पटना: बोचहां विधानसभा उपचुनाव (Bochaha Assembly By Election) में आरजेडी प्रत्याशी अमर कुमार पासवान ने बड़े अंतर से बीजेपी कैंडिडेट बेबी कुमारी को शिकस्त दी है. इस हार के बाद जहां बीजेपी प्रदेश नेतृत्व पर सवाल उठ रहे हैं, वहीं उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद (Deputy CM Tarkishore Prasad) ने पार्टी का बचाव किया है. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि मुसाफिर पासवान के निधन के कारण अमर पासवान के साथ लोगों की सहानुभूति थी, जिसका उनको फायदा हुआ है. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि पार्टी हार की समीक्षा जरूर करेगी.
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बोचहां में आरजेडी की जीत: कटिहार के विकास भवन में मत्स्य कृषकों को अनुदानित दर पर वाहन वितरण कार्यक्रम में शिरकत के बाद डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि जिस सीट से अमर पासवान विधायक के रूप में निर्वाचित हुए हैं, वह सीट उनके पिता मुसाफिर पासवान के आकस्मिक निधन के कारण सीट हुई थी. ऐसे में मुझे लगता है कि सहानुभूति लहर उनके पक्ष में थी. इस चुनाव परिणाम की हम समीक्षा करेंगे और देखेंगे कि हम से आखिर कहां पर चूक हुई है.
बोचहां में आरजेडी ने लहराया परचम: उपचुनाव में सत्ताधारी बीजेपी और विपक्षी पार्टी आरजेडी के बीच सीधा मुकाबला था. वीआईपी पार्टी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में जुटी थी. लेकिन बोचहां की जनता ने मुसाफिर पासवान के पुत्र और राजद उम्मीदवार अमर पासवान को विधायक चुना. उपचुनाव में दो छोटे दलों ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के शीर्ष नेताओं को मुश्किल में डाल दिया. जदयू के चलते जहां चिराग पासवान को एनडीए छोड़ना पड़ा वहीं भाजपा के चलते मुकेश सहनी को एनडीए छोड़ना पड़ा. उपचुनाव में दोनों दलों ने पैंतरा बदला और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को सीट गंवानी पड़ी. अमर पासवान को मिले 82562 वोट, बीजेपी की बेबी कुमारी को 45909 वोट और वीआईपी की गीता कुमारी को 29279 वोट मिले हैं.
एनडीए को झटका: बोचहां विधानसभा सीट को लेकर एनडीए में बवंडर खड़ा हुआ और अब नतीजे भी सामने आ गए. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में कलह की वजह से सीट राजद के खेमे में चली गई. बड़े मतों के अंतर से एनडीए को हार का सामना करना पड़ा है. दरअसल भाजपा और वीआईपी बोचहां सीट को लेकर उलझ गई. जिद में मुकेश सहनी को जहां मंत्री पद गंवाना पड़ा, वहीं एनडीए को सीटिंग सीट से हाथ धोना पड़ा. 2024 लोकसभा चुनाव से पहले बोचहां उपचुनाव के नतीजे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के नेताओं के लिए खतरे की घंटी है. बड़े मतों के अंतर से मिली शिकस्त ने भाजपा नेताओं के चेहरे पर शिकन ला दी है.
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