इस बार घाटा लग गया है. क्योंकि मिट्टी और पुआल के दाम भी नहीं निकल पा रहें हैं. साल भर में इसी सीजन में इन्हें अच्छी कमाई की उम्मीद होती है. इसी से यह अपनी दो जून की रोटी का बंदोबस्त करते हैं, लेकिन धूप नहीं निकलने से इनकी ये उम्मीद भी टूट रही है.

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देवनारायण मंडल, मूर्तिकार

ये भी पढ़ेंः बिहार : बोधगया में बौद्ध महोत्सव में 10 देशों के कलाकार देंगे प्रस्तुति

क्या करें, कुछ समझ में नहीं आता- मूर्तिकार
मूर्तिकार राजेश ने बताया कि ठण्ड ने बेड़ा गर्क कर दिया है. मूर्तियां सूख नहीं रही हैं. अभी पेंटिंग का काम बाकी है और महीने के अंत मे पूजा भी है. ग्राहक पूजा से दो दिन पहले मूर्तियां चाहते हैं. क्या करें, कुछ समझ में नहीं आता.

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जानकारी देते मूर्तिकार

धूमधाम से होती है सरस्वती की पूजा
बता दें कि बिहार मेघावियों की धरती रही है. यही कारण है कि यहां के युवा, विद्या की देवी अधिष्ठात्री सरस्वती की पूजा धूमधाम से होती है. स्कूल-कॉलेज से लेकर कोचिंग, हॉस्टल और अन्य शिक्षण संस्थानों में सरस्वती पूजा उत्साह के साथ मनायी जाती है. लेकिन कुदरत की बेरुखी इसी तरह जारी रही तो, पंडालों में मूर्तियों की कमी हो जाएगी.

कटिहारः ठण्ड का असर मूर्तियों पर भी पड़ रहा है. शीतलहर के कारण पूजा के लिए मिट्टी से बनी मूर्तियां सूख नहीं पा रही है. जिससे मूर्तिकारों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. बीते कई दिनों से सूर्य देवता का दर्शन नहीं हुआ है और इसी महीने के अंत में विद्या की देवी सरस्वती की पूजा है.

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मिट्टी की मूर्तियां

नहीं सूख रहीं मिट्टी की मूर्तियां
दरअसल मूर्तिकारों के सामने मिट्टी नहीं सूखने के उसके रंग-रोगन में समस्या हो रही है. इलाके में चल रहे कोल्ड स्ट्राइक की वजह से मिट्टियां सूख नहीं पा रहीं है. जिसकी वजह से मूर्तियों की पेंटिंग का काम भी नहीं हो पा रहा है.

ठण्ड के कारण नहीं बनी ज्यादा मूर्तियां
मूर्तिकार देवनारायण मंडल बताते हैं कि गिली मिट्टियों के कारण हाथ काम नहीं कर रहे और लगातार ठण्ड में खड़े रहने के कारण परेशानी दोगुनी हो गयी है. देवनारायण मंडल हर साल मां सरस्वती की कम से कम दो से ढाई सौ मूर्तियां बनाते थे. लेकिन इस बार ठण्ड के कारण सौ मूर्ति भी मुश्किल से बनी है.

जानकारी देते मूर्तिकार

टूट गई अच्छी कमाई की उम्मीद
इस बार कड़ाके की ठंड ने इन मूर्तिकारों के सामने बड़ी समस्या ला खड़ी कर दी है. हाल यह है कि इस बार घाटा लग गया है. क्योंकि मिट्टी और पुआल के दाम भी नहीं निकल पा रहें हैं. साल भर में इसी सीजन में इन्हें अच्छी कमाई की उम्मीद होती है. इसी से यह अपनी दो जून की रोटी का बंदोबस्त करते हैं, लेकिन धूप नहीं निकलने से इनकी ये उम्मीद भी टूट रही है.

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देवनारायण मंडल, मूर्तिकार

ये भी पढ़ेंः बिहार : बोधगया में बौद्ध महोत्सव में 10 देशों के कलाकार देंगे प्रस्तुति

क्या करें, कुछ समझ में नहीं आता- मूर्तिकार
मूर्तिकार राजेश ने बताया कि ठण्ड ने बेड़ा गर्क कर दिया है. मूर्तियां सूख नहीं रही हैं. अभी पेंटिंग का काम बाकी है और महीने के अंत मे पूजा भी है. ग्राहक पूजा से दो दिन पहले मूर्तियां चाहते हैं. क्या करें, कुछ समझ में नहीं आता.

katihar
जानकारी देते मूर्तिकार

धूमधाम से होती है सरस्वती की पूजा
बता दें कि बिहार मेघावियों की धरती रही है. यही कारण है कि यहां के युवा, विद्या की देवी अधिष्ठात्री सरस्वती की पूजा धूमधाम से होती है. स्कूल-कॉलेज से लेकर कोचिंग, हॉस्टल और अन्य शिक्षण संस्थानों में सरस्वती पूजा उत्साह के साथ मनायी जाती है. लेकिन कुदरत की बेरुखी इसी तरह जारी रही तो, पंडालों में मूर्तियों की कमी हो जाएगी.

Intro: ठण्ड का असर मिट्टी के भगवानों पर भी ।


.........ठण्ड का सितम मिट्टी के बने भगवानों पर भी....। शीतलहर के कारण नहीं सुख रही हैं मूर्तियाँ....। मूर्तिकारों को हो रही भारी परेशानी.....। बीते कई दिनों से नहीं हो पाया हैं सूर्यदेवता का दर्शन....। मूर्तिकार करें तो क्या करें क्योंकि इसी महीने के अन्त में हैं विद्या की देवी सरस्वती पूजा का आयोजन...।


Body:मूर्तिकारों के सामने मिट्टी नहीं सूखने के कारण रंग - रोगन में हो रहीं हैं समस्या ।


पुआल के बने आकृति पर गीली मिट्टी का लेप चढ़ाते यह है मूर्तिकार देवनारायण.....। देवनारायण बीते पैंतीस सालों से मिट्टी के भगवान बनाते हैं । यह उनका पुश्तैनी धन्धा हैं ....। हर वर्ष मिट्टी के बने आकृति से किसी तरह परिवार के दो जून के रोटी का इंतजाम हो जाता हैं लेकिन इस बार कड़ाके की ठंड ने इन मूर्तिकारों के सामने समस्या ला खड़ी कर दी हैं । बीते कई दिनों से इलाके में चल रहे कोल्ड स्ट्राइक की वजह से मिट्टियाँ नहीं सूखती .....। गीली मिट्टियों के कारण हाथ काम नहीं करते और लगातार ठण्ड में खड़े रहने के कारण परेशानी दोगुनी हो गयी हैं । मूर्तिकार देवनारायण मंडल बताते हैं कि हर साल वह कम से कम माँ सरस्वती की कम से कम दो से ढाई सौ बनाते थे लेकिन इस बार काम को ठण्ड लग गयी हैं और ठण्ड के कारण सौ मूर्ति भी बमुश्किल बने । हाल यह हैं कि इस बार घर से घाटा लग गया हैं क्योंकि मिट्टी और पुआल के दाम नही निकल पा रहें .....। मूर्तिकार राजेश ने बताया कि ठण्ड ने बेड़ा गर्क कर डाला हैं । मूर्तियाँ सुख नहीं रही , अभी रंग - रोगन का काम बाकी हैं और महीने के अंत मे पूजा भी हैं । ग्राहक पूजा से दो दिन पहले मूर्तियाँ चाहते हैं । क्या करें , कुछ समझ मे नहीं आता ......।


Conclusion:पूजा उत्सव में बचे हैं महज कुछ ही दिन शेष ।


बिहार मेधावियों की धरती रही हैं । यही कारण हैं कि यहाँ के युवा , विद्या की देवी अधिष्ठात्री सरस्वती की पूजा बड़े धूमधाम और काफी तादाद में करते हैं । स्कूल - कॉलेज से लेकर कोचिंग , हॉस्टल और अन्य शिक्षण संस्थानों में सरस्वती पूजा बड़े धूमधाम से मनायी जाती हैं लेकिन कुदरत की इस तरह की कठोर बेरुखी जारी रही तो वह दिन दूर नहीं जब मिट्टी गीली राह जाने के कारण माटी के यह मूरत की जगह लोग कागजों वाली मूर्तियाँ पर पूजा - अर्चना को मजबूर होंगें .......।
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