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'जयप्रकाश नारायण के नाम पर हो कटिहार रेलवे जंक्शन का नवनिर्मित प्रवेश द्वार' - बीजेपी नेता तारकिशोर प्रसाद

कटिहार रेलवे जंक्शन का नवनिर्मित प्रवेश द्वार का नाम जयप्रकाश नारायण के नाम पर रखने की मांग. सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ने ही नाम पर जताई सहमती. वहीं रेलवे का कहना है कि यह अधिकार रेलवे मंत्रालय के पास है.

कटिहार रेलवे जंक्शन का नवनिर्मित प्रवेश द्वार
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Published : Sep 5, 2019, 11:33 PM IST

कटिहारः कटिहार रेलवे जंक्शन का नवनिर्मित प्रवेश द्वार आज कल चर्चा का विषय बना हुआ है. दरअसल रेलवे जंक्शन के नवनिर्मित मुख्य द्वार के नाम को लेकर जनप्रतिनिधियों ने सुर में सुर मिलाते हुए मुख्य द्वार का नाम जयप्रकाश नारायण द्वार रखने की मांग कर रहे हैं. वहीं रेलवे ने पल्ला झाड़ते हुए कहा कि नीतिगत फैसला लेने का अधिकार रेलवे मंत्रालय के पास है.

कटिहार रेलवे जंक्शन का नवनिर्मित प्रवेश द्वार जयप्रकाश नारायण द्वार रखने की मांग

'जयप्रकाश नारायण हो द्वार का नाम'
मामले में राज्यसभा सदस्य और राजद नेता अहमद अशफाक करीम ने कहा कि प्रवेश द्वार का नामकरण जयप्रकाश नारायण के नाम पर ही होना चाहिये. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी के बाद वही एक ऐसे नेता थे जिसे सभी लोग पसंद करते हैं. ऐसे में यदि उनके नाम पर द्वार का नाम रखा जाता है तो इससे अच्छी बात भला क्या हो सकती है.

Katihar
कटिहार रेलवे जंक्शन
रेलवे ने बताया नीतिगत फैसलाबिहार विधानसभा में सत्तारूढ़ दल के सचेतक और बीजेपी नेता तारकिशोर प्रसाद ने भी सुर में सुर मिलाया और उनके नाम पर सहमति जताई. उन्होंने कहा कि इंट्रेंस डोर का नाम जयप्रकाश नारायण का नाम ही होना चाहिये. उन्होंने बताया कि इसकी मांग जीएम मीटिंग के दौरान भी उठायी थी. लेकिन एनएफ रेलवे महाप्रबंधक संजीव रॉय ने इसे नीतिगत फैसला बताकर पल्ला झाड़ लिया.
Katihar
राज्यसभा सदस्य और राजद नेता अहमद अशफाक करीम

कटिहारः कटिहार रेलवे जंक्शन का नवनिर्मित प्रवेश द्वार आज कल चर्चा का विषय बना हुआ है. दरअसल रेलवे जंक्शन के नवनिर्मित मुख्य द्वार के नाम को लेकर जनप्रतिनिधियों ने सुर में सुर मिलाते हुए मुख्य द्वार का नाम जयप्रकाश नारायण द्वार रखने की मांग कर रहे हैं. वहीं रेलवे ने पल्ला झाड़ते हुए कहा कि नीतिगत फैसला लेने का अधिकार रेलवे मंत्रालय के पास है.

कटिहार रेलवे जंक्शन का नवनिर्मित प्रवेश द्वार जयप्रकाश नारायण द्वार रखने की मांग

'जयप्रकाश नारायण हो द्वार का नाम'
मामले में राज्यसभा सदस्य और राजद नेता अहमद अशफाक करीम ने कहा कि प्रवेश द्वार का नामकरण जयप्रकाश नारायण के नाम पर ही होना चाहिये. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी के बाद वही एक ऐसे नेता थे जिसे सभी लोग पसंद करते हैं. ऐसे में यदि उनके नाम पर द्वार का नाम रखा जाता है तो इससे अच्छी बात भला क्या हो सकती है.

Katihar
कटिहार रेलवे जंक्शन
रेलवे ने बताया नीतिगत फैसलाबिहार विधानसभा में सत्तारूढ़ दल के सचेतक और बीजेपी नेता तारकिशोर प्रसाद ने भी सुर में सुर मिलाया और उनके नाम पर सहमति जताई. उन्होंने कहा कि इंट्रेंस डोर का नाम जयप्रकाश नारायण का नाम ही होना चाहिये. उन्होंने बताया कि इसकी मांग जीएम मीटिंग के दौरान भी उठायी थी. लेकिन एनएफ रेलवे महाप्रबंधक संजीव रॉय ने इसे नीतिगत फैसला बताकर पल्ला झाड़ लिया.
Katihar
राज्यसभा सदस्य और राजद नेता अहमद अशफाक करीम
Intro:.....कटिहार में जनप्रतिनिधियों ने तोड़ डाली पॉलिटिकल वॉल....। वजह बनी रेलवे जंक्शन की नवनिर्मित मुख्य द्वार .....। कटिहार रेलवे जंक्शन के नवनिर्मित मुख्य द्वार का जयप्रकाश नारायण द्वार रखने की रेलवे से माँग .....। रेलवे ने पल्ला झाड़ा - कहा कि नीतिगत फैसला , निर्णय लेने का अधिकार रेलवे मंत्रालय के पास.....।


Body:यह हैं कटिहार रेलवे जंक्शन का नवनिर्मित प्रवेश द्वार....। जब आप नार्थ ईस्ट की ओर रेल से यात्रा करेगें तो सबसे पहले सेवन सिस्टर के इंट्रेंस डोर के रूप में आपको कटिहार रेलवे जंक्शन मिलेगा । देश में पश्चिम बंगाल के खड़गपुर के बाद कटिहार ही एक ऐसा रेलवे जंक्शन हैं जहाँ एक साथ पाँच दिशाओं की रेलगाड़ियाँ आती और रवाना होती हैं । कटिहार रेलवे जंक्शन नेपाल और बांग्लादेश की सीधी सरहदी सीमाओं को भी जोड़ता हैं । यहाँ प्रतिदिन हजारों यात्री आते - जाते हैं और बात बस इतनी भर नहीं ....कटिहार , एनएफ रेल डिवीजन का सबसे ज्यादा राजस्व देने वाला स्टेशन भी हैं । कटिहार रेलवे जंक्शन के लम्बें - चौड़े प्रीमेसेज की वजह से यह बिहार में भी अकेला ऐसा स्टेशन।हैं जहाँ एक साथ डेढ़ से दो लाख लोग खड़ा रह सकते हैं । कटिहार रेलवे जंक्शन की इसी भव्यता और गौरवमयी गाथाओं की वजह से रेलवे मंत्रालय ने लाखों रुपये खर्च कर प्रवेश द्वार बनवाया ताकि इसके नाम के साथ खूबसूरती को भी चार चाँद सकें लेकिन इसके नामाकरण को लेकर स्थानीय तौर पर आवाजें बुलन्द होने लगी हैं और जनप्रतिनिधियों ने पॉलिटिकल वॉल तोड़कर इसे एक सुर में जयप्रकाश नारायण द्वार रखने की माँग की हैं । राज्यसभा सदस्य और राजद नेता अहमद अशफाक क्रीम ने बताया कि इस प्रवेश द्वार का नामाकरण जयप्रकाश नारायण के नाम होना चाहिये क्योंकि महात्मा गाँधी के बाद वही एक ऐसे नेता थे जिसे सभी लोग उनके कार्यों से पसंद करते हैं .....। बिहार विधानसभा में सत्तारूढ़ दल के सचेतक और बीजेपी नेता तारकिशोर प्रसाद बताते हैं कि इंट्रेंस डोर का नाम जयप्रकाश नारायण के नाम ही होना चाहिये .....। साँसद अहमद अशफाक करीम ने बताया कि उन्होंने इसकी माँग जीएम मीटिंग के दौरान भी उठायी थी लेकिन एनएफ रेलवे के महाप्रबंधक संजीव रॉय ने इसे नीतिगत फैसला बता पल्ला झाड़ लिया.....।


Conclusion:राजनीति दो शब्दों का एक समूह हैं राज +नीति (राज मतलब शासन और नीति मतलब उचित समय और उचित स्थान पर उचित कार्य करने की कला ) अर्थात नीति विशेष के द्वारा शासन करना या उद्देश्य को प्राप्त करना राजनीति कहलाती हैं। जनप्रतिनिधियों की यह माँग भी शायद उसी नीति का हिस्सा हैं । अच्छा तो यह होता कि सार्वजनिक मुद्दों पर जनप्रतिनिधि , पॉलिटिकल दीवारें तोड़ एकजुट होते रहे होते तो आज शायद समस्याओं का पिटारा जनता के सामने नहीं होता ......।
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