कटिहारः जिले में खेती का ट्रेंड बदलने लगा है. परंपरागत खेती को छोड़ अब जिले के किसान कैश क्रॉप्स की खेती करने लगे हैं. यहां के कई किसानों का रुझान ड्रैगन फ्रूट की खेती की ओर बढ़ रहा है. जिसमें परंपरागत खेती से कई गुना ज्यादा फायदा है.
आधुनिक खेती की तरफ किया रुख
दरअसल ड्रैगन फ्रूट की खेती में एक बार की लागत में सालों तक मुनाफा होता है. कटिहार जिला धान, मक्का और केले की खेती के लिए जाना जाता है. लेकिन जिले में हर साल आने वाली बाढ़ के कारण धान और मक्के की फसल बर्बाद हो जाती है. जिस कारण किसानों को काफी नुकसान सहना पड़ता है. ऐसे में किसान परंपरागत खेती का ट्रेंड बदल कर अब आधुनिक खेती की ओर निकल पड़े हैं.
समृद्धि की ओर बढ़ रहे हैं किसान
कैश क्रॉप्स की खेती में किसानों को तिगुना और चौगुना फायदा होता है. यही वजह है कि जिले के दर्जनों किसानों का रुझान ड्रैगन फ्रूट की खेती की ओर बढ़ रहा है. जिले के कोढ़ा प्रखंड के मवैया गांव में एक किसान ने 6 कट्ठा में ड्रैगन फ्रूट की खेती की शुरुआत की है और समृद्धि की ओर बढ़ रहे हैं. जिले के दर्जनों किसान कैश क्रॉप यानी ड्रैगन फ्रूट की खेती करके दोगुना मुनाफा कमा रहे हैं.
200-400 रुपये प्रति किलो है कीमत
किसान अजय कुमार बताते हैं-परंपरागत खेती में काफी नुकसान हो रहा था, जिस कारण कैश क्रॉप्स की खेती शुरू की. इन्होंने बताया एक पौधे में 5 से 8 किलो फल हर साल मिल जाता है. 300 से 500 ग्राम वजन वाले इस फल के सीजन में 200 रुपये से 400 रुपये प्रति किलो की कीमत मिल जाती है. जो फल मंडी में आसानी से बिक जाता है. अजय बताते हैं 6 कट्ठे की खेती में करीब 7हजार का खर्च आ चुका है और एक पौधे की कीमत करीब 100 रुपये होती है.
सालों तक मिलता है इसका फायदा
पौधे के रखरखाव और इसकी उचित वृद्धि के लिए पौधे के साथ सीमेंट का पिलर खड़ा कर दिया जाता है. पौधे में फल लगना मई जून के महीने से शुरू हो जाता है और नवंबर दिसंबर तक लगता रहता है. ड्रैगन फ्रूट की खेती में एक बार पूंजी लगती है और सालों तक इसका फायदा मिलता रहता है.
दूसरे राज्यों में भी है इसकी मांग
किसानों की माने तो एक बार पौधा तैयार होने के बाद इससे लंबे समय तक फल निकलता है. फल को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए किसान जैविक उर्वरक का प्रयोग करते हैं. इस फल का डिमांड पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे बड़े शहरों में होता है. इस फल की खेती करके कटिहार जिले के किसान काफी खुशहाल हो रहे हैं और कई गुना मुनाफा भी कमा रहे हैं.
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सरकार बना रही है योजनाएं
कोढ़ा प्रखंड के उद्यान पदाधिकारी अमित कुमार पांडे बताते हैं कि बिशनपुर पंचायत के मवैया गांव के अजय कुमार करीब 6 कट्ठा में ड्रैगन फ्रूट की खेती किए हुए हैं. फिलहाल सरकार के जरिए ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए कोई अनुदान राशि नहीं है लेकिन इसके लिए सरकार कोशिश कर रही है और ऐसे किसानों के लिए सरकार योजनाएं भी बना रही है. इन किसानों के खेतों में ड्रिप इरिगेशन लगाया जा रहा है.
जानें क्या हैं इसके फायदें
ड्रैगन फ्रूट स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होने के साथ ही अन्य बीमारियों में कारगर है. इसका उपयोग डायबटीज, कैंसर सहित दिल के मरीजों के उपचार में किया जाता है. जबकि पोषण तत्वों से भरपूर होने के कारण यह सामान्य लोगों के लिए भी काफी उपयोगी है.ड्रैगन फ्रूट में विटमिन सी काफी मात्रा में पाया जाता है. ये कैंसर के खतरे को कम करता है. ड्रैगन फ्रूट को पिताया फल के नाम से भी जाना जाता है.