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लॉकडाउन इफेक्ट: लोगों से गुलजार रहने वाले कटिहार के शहीद स्तंभ पार्क में पसरा है सन्नाटा - Shaheed Pillar Parks hall in lockdown

लॉकडाउन ने लोगों की जिंदगी के पहिए पर लगाम लगा दिया है. हालांकि, अब कई रियायतें मिलने के बाद लोगों की चहलकदमी बढ़ी हैं. लेकिन अभी भी पार्क, सिनेमाघरों जैसे भीड़भाड़ वाले सार्वजनिक जगहों पर लॉकडाउन की वजह से पूरी तरह से बंदिशें हैं.

कटिहार
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Published : May 30, 2020, 1:50 PM IST

कटिहार: 'शहीदों की चिताओं पर लगेगें हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा' शहीदों की कुर्बानी को याद रखने के लिये लिखी गई ये पंक्तियां, कटिहार के उन तेरह आजादी के दीवानों की याद ताजा कर देती हैं. जिसने वतन की आजादी के लिए अपने सीने पर हंसते-हंसते गोलियां खाकर देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर डाले थे.

जिला प्रशासन ने इन वीर सपूतों की याद में शहीद स्तंभ पार्क का निर्माण किया था. लेकिन लॉकडाउन की वजह से आज यहां सन्नाटे का कब्जा है. दिन भर लोगों की चहल कदमी से गूंजने वाले इस शहीद पार्क में चारों तरफ खामोशी है.

कटिहार
पार्क में खिले फूल

फव्वारे वाली जगह पर गंदगी का अंबार
लॉकडाउन ने लोगों की जिंदगी के पहिए पर लगाम लगा दिया है. हालांकि, अब कई रियायतें मिलने के बाद लोगों की चहलकदमी बढ़ी हैं. लेकिन अभी भी पार्क, सिनेमाघरों जैसे भीड़ भाड़ वाले सार्वजनिक जगहों पर लॉकडाउन की वजह से पूरी तरह बंदिशें हैं. कटिहार के शहीद पार्क पर भी लॉकडाउन ने गहरा असर डाला है. लोगों की चहलकदमी से गूंजने वाले इस पार्क में बीते दो महीने से अधिक समय से कोई घूमने नहीं आया है. जिस कारण यहां सन्नाटा पसरा है. लोगों की आवाजाही नहीं होने की वजह से रख-रखाव के अभाव में फव्वारे वाली जगह पर गंदगी का अंबार है.

कटिहार
साफ-सफाई भी हुई प्रभावित

कोरोना के खौफ ने लोगों को पार्क से किया दूर
इस समय शहीद स्तंभ पार्क की स्थिति बेहद खराब है. लोगों के बैठने के लगाए गए प्लेटफार्म भी दरककर टूटने लगे हैं. फूलों की डालियां बेतरतीब बढ़ गई हैं. साथ ही जहां-तहां उगे खर-पतवारों को कोई साफ करने नहीं वाला है. स्थानीय दीपक कुमार बताते हैं कि लॉकडाउन से पहले सुबह से शाम तक लोग यहां घूमने आते थे. लेकिन लॉकडाउन की वजह से सभी घरों में कैद हो गए और शहीद पार्क बदहाल हो गया. स्थानीय राहुल यादव ने कहा कि लॉकडाउन से पहले पार्क काफी गुलजार रहता था. लोगों की चहलकदमी होती थी. बच्चों से लेकर बूढ़े तक सभी यहां घूमने आते थे. साथ ही स्थानीय युवा भी वर्जिश करने आते थे. लेकिन अब कोरोना के खौफ ने सभी को इससे दूर कर दिया.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

13 अगस्त 1942 को तेरह लोगों ने दी थी कुर्बानी
वहीं, शहीद पार्क के केयर-टेकर दिनेश पासवान बताते हैं कि देश में लॉकडाउन लागू होने के बाद यहां कोई नहीं आता है. गौरतलब है कि 13 अगस्त 1942 को भारत की स्वतंत्रता के लिये कटिहार के धुर्व कुंडू, रामाशीष सिंह, रामाधार सिंह, बिहारी साह, भूसी साह, कलानन्द मंडल, फूलों मंडल, नाटाय यादव, नाटाय तियर, लालजी मंडल, भूकरु मंडल और झबरू मंडल झौआ ने अंग्रेजों से मुकाबला करते हुए शहीद हो गए थे. बता दें कि कटिहार के नगर थाने के सामने जिस जगह पर यह सभी अंग्रेजों से लड़ते हुए शहीद हुए थें. उस स्थान को आज शहर में शहीद चौक के नाम से जाना जाता है. जिला प्रशासन ने उन्हीं वीर सपूतों की याद में कटिहार के इस शहीद स्तम्भ पार्क का निर्माण कराया था.

कटिहार: 'शहीदों की चिताओं पर लगेगें हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा' शहीदों की कुर्बानी को याद रखने के लिये लिखी गई ये पंक्तियां, कटिहार के उन तेरह आजादी के दीवानों की याद ताजा कर देती हैं. जिसने वतन की आजादी के लिए अपने सीने पर हंसते-हंसते गोलियां खाकर देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर डाले थे.

जिला प्रशासन ने इन वीर सपूतों की याद में शहीद स्तंभ पार्क का निर्माण किया था. लेकिन लॉकडाउन की वजह से आज यहां सन्नाटे का कब्जा है. दिन भर लोगों की चहल कदमी से गूंजने वाले इस शहीद पार्क में चारों तरफ खामोशी है.

कटिहार
पार्क में खिले फूल

फव्वारे वाली जगह पर गंदगी का अंबार
लॉकडाउन ने लोगों की जिंदगी के पहिए पर लगाम लगा दिया है. हालांकि, अब कई रियायतें मिलने के बाद लोगों की चहलकदमी बढ़ी हैं. लेकिन अभी भी पार्क, सिनेमाघरों जैसे भीड़ भाड़ वाले सार्वजनिक जगहों पर लॉकडाउन की वजह से पूरी तरह बंदिशें हैं. कटिहार के शहीद पार्क पर भी लॉकडाउन ने गहरा असर डाला है. लोगों की चहलकदमी से गूंजने वाले इस पार्क में बीते दो महीने से अधिक समय से कोई घूमने नहीं आया है. जिस कारण यहां सन्नाटा पसरा है. लोगों की आवाजाही नहीं होने की वजह से रख-रखाव के अभाव में फव्वारे वाली जगह पर गंदगी का अंबार है.

कटिहार
साफ-सफाई भी हुई प्रभावित

कोरोना के खौफ ने लोगों को पार्क से किया दूर
इस समय शहीद स्तंभ पार्क की स्थिति बेहद खराब है. लोगों के बैठने के लगाए गए प्लेटफार्म भी दरककर टूटने लगे हैं. फूलों की डालियां बेतरतीब बढ़ गई हैं. साथ ही जहां-तहां उगे खर-पतवारों को कोई साफ करने नहीं वाला है. स्थानीय दीपक कुमार बताते हैं कि लॉकडाउन से पहले सुबह से शाम तक लोग यहां घूमने आते थे. लेकिन लॉकडाउन की वजह से सभी घरों में कैद हो गए और शहीद पार्क बदहाल हो गया. स्थानीय राहुल यादव ने कहा कि लॉकडाउन से पहले पार्क काफी गुलजार रहता था. लोगों की चहलकदमी होती थी. बच्चों से लेकर बूढ़े तक सभी यहां घूमने आते थे. साथ ही स्थानीय युवा भी वर्जिश करने आते थे. लेकिन अब कोरोना के खौफ ने सभी को इससे दूर कर दिया.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

13 अगस्त 1942 को तेरह लोगों ने दी थी कुर्बानी
वहीं, शहीद पार्क के केयर-टेकर दिनेश पासवान बताते हैं कि देश में लॉकडाउन लागू होने के बाद यहां कोई नहीं आता है. गौरतलब है कि 13 अगस्त 1942 को भारत की स्वतंत्रता के लिये कटिहार के धुर्व कुंडू, रामाशीष सिंह, रामाधार सिंह, बिहारी साह, भूसी साह, कलानन्द मंडल, फूलों मंडल, नाटाय यादव, नाटाय तियर, लालजी मंडल, भूकरु मंडल और झबरू मंडल झौआ ने अंग्रेजों से मुकाबला करते हुए शहीद हो गए थे. बता दें कि कटिहार के नगर थाने के सामने जिस जगह पर यह सभी अंग्रेजों से लड़ते हुए शहीद हुए थें. उस स्थान को आज शहर में शहीद चौक के नाम से जाना जाता है. जिला प्रशासन ने उन्हीं वीर सपूतों की याद में कटिहार के इस शहीद स्तम्भ पार्क का निर्माण कराया था.

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