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कटिहारः जिला उद्यान विभाग की अनोखी पहल, आयुर्वेदिक पौधों के संरक्षण के लिए बनाया नर्सरी - Horticulture Department

कटिहार-पूर्णिया मार्ग के रतौरा में जिला उद्यान विभाग ने पौधों की नर्सरी लगायी गयी हैं. जिसमें कई जिलों से लाकर औषधीय पौधे का संरक्षण किया जा रहा है.

जिला उद्यान विभाग की अनोखी पहल
जिला उद्यान विभाग की अनोखी पहल
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Published : Jan 5, 2020, 1:36 PM IST

कटिहारः भारत अनादिकाल से आयुर्वेद का देश रहा है. वर्तमान समय में आयुर्वेद का विस्तार और प्रयोग बड़े पैमाने पर हो रहा है. यहां 16 सौ से भी अधिक दुर्लभ प्रजाति के मेडिसन प्लांट पाए जाते है. हालांकि देखरेख के अभाव में यह समय के साथ मिटते जा रहे है.

इसी को लेकर जिले में उद्यान विभाग ने एक अनोखी पहल शुरू की है. जिसके तहत लुप्त हो रहे मेडिसन प्लांट को लगाया जा रहा है. दरअसल, जिले के कटिहार-पूर्णिया मार्ग के रतौरा में जिला उद्यान विभाग ने पौधों की नर्सरी लगायी गयी हैं. जिसमें कई जिलो से लाकर औषधीय पौधे का संरक्षण किया जा रहा है.

नर्सरी में लगाए गए पौधे
नर्सरी में लगाए गए पौधे

'आयुर्वेदिक औषधि के महत्व जाने लोग'
इस बाबत जिले के कृषि विभाग आत्मा के उपपरियोजना निदेशक एस के झा बताते हैं कि इस नर्सरी को लगाने का मकसद आम लोगों में आयुर्वेदिक औषधीय पौधे के महत्व के प्रति जागरूक करना था. उन्होंने बताया कि पूरे देश में 16 सौ से भी अधिक की संख्या में आयुर्वेदिक पौधे मिलते हैं. जिसमें अश्वगंधा, अतीस, भुआमलकी,बाह्मी,चिरायता,सफेद मूसली ,पत्थरचूर, सर्पगंधा समेत कई वरदान के रूप में उपलब्ध है. हालांकि आंग्रेजी दवाओं के बढ़ते प्रचलन के कारण लोग आयुर्वेद को भूलते जा रहे है. जिस वजह से इन पौधों के अस्तित्व पर संकट आ गया है.

पेश है एक खास रिपोर्ट

लुप्त होने के कगार पर है कई आयुर्वेदिक पौधे
इस बाबात आयुर्वेद के जानकार बताते है कि संरक्षण के अभाव में कई दुर्लभ प्रजाति के मेडिसन प्लांट लुप्त होने की कगार पर पहुंच गई है. आत्मा के उपपरियोजना निदेशक एस के झा बताते है कि हालांकि पहले की अपेक्षा लोगों में आयुर्वेद को लेकर काफी जागरूकता आई है.

एस के झा, उपपरियोजना निदेशक, आत्मा
एस के झा, उपपरियोजना निदेशक, आत्मा

जलवायु परिवर्तन से हो रहा औषधीय पौधों का नाश
गौरतलब है कि वैश्विक ताप में वृद्धि और जलवायु परिवर्तन के वजह से औषधीय पौधे लुप्त होने के कगार पर है. आयु्र्वेद के जानकार बताते है कि हिमालयी रेंज के 8 सौ से अधिक पौधे विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी है. यदि समय रहते इन औषधीय पौधों के संरक्षण की पहल नहीं हुई तो आयुर्वेद चिकित्सा पर संकट आ जाएगा.

पूरे विश्व में लगभग 25 सौ आयुर्वेदिक पौधे
बाताया जा रहा है कि पूरे विश्व में लगभग 25 सौ आयुर्वेदिक पौधे पाई जाती है. इनमें से 16 सौ से अधिक प्रजातियां भारत में पाई जाती है. इन औषधीय पौधों की सनातन उपयोगिता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि इनका कई वेदों में भी उल्लेख है.

कटिहारः भारत अनादिकाल से आयुर्वेद का देश रहा है. वर्तमान समय में आयुर्वेद का विस्तार और प्रयोग बड़े पैमाने पर हो रहा है. यहां 16 सौ से भी अधिक दुर्लभ प्रजाति के मेडिसन प्लांट पाए जाते है. हालांकि देखरेख के अभाव में यह समय के साथ मिटते जा रहे है.

इसी को लेकर जिले में उद्यान विभाग ने एक अनोखी पहल शुरू की है. जिसके तहत लुप्त हो रहे मेडिसन प्लांट को लगाया जा रहा है. दरअसल, जिले के कटिहार-पूर्णिया मार्ग के रतौरा में जिला उद्यान विभाग ने पौधों की नर्सरी लगायी गयी हैं. जिसमें कई जिलो से लाकर औषधीय पौधे का संरक्षण किया जा रहा है.

नर्सरी में लगाए गए पौधे
नर्सरी में लगाए गए पौधे

'आयुर्वेदिक औषधि के महत्व जाने लोग'
इस बाबत जिले के कृषि विभाग आत्मा के उपपरियोजना निदेशक एस के झा बताते हैं कि इस नर्सरी को लगाने का मकसद आम लोगों में आयुर्वेदिक औषधीय पौधे के महत्व के प्रति जागरूक करना था. उन्होंने बताया कि पूरे देश में 16 सौ से भी अधिक की संख्या में आयुर्वेदिक पौधे मिलते हैं. जिसमें अश्वगंधा, अतीस, भुआमलकी,बाह्मी,चिरायता,सफेद मूसली ,पत्थरचूर, सर्पगंधा समेत कई वरदान के रूप में उपलब्ध है. हालांकि आंग्रेजी दवाओं के बढ़ते प्रचलन के कारण लोग आयुर्वेद को भूलते जा रहे है. जिस वजह से इन पौधों के अस्तित्व पर संकट आ गया है.

पेश है एक खास रिपोर्ट

लुप्त होने के कगार पर है कई आयुर्वेदिक पौधे
इस बाबात आयुर्वेद के जानकार बताते है कि संरक्षण के अभाव में कई दुर्लभ प्रजाति के मेडिसन प्लांट लुप्त होने की कगार पर पहुंच गई है. आत्मा के उपपरियोजना निदेशक एस के झा बताते है कि हालांकि पहले की अपेक्षा लोगों में आयुर्वेद को लेकर काफी जागरूकता आई है.

एस के झा, उपपरियोजना निदेशक, आत्मा
एस के झा, उपपरियोजना निदेशक, आत्मा

जलवायु परिवर्तन से हो रहा औषधीय पौधों का नाश
गौरतलब है कि वैश्विक ताप में वृद्धि और जलवायु परिवर्तन के वजह से औषधीय पौधे लुप्त होने के कगार पर है. आयु्र्वेद के जानकार बताते है कि हिमालयी रेंज के 8 सौ से अधिक पौधे विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी है. यदि समय रहते इन औषधीय पौधों के संरक्षण की पहल नहीं हुई तो आयुर्वेद चिकित्सा पर संकट आ जाएगा.

पूरे विश्व में लगभग 25 सौ आयुर्वेदिक पौधे
बाताया जा रहा है कि पूरे विश्व में लगभग 25 सौ आयुर्वेदिक पौधे पाई जाती है. इनमें से 16 सौ से अधिक प्रजातियां भारत में पाई जाती है. इन औषधीय पौधों की सनातन उपयोगिता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि इनका कई वेदों में भी उल्लेख है.

Intro:उद्यान विभाग की अनोखी पहल , लगायी आयुर्वेदिक पौधे की नर्सरी ।


........समय के भागते फिरते दौड़ में आज हर व्यक्ति इलाज के नाम पर , ऑपरेशन के नाम पर , ट्रीटमेंट के नाम पर लाखों रुपये खर्च कर रहे हैं लेकिन भारत को भगवान का बड़ा वरदान प्राप्त हैं जहाँ सोलह सौ से ज्यादा आयुर्वेदिक पौधे पाये जाते है । अब इस आयुर्वेदिक पौधे में कुछ लुप्त होने को चले हैं । कटिहार में उद्यान विभाग ने ऐसे लुप्तप्राय कुछ मेडिसनल प्लांट को लगाने की अनोखी पहल शुरू की हैं जहाँ दुर्लभ प्रजाति के चालीस से अधिक पौधे की नर्सरी लगा एक नया प्रयोग किया गया हैं.....। मकसद हैं कि आम अवाम अपने इस प्राकृतिक धरोहर को जानें और खूबसूरत जिन्दगी में कुदरती फायदा प्राप्त करें......।


Body:नर्सरी में चालीस से अधिक पौधे गये हैं लगाये ।



यह दृश्य कटिहार के रौतारा का हैं जहाँ कटिहार - पूर्णिया मार्ग पर छोटे - छोटे पौधों की नर्सरी लगायी गयी हैं । दरअसल , आम पौधों की तरह दिखने वाला यह पौधा आयुर्वेदिक पौधा हैं जिसे कटिहार उद्यान विभाग की पहल पर भागलपुर से लाकर लगाया गया हैं । कटिहार कृषि विभाग आत्मा के उपपरियोजना निदेशक एस के झा बताते हैं कि इस नर्सरी को लगाने का मकसद आम लोगों को आयुर्वेदिक औषधि के महत्व को बताना हैं । हमारा भारत प्राकृतिक विविधताओं से भरा पड़ा हैं जहाँ सोलह सौ से अधिक तरह के आयुर्वेदिक पौधे मिलते हैं जिसमें अश्वगंधा , अतीस, भु आमलकी , बाह्मी , चिरायता , सफेद मूसली , पत्थरचूर , सर्पगंधा सहित कई प्रकार के पौधे हैं लेकिन अब इसमें से कुछ लुप्त होने के कगार पर हैं । अरावली पर्वत और आसपास के इलाको में यह पौधे खूब मिलते थे । कटिहार उद्यान विभाग ने एक पहल करके इस आयुर्वेदिक पौधों को विस्तारीकरण के मकसद से एक छोटी नर्सरी लगाये हैं ताकि आम आदमी इसको जाने , समझे .....।


Conclusion:आयुर्वेदिक दवा सेहत का खजाना , केवल इसे जानने की जरूरत ।


सामान्य से लगने वाले पेड़ - पौधे आश्चर्यजनक रूप से हमारे कई जटिल रोगों को ठीक कर सकते हैं । अगर हमें इसकी उपयोगिता मालूम हों तो हम इसकी मदद से कई रोगों को खत्म कर सकते हैं । सचमुच आयुर्वेद को सेहत का खजाना कहा जाये तो कोई अतिश्योक्ति नहीं । कटिहार उद्यान विभाग की यह पहल सराहनीय हैं......।
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