कटिहार: प्रदेश की सरकार ने दहेज मुक्त विवाह को लेकर एक अभियान की शुरुआत की थी. जिसका असर धीरे-धीरे ही सही लेकिन समाज में दिखने लगा है. मामला जिले के ललियाही मोहल्ले का है. जहां पड़ोसी राज्य झारखंड के एक युवक ने दहेज मुक्त विवाह कर समाज को एक बड़ा संदेश दिया है. ऐसी शादी को देखकर इलाके के लोग काफी खुश हैं और अपने-अपने तर्क के हिसाब से वर-वधु को आशीष दे रहे हैं.
रस्म के नाम पर लिया मात्र 1 रुपया
इस बाबत दूल्हा सचिन कुमार सिंह ने बताया कि दहेज आधुनिक समाज के मुंह पर एक तमाचा है. उन्होंने बताया कि उसने योगगुरू स्वामी रामदेव से प्रेरित होकर दहेज मुक्त विवाह करने का निर्णय लिया था. बता दें कि सचिन ने अपनी शादी में दहेज के नाम पर रस्म पूरी करने के लिए मात्र 1 रुपये और एक नारियल को स्वीकार किया है. युवाओं को संदेश देते हुए दूल्हे ने कहा कि दहेज से आप चंद रोज खुश रह सकते हैं. लेकिन दहेज के बिना शादी कर आप ताउम्र खुश रह सकते हैं. इसलिए सरकार के कदम से कदम मिलाकर दहेज मुक्त भारत बनाने की दिशा में अपना साथर्क पहल जरूर करें.
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'समाज को दिया बड़ा संदेश'
शादी समारोह में शिरकत करने आए भारतीय विश्व हिंदू महासभा के राष्ट्रीय महासचिव पूर्व मेजर बलवंत सिंह बताते हैं कि ये बड़ा ही शुभ अवसर है. वर्तमान समाज में एक ओर जहां दहेज के लिए बेटियों की बलि दी जा रही है, वहीं दूसरी ओर दूल्हे ने दहेज मुक्त विवाह कर समाज को एक बड़ा संदेश दिया है. इससे समाज को सिख लेनी चाहिए और दहेज मुक्त भारत बनाने की दिशा में अपना योगदान देना चाहिए.
'पहले से चला आ रहा है आंदोलन'
मौके पर शादी समारोह में शामिल होने आए राबड़ी सरकार में पथ निर्माण मंत्री रह चुके और वर्तमान में बिहार लेबर पार्टी के संस्थापक हिमराज सिंह बताते हैं कि समाज में दहेज मुक्त विवाह के लिए बहुत पहले से आंदोलन चला आ रहा है. आधुनिकता के नाम पर लोग दहेज का लेन-देन करना सम्मान की बात समझते थे. लेकिन आज की शादी में दूल्हें ने दहेज मुक्त विवाह कर समाज के लिए एक मिसाल पेश की है.
दहेज लेना और देना दोनों है अपराध
गौरतलब है कि देश में औसतन हर एक घंटे में एक महिला दहेज संबंधी कारणों से मौत का शिकार होती है. साल 2007 से 2019 के बीच इस प्रकार के मामलों में काफी वृद्धि देखी गई है. इसके बढ़ते प्रचलन को देखते हुए सरकार ने कई कठोर कानून भी बनाएं है.
ये है कानून:-
- दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के अनुसार दहेज लेने, देने या इसके लेन-देन में सहयोग करने पर 5 वर्ष की कैद और 15,000 रुपए के जुर्माने का प्रावधान है
- दहेज के लिए उत्पीड़न करने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 498-ए जो कि पति और उसके रिश्तेदारों द्वारा सम्पत्ति अथवा कीमती वस्तुओं के लिए अवैधानिक मांग के मामले से संबंधित है, के अन्तर्गत 3 साल की कैद और जुर्माना हो सकता है.
- धारा 406 के अन्तर्गत लड़की के पति और ससुराल वालों के लिए 3 साल की कैद अथवा जुर्माना या दोनों, यदि वे लड़की के स्त्रीधन को उसे सौंपने से मना करते हैं.
- यदि किसी लड़की की विवाह के सात साल के भीतर असामान्य परिस्थितियों में मौत होती है और यह साबित कर दिया जाता है कि मौत से पहले उसे दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाता था, तो भारतीय दंड संहिता की धारा 304-बी के अन्तर्गत लड़की के पति और रिश्तेदारों को कम से कम सात वर्ष से लेकर आजीवन कारावास की सजा हो सकती है.