कटिहार: जिले के जाने-माने साहित्यकार डॉ. बी बी गिरी के निधन के बाद सांसद दुलाल चन्द्र गोस्वामी शोक संतप्त परिवार से मिलने उनके आवास पर पहुंचे. जहां उन्होंने दिवंगत साहित्यकार के चित्र पर पुष्प अर्पित किया.
इस दौरान उन्होंने डॉ. बी बी गिरी के कई साहित्यिक पुस्तकों का अवलोकन भी किया. मौके पर सांसद ने कहा कि डॉ. गिरी का निधन न केवल जिले के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है. साहित्य के क्षेत्र में उनका योगदान युगों-युगों तक आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा रहेगी.
'हिन्दी साहित्य के एक बड़े स्तंभ थे डॉ. गिरी'
सासंद दुलाल चन्द्र गोस्वामी ने दिवंगत साहित्कार के परिजनों से भेंट करने के बाद ईटीवी भारत की टीम से बात करते हुए कहा कि वे हिन्दी साहित्य के एक बड़े स्तंभ थे. बहुमुखी प्रतिभा के साथ-साथ वे अपने व्यापक दृष्टिकोण के लिए मशहुर थे. उनकी कमी हमेशा खलती रहेगी.
'140 से अधिक पुस्तकों का किया लेखन'
इस, मौके पर डॉ. गिरी के बेटे डॉ. प्रणव ने बताया कि उन्होंने लगभग 140 से अधिक पुस्तकों का लेखन कार्य किया था. जिसमें इंडिया, कास्ट कल्चर एंड ट्रेडिशन और ' इलीगल माइग्रेशन फ्रॉम बांग्लादेश' काफी प्रमुख रही है. वे नई दिल्ली स्थित भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के चेयरमैन के अलावे नागालैंड के साइंस कॉलेज के प्रिंसिपल भी रह चुके थे. डॉ. प्रणव ने बताया कि उनका लेखन कार्य से लगाव ताउम्र रहा. अंत समय तक वे दो पत्रिकाओं का संपादन करते रहे.