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कटिहार: गंगा और महानंदा में हो रहे कटाव से लोग चिंतित, रोकथाम के लिए नहीं हो रहा कोई उपाय - कटाव

विस्थापितों की ओर से कई बार राज्य सरकार, जिलाधिकारी और स्थानीय जनप्रतिनिधि को कटाव के बारे में अवगत करवाया गया है. लेकिन स्थिति जस की तस है.

people are worried about erosion in rivers in katihar
कटिहार में कटाव की समस्या
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Published : Dec 18, 2019, 3:10 PM IST

कटिहार: जिले में पिछले 40 वर्षों से गंगा और महानंदा से हो रहे कटाव के कारण 50 से ज्यादा गांव नदियों में समा गए हैं. लेकिन अभी तक कोई भी सरकारी मदद या कटाव निरोधक कार्य नहीं किए गए हैं, जिससे ग्रामीण सहमे हुए हैं.

खतरे में है मनिहारी रेलवे लाइन
जिले में गंगा और महानंदा में कटाव के कारण कटिहार तेजनारायणपुर रेलखंड पर खतरा मंडरा रहा है. वहीं, मनिहारी अनुमंडल के सिंगल टोला और गांधी टोला के पास रेलवे लाइन और गंगा नदी के बीच में महज 20 मीटर की दूरी रह गई है. यदि सरकार ने जल्द से जल्द कटाव निरोधक कार्य शुरू नहीं किया तो रेलवे लाइन के साथ-साथ वहां के सारे इलाके गंगा की गर्त में समा जाएंगे.

people are worried about erosion in rivers in katihar
नदी किनारे कटाव की समस्या से सहमे हुए हैं लोग

नदियों में विलीन हो चुकी हैं किसानों की जमीन
बता दें कि जिले के मनिहारी, अमदाबाद, प्राणपुर, बरारी और कुर्सेला में कटाव इस कदर जारी है कि किसानों के सैकड़ों एकड़ जमीन गंगा और महानंदा में विलीन हो गए हैं. ऐसे में लोग दहशत में हैं. साथ ही अपना घर-द्वार छोड़कर रेलवे लाइन के किनारे या फिर बांध पर शरण लिए हुए हैं. वहीं, कटाव के कारण जिले के कई सरकारी स्कूल के भवन भी नदी में डूब चुके हैं.

गंगा और महानंदा में हो रहे कटाव से लोग चिंतित

सरकार है उदासीन
ग्रामीण बताते हैं 40 वर्षों में सरकार ने कटाव को लेकर एक भी काम नहीं किया है. जिसके कारण उनके गांव बर्बाद हो चुके हैं. हर साल गंगा में 10 चैन कटाव होता है. जिससे किसानों की हजारों एकड़ जमीन नदी में विलीन हो जाती हैं. ग्रामीण ने कहा कि विस्थापितों की ओर से कई बार राज्य सरकार, जिलाधिकारी और स्थानीय जनप्रतिनिधि को इसके बारे में अवगत करवाया गया है. लेकिन स्थिति जस की तस है.

कटिहार: जिले में पिछले 40 वर्षों से गंगा और महानंदा से हो रहे कटाव के कारण 50 से ज्यादा गांव नदियों में समा गए हैं. लेकिन अभी तक कोई भी सरकारी मदद या कटाव निरोधक कार्य नहीं किए गए हैं, जिससे ग्रामीण सहमे हुए हैं.

खतरे में है मनिहारी रेलवे लाइन
जिले में गंगा और महानंदा में कटाव के कारण कटिहार तेजनारायणपुर रेलखंड पर खतरा मंडरा रहा है. वहीं, मनिहारी अनुमंडल के सिंगल टोला और गांधी टोला के पास रेलवे लाइन और गंगा नदी के बीच में महज 20 मीटर की दूरी रह गई है. यदि सरकार ने जल्द से जल्द कटाव निरोधक कार्य शुरू नहीं किया तो रेलवे लाइन के साथ-साथ वहां के सारे इलाके गंगा की गर्त में समा जाएंगे.

people are worried about erosion in rivers in katihar
नदी किनारे कटाव की समस्या से सहमे हुए हैं लोग

नदियों में विलीन हो चुकी हैं किसानों की जमीन
बता दें कि जिले के मनिहारी, अमदाबाद, प्राणपुर, बरारी और कुर्सेला में कटाव इस कदर जारी है कि किसानों के सैकड़ों एकड़ जमीन गंगा और महानंदा में विलीन हो गए हैं. ऐसे में लोग दहशत में हैं. साथ ही अपना घर-द्वार छोड़कर रेलवे लाइन के किनारे या फिर बांध पर शरण लिए हुए हैं. वहीं, कटाव के कारण जिले के कई सरकारी स्कूल के भवन भी नदी में डूब चुके हैं.

गंगा और महानंदा में हो रहे कटाव से लोग चिंतित

सरकार है उदासीन
ग्रामीण बताते हैं 40 वर्षों में सरकार ने कटाव को लेकर एक भी काम नहीं किया है. जिसके कारण उनके गांव बर्बाद हो चुके हैं. हर साल गंगा में 10 चैन कटाव होता है. जिससे किसानों की हजारों एकड़ जमीन नदी में विलीन हो जाती हैं. ग्रामीण ने कहा कि विस्थापितों की ओर से कई बार राज्य सरकार, जिलाधिकारी और स्थानीय जनप्रतिनिधि को इसके बारे में अवगत करवाया गया है. लेकिन स्थिति जस की तस है.

Intro:कटिहार

चारों ओर से नदियों से घिरे होने के कारण प्रत्येक वर्ष जिले में बाढ़ और कटाव भारी तबाही मचाती है। बाढ़ का पानी नदियों से उतरते ही कटाव अपना विकराल रूप ले लेती है जिससे कई गांव पर कटाव का साया मंडराने लगती है। जिले में पिछले 40 वर्षों से गंगा और महानंदा में हो रहे कटाव के कारण 50 से भी अधिक गांव नदियों में विलीन हो गई लेकिन सरकारी मदद और कटाव निरोधक कार्य नहीं की गई।


Body:Anchor_ जिले में गंगा और महानंदा में कटाव इस कदर जा रही है कि कटिहार तेजनारायणपुर रेलखंड पर भी खतरा आ पड़ा है। जिले के मनिहारी अनुमंडल के सिंगल टोला और गांधी टोला के समीप इस कदर जा रही है कि रेलवे लाइन और गंगा नदी के बीच में महज 20 मीटर की दूरी रह गई है। अगर जल्द ही सरकार कटाव निरोधक कार्य शुरू नहीं करती है तो रेलवे लाइन के साथ-साथ मनिहारी के आसपास के इलाका भी गंगा के गर्त में समा जाएगी।

V.O1_ बता दें कि जिले के मनिहारी, अमदाबाद, प्राणपुर, बरारी और कुर्सेला में कटाव इस कदर जारी है कि किसानों के सैकड़ों एकड़ कृषि योग्य जमीन गंगा और महानंदा में विलीन हो गए हैं। पिछले 40 वर्षों से जिले में हो रहे गंगा और महानंदा में कटाव के कारण 50 से भी अधिक गांव गंगा और महानंदा में विलीन हो गए हैं कटाव के कारण लोग दहशत में है और घर द्वार छोड़कर रेलवे लाइन के किनारे या फिर बांध पर शरण लिए हुए हैं लेकिन सरकार कटाव निरोधक कार्य पिछले 40 साल में एक बार भी नहीं किया और नजारा यह है कि अब ऐतिहासिक और धार्मिक मनिहारी गंगा घाट का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है।

V.O2_ मनिहारी के कटाव पीड़ित लोग बताते हैं 40 वर्षों से गंगा में कटाव हो रहा है जिस कारण मनिहारी अनुमंडल के सात पंचायत पूरी तरह गंगा में विलीन हो गया लेकिन सरकार की नजर अब तक इन इलाकों पर नहीं पड़ी है और ना ही कोई कटाव निरोधक कार्य शुरू किए गए हैं लिहाजा यहां के लोग दहशत में हैं और घर द्वार छोड़कर रेल लाइन के किनारे या बांध पर शरण लिए हुए हैं।
byte 1 मो साहब, कटाव पीड़ित

V.O3_ कटाव पीड़ित लोग बताते हैं प्रत्येक वर्ष गंगा में 10 चैन कटाव होता है जिससे किसानों की हजारों एकड़ जमीन गंगा में विलीन हो जाता है। जिस तरह से गंगा और महानंदा में कटाव हो रहा है उससे लगता है इस वर्ष मनिहारी रेलवे लाइन भी गंगा में समा जाएगी। रेलवे लाइन और गंगा के बीच महज 20 से 25 मीटर की दूरी रह गई है। अगर सरकार जल्द ही कटाव निरोधक कार्य शुरू नहीं करती है तो कटाव पीड़ित विस्थापित परिवार पूरे परिवार के साथ गंगा में डूब कर जान दे देगी।

byte2 सिंघेश्वर महतो, कटाव पीड़ित
byte3 राजेन्द्र कपड़ी, कटाव पीड़ित
byte4 सुखाडी महतो, कटाव पीड़ित


Conclusion:जिले में गंगा और महानंदा में हो रहे तेजी से कटाव के कारण लाखों लोग प्रभावित हुए हैं और शरण लेने के लिए रेलवे लाइन के किनारे या फिर बांध के किनारे बस गए हैं। गंगा और महानंदा में हो रहे कटाव के कारण जिले के कई सरकारी स्कूल के भवन भी गंगा में विलीन हो गए हैं। विस्थापितों के द्वारा कई बार राज्य सरकार, जिलाधिकारी और स्थानीय जनप्रतिनिधि को इस मुद्दे पर कार्य करने के लिए कहा गया लेकिन किसी ने भी नहीं सुनी। पूर्व सांसद निखिल चौधरी, तारिक अनवर और वर्तमान सांसद दुलाल चंद्र गोस्वामी ने भी गंगा और महानंदा में हो रहे तेजी से कटाव के मुद्दे को लोकसभा में रखा लेकिन ना हीं राज्य सरकार और ना ही केंद्र सरकार इस पर कोई पहल की है। अगर सरकार जल्द ही ऐसे कटाव वाले इलाके में कटाव निरोधक कार्य शुरू नहीं करती है तो कटिहार का ऐतिहासिक मनिहारी गंगा घाट गंगा में विलीन हो जाएगा।
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