ETV Bharat / state

कटिहारः लोगों को सताने लगा है मौत का डर, सरकारी आसरा छोड़ खुद ही नाव बनाने में जुटे लोग

एक छोटी नाव बनाने में पच्चीस से तीस हजार रुपये लागत आती है. सरकारी नावें इस इलाके के लोगों को मयस्सर नहीं हैं. इसलिए ये गरीब अपनी जान बचाने के लिए खुद ही नाव बना रहे हैं.

नाव
author img

By

Published : Jul 20, 2019, 9:46 AM IST

कटिहारः बाढ़ को लेकर जिला प्रशासन लाख दावे कर ले लेकिन सैलाबजदा इलाके में लोगों को सरकारी नाव नहीं मिल पा रही है. पानी एक इलाकों से बहकर दूसरे इलाकों में फैल रहा है. जिससे उस इलाके को लोग दहशत में हैं. बाढ़ के कहर से खुद को बचाने के लिए अब यहां के लोग नाव बनाने में जुट गए हैं.

boat
नाव बना रहे लोग

खुद ही नाव बनाने में लगे हैं लोग
दरअसल, कटिहार के प्राणपुर के लोग आवागमन बहाल करने के लिये सरकारी मदद का आसरा छोड़ खुद ही नाव बनाने में लगे हैं. जिले के प्राणपुर इलाके में धीरे-धीरे पानी फैल रहा है. कटिहार के कदवा प्रखण्ड में जहां इस बार नेपाल से आये पानी ने भारी तबाही मचायी है. लेकिन अब वहां धीरे-धीरे पानी कम होना शुरू होकर नये इलाके प्राणपुर की ओर बहने लगा है.

flood
नदी में उफान मारता पानी

सरकारी नावें मयस्सर नहीं
प्राणपुर के निचले इलाके जलमग्न हो गए हैं. इस इलाके में सरकारी नावें चल नहीं रही हैं. मुसीबत से जूझने के लिये लोग खुद अपने पैसे पर नावों का निर्माण कर रहें हैं. इनकी मानें तो एक छोटी नाव जिस पर पांच से सात व्यक्ति बैठ सकतें हैं, उसके बनाने में पच्चीस से तीस हजार रुपये लागत आती है. सरकारी नावें इस इलाके में लोगों को मयस्सर नहीं हैं.

नाव बनाने में जुटे लोग

तीन लाख लोग बाढ़ से प्रभावित
जिले में यदि सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो तीन लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हैं. करीब 125 सरकारी नावें लोगों के आवागमन के लिये चलाई जा रही हैं. जो ऊंट के मुंह में जीरे के समान है. अब सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर बाढ़ पीड़ित सरकारी नावों के भरोसे पर रह जाये तो जिन्दगी मुश्किलों में पड़ जाएगी.

कटिहारः बाढ़ को लेकर जिला प्रशासन लाख दावे कर ले लेकिन सैलाबजदा इलाके में लोगों को सरकारी नाव नहीं मिल पा रही है. पानी एक इलाकों से बहकर दूसरे इलाकों में फैल रहा है. जिससे उस इलाके को लोग दहशत में हैं. बाढ़ के कहर से खुद को बचाने के लिए अब यहां के लोग नाव बनाने में जुट गए हैं.

boat
नाव बना रहे लोग

खुद ही नाव बनाने में लगे हैं लोग
दरअसल, कटिहार के प्राणपुर के लोग आवागमन बहाल करने के लिये सरकारी मदद का आसरा छोड़ खुद ही नाव बनाने में लगे हैं. जिले के प्राणपुर इलाके में धीरे-धीरे पानी फैल रहा है. कटिहार के कदवा प्रखण्ड में जहां इस बार नेपाल से आये पानी ने भारी तबाही मचायी है. लेकिन अब वहां धीरे-धीरे पानी कम होना शुरू होकर नये इलाके प्राणपुर की ओर बहने लगा है.

flood
नदी में उफान मारता पानी

सरकारी नावें मयस्सर नहीं
प्राणपुर के निचले इलाके जलमग्न हो गए हैं. इस इलाके में सरकारी नावें चल नहीं रही हैं. मुसीबत से जूझने के लिये लोग खुद अपने पैसे पर नावों का निर्माण कर रहें हैं. इनकी मानें तो एक छोटी नाव जिस पर पांच से सात व्यक्ति बैठ सकतें हैं, उसके बनाने में पच्चीस से तीस हजार रुपये लागत आती है. सरकारी नावें इस इलाके में लोगों को मयस्सर नहीं हैं.

नाव बनाने में जुटे लोग

तीन लाख लोग बाढ़ से प्रभावित
जिले में यदि सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो तीन लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हैं. करीब 125 सरकारी नावें लोगों के आवागमन के लिये चलाई जा रही हैं. जो ऊंट के मुंह में जीरे के समान है. अब सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर बाढ़ पीड़ित सरकारी नावों के भरोसे पर रह जाये तो जिन्दगी मुश्किलों में पड़ जाएगी.

Intro:......कटिहार में जिला प्रशासन लाख दावें कर लें लेकिन सैलाबजदा इलाके में नावें लोगों को मय्यसर नहीं हो पा रही है । पानी जिस इलाकों से बहकर दूसरे इलाकों में फैल रहा हैं , अब वहाँ के लोग दहशत में हैं । कटिहार के प्राणपुर में लोग आवागमन बहाल करने के लिये खुद ही कर रहें हैं कश्तियाँ का निर्माण .....।


Body:यह दृश्य जिले के प्राणपुर इलाके का है जहाँ धीरे - धीरे पानी फैल रहा हैं । दरअसल ,कटिहार के कदवा प्रखण्ड में जहाँ इस बार नेपाल से आये ' जल आफत ' ने भारी तबाही मचायी थी , अब वहाँ धीरे - धीरे पानी कम होना शुरू होकर नये इलाके प्राणपुर की ओर बहाव होने लगा हैं लिहाजा इस ओर के निचले इलाके जलमग्न हो रहें हैं । इस इलाके में सरकारी नावें चल नहीं रही है और लोग खुद मुसीबत से जूझने के लिये अपने पैसे पर नावों का निर्माण कर रहें हैं ......। इनकी मानें तो एक छोटी नावें , जिस पर पांच से सात व्यक्ति आर -पार कर सकतें हैं ,पर बीस से पच्चीस हजार रूपये लागत आता हैं , बना लेते हैं ......। सरकारी नावें इस इलाके में लोगों को मयस्सर तक नहीं हैं .....।


Conclusion:कटिहार जिले में यदि सरकारी आँकड़ों पर गौर करें तो तीन लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हैं और करीब 125 सरकारी नावे लोगों के आवागमन के लिये चलायी जा रही हैं जो ऊँट के मुँह में जीरे के समान हैं । अब सहज ही अंदाज़ा लगाया जा सकता हैं कि यदि बाढ़ पीड़ित सरकारी नावों के भरोसे रह जाये तो जिन्दगी मुश्किलों में पड़ जायेगी .......।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.