कटिहार: सरकार के गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के दावों की आए दिन पोल खुल रही है. जिले के हरिजन पाठशाला में वर्ग 1 से 5 तक के बच्चों की पढ़ाई एक ही कमरे में चलती है. साथ ही विद्यालय का कार्यालय और एमडीएम का भोजन भी उसी एक कमरे में चल रहा है. जबकि यह स्कूल किसी ग्रामीण इलाके का नहीं है, बल्कि शहर के बीचों-बीच स्थित है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कटिहार आए थे. तो सरकार ने बापू की स्मृति में मासूमों के लिए यह स्कूल खोला था, लेकिन इस विद्यालय के विकास पर अधिकारी पल्ला झाड़ रहे हैं.
राष्ट्रपिता की याद में स्थापना
कटिहार रेलवे स्टेशन से लगभग 100 मीटर की दूरी पर यह विद्यालय बसा है. बताया जा रहा है कि 1934 में जब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी असम दौरे पर थे. तो कुछ देर के लिए कटिहार आए थे. तभी तत्कालीन सरकार ने उक्त स्थल पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की याद में इस विद्यालय की स्थापना की थी.
विद्यालय बना गोदाम
आजादी के पहले स्थापित हुए इस स्कूल को आज करीब 85 साल पूरे हो चुके हैं. लेकिन शिक्षा विभाग की लापरवाही से यह स्कूल गोदाम में तब्दील हो गया है. एक ही कमरे में बच्चे, शिक्षक, एमडीएम और विद्यालय का दफ्तर है. साथ ही कमरे में विद्यालय के अन्य सामान भी पड़े हुए है. वहीं, विद्यालय की प्राचार्या सवालों के कोरम को ही पूरा करने में लगी रहती हैं, लेकिन विद्यालय का विकास कैसे हो इस पर रत्तीभर भी ध्यान नहीं देती है.
विकास के नाम पर करते हैं गोल-गोल बातें
विद्यालय के जिला शिक्षा पदाधिकारी देवविंद सिंह ने स्कूल का नाम हरिजन पाठशाला से बदलकर अनुसूचित जनजाति पाठशाला कर दिया है. अधिकारी सिर्फ विकास के नाम पर गोल-गोल बातें करते है. शिक्षा पदाधिकारी ने सफाई देते हुए कहा कि जिस जगह पर विद्यालय स्थापित है, वहां जगह की कमी है. लेकिन आने वाले समय में विद्यालय को स्थानांतरित करने पर विभाग विचार कर रहा है.
शोरगुल की आती है आवाजें
वर्तमान में इस पाठशाला में 40 बच्चे और 2 शिक्षक है. लेकिन बैठने की दिक्कतों के वजह से यहां अधिकांश बच्चे आते ही नहीं और जो आते भी है, वो दिक्कतों की वजह से पढ़ ही नहीं पाते है. और तो और विद्यालय के बाहर से हमेशा जेनरेटर की आवाजें आती रहती है. विद्यालय के मुख्य गेट पर कपड़ों का दुकान लगा रहता है.
अधिकारियों की लापरवाही
बिहार में सर्व शिक्षा अभियान के तहत सभी विद्यालयों को अपनी जमीन और मकान मिल चुके हैं. लेकिन भारत की आजादी से पहले स्थापित हुआ, हरिजन पाठशाला अधिकारियों की लापरवाही की वजह से जर्जर पड़ा हुआ है. एक कमरे के स्कूल में ही शिक्षक अपनी नौकरी कर रहे हैं. साथ ही बच्चे भी किसी तरह से आधी-अधूरी पढ़ाई कर रहे हैं. ऐसे में अगर सरकार इस विद्यालय पर ध्यान नहीं देगी, तो बच्चों का भविष्य क्या होगा.