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कटिहार: विभागीय लापरवाही से लाखों की लागत का मोटर पंप बना कबाड़, सूख रहे हैं सैकड़ों पौधे - जुगाड़ टेक्नोलॉजी का सहारा

विभाग के रेंज ऑफिसर बी एल मंडल का कहना है कि फिलहाल नर्सरी में हजारों पौधे लगे हुए हैं. जिसे बचाने के लिए किसी तरह से जुगाड़ टेक्नोलॉजी का सहारा लेकर पुराने मोटर पंप और ट्यूबबेल का सहारा लिया जा रहा है.

मोटर पंप बना कबाड़
मोटर पंप बना कबाड़
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Published : Jan 2, 2020, 12:51 PM IST

कटिहार: प्रदेश की सरकार एक ओर जहां पर्यावरण को बचाने का नारा देते हुए जल जीवन हरियाली अभियान चला रही है. वहीं, दूसरी तरफ वन विभाग की नर्सरी में सैकड़ों पौधे सिंचाई के अभाव में सूख रहे हैं.

दरअसल, कटिहार-पूर्णिया मुख्य मार्ग पर अवस्थित वन विभाग की नर्सरी में सालों से मोटर पंप खराब पड़ा हुआ है. जिस वजह से पेड़-पौधे सूख रहे हैं.

खराब पड़ा मोटर पंप
खराब पड़ा मोटर पंप

लाखों की लागत से हुआ था निर्माण
बताया जाता है कि इस नर्सरी में पौधों को सींचने के लिए लाखों रूपये खर्च कर सालों पहले मोटर पंप लगाए थे. लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण रख-रखाव के अभाव में ये सभी उपकरण कबाड़ में तब्दील हो गए.

सिंचाई के लिए लगाया गया पाइप
सिंचाई के लिए लगाया गया पाइप

'एक दिन भी नहीं हुआ उपयोग'
इस बाबत, वन विभाग के रेंज ऑफिसर बी एल मंडल बताते हैं कि 'यह मोटर पंप कभी चालू नहीं किया गया. इसके बारे में और क्या कहा जा सकता है' नर्सरी के अधिकारियों की लापरवाही सामने आ रही है. लापरवाही के कारण पौधे अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'पुराने मोटर पंप से किया जा रहा काम'
विभाग के रेंज ऑफिसर बी एल मंडल का कहना है कि फिलहाल नर्सरी में हजारों पौधे लगे हुए हैं. जिसे बचाने के लिए किसी तरह से जुगाड़ टेक्नोलॉजी का सहारा लेकर पुराने मोटर पंप और ट्यूबबेल का सहारा लिया जा रहा है.

कटिहार: प्रदेश की सरकार एक ओर जहां पर्यावरण को बचाने का नारा देते हुए जल जीवन हरियाली अभियान चला रही है. वहीं, दूसरी तरफ वन विभाग की नर्सरी में सैकड़ों पौधे सिंचाई के अभाव में सूख रहे हैं.

दरअसल, कटिहार-पूर्णिया मुख्य मार्ग पर अवस्थित वन विभाग की नर्सरी में सालों से मोटर पंप खराब पड़ा हुआ है. जिस वजह से पेड़-पौधे सूख रहे हैं.

खराब पड़ा मोटर पंप
खराब पड़ा मोटर पंप

लाखों की लागत से हुआ था निर्माण
बताया जाता है कि इस नर्सरी में पौधों को सींचने के लिए लाखों रूपये खर्च कर सालों पहले मोटर पंप लगाए थे. लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण रख-रखाव के अभाव में ये सभी उपकरण कबाड़ में तब्दील हो गए.

सिंचाई के लिए लगाया गया पाइप
सिंचाई के लिए लगाया गया पाइप

'एक दिन भी नहीं हुआ उपयोग'
इस बाबत, वन विभाग के रेंज ऑफिसर बी एल मंडल बताते हैं कि 'यह मोटर पंप कभी चालू नहीं किया गया. इसके बारे में और क्या कहा जा सकता है' नर्सरी के अधिकारियों की लापरवाही सामने आ रही है. लापरवाही के कारण पौधे अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'पुराने मोटर पंप से किया जा रहा काम'
विभाग के रेंज ऑफिसर बी एल मंडल का कहना है कि फिलहाल नर्सरी में हजारों पौधे लगे हुए हैं. जिसे बचाने के लिए किसी तरह से जुगाड़ टेक्नोलॉजी का सहारा लेकर पुराने मोटर पंप और ट्यूबबेल का सहारा लिया जा रहा है.

Intro:वन विभाग के नर्सरी के मोटरों को खराबी का करंट , बदहाल ।

........बिहार सरकार एक ओर पर्यावरण को महफूज रखने के लिये हरियाली मिशन चला रहीं हैं । हर लोगों से अपने जीवन काल मे कम से कम एक पेड़ लगाने की अपील कर रही हैं लेकिन जिस नर्सरियों में पौधे जर्मीनेट किये जाते हैं , वहाँ भी सरकारी बाबुओं की लापरवाही.....बेजुबान पौधे चढ़ रहे हैं । सिंचाई के लिये लगा लाखों रुपये के यह मोटर पम्प बीते सात वर्षों से धरातल पर तो लगा लेकिन देखरेख और रखरखाव के कारण पड़े पड़े बेकार हो गया ......।


Body:बेजुबान पौधे पर हलक के प्यास बुझाने का संकट , अधिकारी बने मौन ।


कटिहार - पुर्णिया मुख्य मार्ग पर यह वन विभाग की नर्सरी हैं । यहाँ लगे हजारों बेजुबान पौधे के जिन्दगी पर संकट आ गया हैं लेकिन समस्या यह हैं कि यह बेजुबान अपनी बेबसी कैसे और किसे बताये......। दरअसल , समस्या यह हैं कि नर्सरी में पौधे को सींचने के लिये लाखों रुपये की लागत से जो मोटर और पम्प लगाये गये हैं , वह आजतक चालू ही नहीं हुए और सरकारी लापरवाही की वजह से रखे - रखे खराब हो गये । खराब होने वाले मोटरों में एक नहीं बल्कि सभी मोटर , बोरिंग , पानी टंकी रखरखाव और देखरेख के अभाव में खराब हो गये और कबाड़ में तब्दील हो गया हैं । स्थानीय वन विभाग के रेंज ऑफिसर बी एल मंडल बताते हैं कि यह जब से लगा हैं , एक दिन भी उपयोग में नहीं आया हैं और इसके बारे में और क्या कहा जा सकता हैं.....। नर्सरी के बोरिंग बाबुओं की लापरवाही की वजह से अपनी बदहाली के आँसू रो रहा हैं ......।


Conclusion:पुराने मोटरों से निकाला जा रहा काम , नहीं हुआ कोई इंतजाम ।


फ़िलहाल , इस नर्सरी में हजारों पौधे लगे हैं जिसमें पानी की सिंचाई जैसे - तैसे पुराने मोटरों या ट्यूबबेल के जरिये जुगाड़ टेक्नोलॉजी के सहारे की जाती हैं । पुराने मोटरों से दूर कई पौधे तो सिंचाई के कारण सुख गये तो कुछ मिट्टी की क्यारियाँ सिंचाई के कमी से खाली ही छोड़ दी गयी । अब देखना दिलचस्प होगा कि कब तक पौधारोपण के लिये सिंचाई के यह साधन दुरुस्त हो पातें हैं .......।
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