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कटिहार: भारी बारिश से धान के खेतों में भरा पानी, फसल खराब होने की आशंका से किसान चिंतित - बीज

मूसलाधार बारिश के कारण खेतों में पानी भर गया है. धान की फसल पूरी तरह से डूब चुकी है. किसानों को डर है कि अगर जल्द पानी नहीं निकला तो फसल बर्बाद हो जाएगी.

भारी बारिश से खेतों में भरा पानी
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Published : Jul 12, 2019, 9:58 AM IST

कटिहार: जिले में मॉनसून के आगमन के साथ ही इलाके में भारी बारिश हुई है. इस बारिश के कारण किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. 5 दिन पहले जिस धान के बिचड़े को डीजल पंप और मोटर के जरिए पटवन कर खेतों में लगाए थे अब उस खेतों में पानी भर गया है. किसानों के मन में डर है कि अगर 4 से 5 दिनों के अंदर खेतों से पानी की निकासी नहीं हुई तो फसल खराब हो जायेंगे.

भारी बारिश से खेतों में भरा पानी

स्थानीय किसानों ने बताया कि पांच दिन पहले खेतों में फसल लगाने के लिए पानी की जरूरत थी. किसान सोच रहे थे कि धान की फसल कैसे लगाएं. उन्होंने कर्ज लेकर पंपसेट से खेतों का पटवन कर धान रोपनी की. लेकिन कुछ ही दिनों के बाद भारी बारिश के कारण खेतों में पानी भर गया है. खेत में लगे धान के बिचड़े पूरी तरह से डूब गए हैं.

दोहरी मार झेल सकते हैं किसान
किसानों ने अपना डर बताते हुए कहा कि यह पानी धान के पौधों के लिए फायदेमंद नहीं है. जल्द ही पानी निकासी नहीं हुई तो धान के फसल खराब हो जाएंगे. जिससे किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ सकती है. एक तो पहले ही किसान हजारों रूपये डीजल पंप के जरिए पटवन और खेतों की जुताई में खर्चे कर चुके हैं. ऐसे में बारिश की पानी खेतों में भर जाने से फसल नष्ट हो जाएंगे. जिससे किसानों को भारी घाटा होगा.

कटिहार: जिले में मॉनसून के आगमन के साथ ही इलाके में भारी बारिश हुई है. इस बारिश के कारण किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. 5 दिन पहले जिस धान के बिचड़े को डीजल पंप और मोटर के जरिए पटवन कर खेतों में लगाए थे अब उस खेतों में पानी भर गया है. किसानों के मन में डर है कि अगर 4 से 5 दिनों के अंदर खेतों से पानी की निकासी नहीं हुई तो फसल खराब हो जायेंगे.

भारी बारिश से खेतों में भरा पानी

स्थानीय किसानों ने बताया कि पांच दिन पहले खेतों में फसल लगाने के लिए पानी की जरूरत थी. किसान सोच रहे थे कि धान की फसल कैसे लगाएं. उन्होंने कर्ज लेकर पंपसेट से खेतों का पटवन कर धान रोपनी की. लेकिन कुछ ही दिनों के बाद भारी बारिश के कारण खेतों में पानी भर गया है. खेत में लगे धान के बिचड़े पूरी तरह से डूब गए हैं.

दोहरी मार झेल सकते हैं किसान
किसानों ने अपना डर बताते हुए कहा कि यह पानी धान के पौधों के लिए फायदेमंद नहीं है. जल्द ही पानी निकासी नहीं हुई तो धान के फसल खराब हो जाएंगे. जिससे किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ सकती है. एक तो पहले ही किसान हजारों रूपये डीजल पंप के जरिए पटवन और खेतों की जुताई में खर्चे कर चुके हैं. ऐसे में बारिश की पानी खेतों में भर जाने से फसल नष्ट हो जाएंगे. जिससे किसानों को भारी घाटा होगा.

Intro:कटिहार

झमाझम बारिश ने कटिहार में किसानों की बजा दी है बैंड। 5 दिन पहले जिस धान के बिचड़े को डीजल पंप और मोटर के जरिए पटवन कर खेतों में लगाए थे अब उस खेतों में फैल गया है बारिश का पानी जिससे आशंका है कि 4 से 5 दिनों के अंदर खेतों से पानी की निकासी नहीं होगी तो फसल नष्ट हो सकता है और पौधे खत्म हो सकते हैं।लिहाजा किसान परेशान हैं करे तो क्या करें माथा पीट भगवान का नाम ले रहे हैं।


Body:पानी से लबालब भरा यह खेत 5 दिन पहले पटवन के लिए तड़प रहा था किसान परेशान थे कि धान की फसल खेतों में कैसे लगाएं। साहूकारों से कर्ज लिए,पंप सेट और बोरिंग के जरिए खेतों में पटवन की और दिहाड़ी मजदूरी पर लोगों को रख खेतों में धान की रोपनी लगाई लेकिन कुदरत का करिश्मा देखिए डीजल पंप सेट से खेतों की पटवन कर धान का पौधा लगाएं 24 घंटे भी नहीं गुजरे थें की मानसून का आगाज हो गया। झमाझम बारिश का सिलसिला 5 दिन पहले जिला में चला था इस बारिश ने धान रोपनी किए गए फसल को अपने आगोश में ले लिया और अब खेतों में लबालब पानी भर गया है।

किसान बताते हैं यह पानी धान के पौधों के लिए फायदेमंद नहीं है और जल्द ही जल निकासी नहीं हुई तो धान का फसल नष्ट हो जाएगा जिससे किसानों को दोहरी मार हो सकती है। एक तो पहले ही हजारों रूपए डीजल पंप के जरिए पटवन में और खेतों की जुताई में लग गए हैं ऐसे में बारिश की पानी खेतों में भर जाने से फसल का नष्ट होना तय है और पैदावार भी कम होगी जिससे किसान घाटे में चले जाएंगे।


Conclusion:आज देश में किसानी जुए की समान हो गई है यदि किस्मत ने साथ दिया तो शाह बन गए और अगर किस्मत ने साथ नहीं दिया तो सारी मेहनत बेकार हो जाएगी।आज कटिहार में किसानों की यही हालात है कि निचले इलाकों में पानी फैल गया है और किसान अपनी फसल को पानी में नष्ट होते देख तिल तिल कर मर रहे हैं। किसानों की मानें तो निचले इलाकों में जल निकासी के लिए सरकार ने कोई समुचित व्यवस्था नहीं की है जिसके कारण खेतों में 4-5 फुट तक पानी जमा हो जाती है जिसके कारण फसल नष्ट हो जाते हैं।
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