कटिहार: महानंदा नदी में आयी बाढ़ के प्रकोप से बचाव के लिए बारह सौ किलोमीटर बांध का निर्माण किया जा रहा. राज्य सरकार ने महानंदा नदी बाढ़ प्रबंधन पुनरीक्षित योजना को मंजूरी दी है. कटिहार समेत सीमांचल के चार जिलों को इसका लाभ मिलेगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तटबंध निर्माण को बनाने की मंजूरी दी है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया निरीक्षण
21 जुलाई को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बाढ़ प्रभावित कटिहार जिले के कदवा प्रखंड में सामुदायिक किचेन का निरीक्षण करने पहुंचे थे. निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री के साथ जलसंसाधन विभाग के अधिकारियों की उच्च स्तरीय कमेटी भी आई थी. जो सीमांचल में सैलाब से तबाही मचाने वाली महानंदा नदी के उपाय के उद्देश्य से पहुंची थी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद मानचित्र के जरिये एक- एक कर नये तटबन्ध निर्माण, बाढ़ से आबादी को बचाने के तरीके का बारीकी से निरीक्षण किया था.
तटबंध निर्माण पर लगी मुहर
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पटना लौटने के चन्द दिनों बाद जलसंसाधन विभाग ने नये तटबंध निर्माण पर अपनी मुहर लगा दी. 1200 किलोमीटर बनने वाले इस नए तटबन्ध के लिये फिलहाल जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. जमीन अधिग्रहित होते ही निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी जायेगी. योजना के तहत पहले चरण में बनने वाले इस बांध से रतवा और नागर नदी से भी सुरक्षा मिलेगी. यह बांध कटिहार, पूर्णिया, अररिया और किशनगंज जिलों के लगभग पचास लाख से अधिक की आबादी को सैलाब से महफूज रखा जा सकेगा.
882 करोड़ रुपये खर्च करेगी राज्य सरकार
200 किलोमीटर बांध निर्माण पर राज्य सरकार 882 करोड़ रुपये खर्च करेगी. महानन्दा नदी पर यह बांध निर्माण महानन्दा के बाएं तट पर किशनगंज जिले के कुट्टीघाट से कटिहार जिले के बागडोव तक 46.02 किलोमीटर तक बांध बनेगा. इसके साथ ही दाएं तट पर कुट्टीघाट से कटिहार के झौआ तक 66.23 किलोमीटर तक लंबा बांध बनेगा. इसके अलावा योजना में नागर नदी के दायें तट पर 20.10 किलोमीटर और तरवा नदी के बायें और दायें दोनों तटों पर 66.02 किलोमीटर लम्बा बांध बनेगा. योजना के अनुसार पूरे बांध पर दस सलुइस गेट भी बनाए जाएंगे.
1200 किलोमीटर बनेगा बांध
सांसद दुलाल चन्द्र गोस्वामी ने कहा बिहार सरकार के इस महत्वकांक्षी योजना की नींव सीएम के बीते महीने कटिहार दौरे के दौरान ही पड़ गयी थी. जिसकी रजामंदी राज्य सरकार ने भी अब दे दी है. 1200 किलोमीटर बनने वाले इस बांध से सीमांचल इलाके में बाढ़ के समय या नेपाल से पानी छोड़े जाने पर जो सैलाब का मंजर होता है, उससे अब निजात मिल सकेगा. गौरतलब है कि हिमालय से उदगम होने वाली महानन्दा नदी पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग होते हुए किशनगंज से बिहार में प्रवेश करती है और कटिहार जिले के बारसोई, आजमनगर, अमदाबाद होते हुए आगे गंगा नदी में मिल जाती है.