ETV Bharat / state

कटिहार: परेशान हैं आलू उत्पादक किसान, कम दाम पर फसल बेचने को मजबूर - आलू किसान परेशान

कटिहार में आलू उत्पादक किसान परेशान हैं. किसानों का कहना है कि मंदी के कारण लागत भी निकालने में पसीना छूट रहे हैं. एक एकड़ जीमन पर एक लाख रुपये की लागत में बमुश्किल आधे दाम निकलते हैं. जिस के कारण औने-पौने दामों में बिचैलियों को बेचने के लिए मजबूर हैं.

Potato farmers upset in Katihar
Potato farmers upset in Katihar
author img

By

Published : Mar 11, 2021, 2:15 PM IST

कटिहार: मंदी की वजह से आलू के दाम इतने गिर चुके हैं कि इस समय किसानों की लागत भी नहीं निकल पा रही है. किसानों का कहना है कि बीज समेत अन्य खर्चे बढ़ने के कारण इस बार आलू की लागत भी बढ़ी है, ऐसे प्रति एकड़ करीब चालीस से पचास हजार रुपये का घाटा सहना पड़ रहा हैं. ऐसे में किसान खेतों में अगली फसल लगाने के लिये अपनी हाड़-मांस की पसीने से उपजे फसल को बिचौलिये को बेचने को मजबूर हैं.

यह भी पढ़ें - थ्रीब्स की वजह से बर्बाद हो रही नेनुआ की फसल, किसानों को झेलना पड़ रहा आर्थिक नुकसान

बता दें कि यह दृश्य कटिहार के रौतारा इलाके का है, जहां जिले में बड़ी संख्या में किसान आलू की खेती करते हैं. अमूमन फरवरी के अंतिम सफ्ताह तक किसानों की आलू की फसल तैयार हो जाती हैं और किसान खेतों में अगली फसल लगाने के लिये निकाई-गुड़ाई कर खेत तैयार करने में जुट जाते हैं. लेकिन मार्च का महीना चढ़ चुका है और आलू उत्पादक किसानों के फसल अभी तक पूरी तरह से उखड़े नहीं हैं.

देखें वीडियो

नहीं पहुंच रहे हैं आलू के खरीददार
इसका वजह साफ है कि फसलों को उखाड़ने के प्रति किसानों में उत्साह नहीं हैं. जो इक्के-दुक्के किसान अपने आलू के फसल को उखाड़ भी रहे हैं तो उनकी परेशानी यह है कि आलू के खरीददार यानि व्यापारी उनतक नहीं पहुंच रहे हैं. ऐसे में स्थानिय बाजारों में आलू के कीमत पांच से छह सौ रुपये प्रति क्विंटल हैं. जबकि लागत ग्यारह सौ रुपये से अधिक है. ऐसे में किसान करे तो क्या करे, कुछ समझ नहीं आ रहा.

किसान मो. शफीकुल हक
किसान मो. शफीकुल हक

यह भी पढ़ें - बेतिया में किसान चौपाल का आयोजन, किसानों ने की नहर के जीर्णोद्धार की मांग

लागत भी निकालने में छूट रहे पसीने
किसान नुरुल होदा बताते हैं कि प्रति एकड़ आलू के फसल लगाने में एक लाख से ऊपर का खर्च आया, लेकिन अभी पचास से साठ हजार रुपये निकालने में पसीना छूट रहा हैं. खेतों में खुद से फसल उखाड़ते हैं, नहीं तो मजदूरों का मेहनताना भी अलग से एक समस्या हो जायेगी. वहीं, किसान मो. शफीकुल हक बताते हैं कि खेती में बड़ी परेशानी हैं, व्यापारी नहीं आ रहे हैं, जिससे माल बेच कुछ काम किये जा सकें.

कटिहार में आलू का उत्पादन
कटिहार में आलू का उत्पादन

यह भी पढ़ें - किसान ने खाता से पैसा निकालने को कहा, बैंक मैनेजर ने दी पुलिस बुलाने की धमकी

सरकार से निजात की गुहार
अब इन किसानों के सामने समस्या यह हैं कि यदि यह अपने फसल को स्टॉक में रखना चाहे, तो उसके लिये प्राइवेट कोल्ड स्टोर में जाकर स्टोर करनी पड़ेगी. जहां प्राइवेट कोल्ड स्टोर में महंगी बिजली, खेत से कोल्ड स्टोर ले जाने तक का किराये के साथ ऐसे अन्य खर्चे हैं, जिससे किसानों को तुरंत जेबें ढीली करनी पड़ेगी. ऐसे में इन किसानों की निगाहें सरकार पर जाकर टिक गई है कि सरकार कुछ करे ताकि यह किसान समस्या से उबर सकें.

कटिहार: मंदी की वजह से आलू के दाम इतने गिर चुके हैं कि इस समय किसानों की लागत भी नहीं निकल पा रही है. किसानों का कहना है कि बीज समेत अन्य खर्चे बढ़ने के कारण इस बार आलू की लागत भी बढ़ी है, ऐसे प्रति एकड़ करीब चालीस से पचास हजार रुपये का घाटा सहना पड़ रहा हैं. ऐसे में किसान खेतों में अगली फसल लगाने के लिये अपनी हाड़-मांस की पसीने से उपजे फसल को बिचौलिये को बेचने को मजबूर हैं.

यह भी पढ़ें - थ्रीब्स की वजह से बर्बाद हो रही नेनुआ की फसल, किसानों को झेलना पड़ रहा आर्थिक नुकसान

बता दें कि यह दृश्य कटिहार के रौतारा इलाके का है, जहां जिले में बड़ी संख्या में किसान आलू की खेती करते हैं. अमूमन फरवरी के अंतिम सफ्ताह तक किसानों की आलू की फसल तैयार हो जाती हैं और किसान खेतों में अगली फसल लगाने के लिये निकाई-गुड़ाई कर खेत तैयार करने में जुट जाते हैं. लेकिन मार्च का महीना चढ़ चुका है और आलू उत्पादक किसानों के फसल अभी तक पूरी तरह से उखड़े नहीं हैं.

देखें वीडियो

नहीं पहुंच रहे हैं आलू के खरीददार
इसका वजह साफ है कि फसलों को उखाड़ने के प्रति किसानों में उत्साह नहीं हैं. जो इक्के-दुक्के किसान अपने आलू के फसल को उखाड़ भी रहे हैं तो उनकी परेशानी यह है कि आलू के खरीददार यानि व्यापारी उनतक नहीं पहुंच रहे हैं. ऐसे में स्थानिय बाजारों में आलू के कीमत पांच से छह सौ रुपये प्रति क्विंटल हैं. जबकि लागत ग्यारह सौ रुपये से अधिक है. ऐसे में किसान करे तो क्या करे, कुछ समझ नहीं आ रहा.

किसान मो. शफीकुल हक
किसान मो. शफीकुल हक

यह भी पढ़ें - बेतिया में किसान चौपाल का आयोजन, किसानों ने की नहर के जीर्णोद्धार की मांग

लागत भी निकालने में छूट रहे पसीने
किसान नुरुल होदा बताते हैं कि प्रति एकड़ आलू के फसल लगाने में एक लाख से ऊपर का खर्च आया, लेकिन अभी पचास से साठ हजार रुपये निकालने में पसीना छूट रहा हैं. खेतों में खुद से फसल उखाड़ते हैं, नहीं तो मजदूरों का मेहनताना भी अलग से एक समस्या हो जायेगी. वहीं, किसान मो. शफीकुल हक बताते हैं कि खेती में बड़ी परेशानी हैं, व्यापारी नहीं आ रहे हैं, जिससे माल बेच कुछ काम किये जा सकें.

कटिहार में आलू का उत्पादन
कटिहार में आलू का उत्पादन

यह भी पढ़ें - किसान ने खाता से पैसा निकालने को कहा, बैंक मैनेजर ने दी पुलिस बुलाने की धमकी

सरकार से निजात की गुहार
अब इन किसानों के सामने समस्या यह हैं कि यदि यह अपने फसल को स्टॉक में रखना चाहे, तो उसके लिये प्राइवेट कोल्ड स्टोर में जाकर स्टोर करनी पड़ेगी. जहां प्राइवेट कोल्ड स्टोर में महंगी बिजली, खेत से कोल्ड स्टोर ले जाने तक का किराये के साथ ऐसे अन्य खर्चे हैं, जिससे किसानों को तुरंत जेबें ढीली करनी पड़ेगी. ऐसे में इन किसानों की निगाहें सरकार पर जाकर टिक गई है कि सरकार कुछ करे ताकि यह किसान समस्या से उबर सकें.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.