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कटिहार: काढ़ागोला घाट को पर्यटन स्थल बनाने की उठ रही है मांग, मूलभूत सुविधाओं का है मोहताज

बनारस, इलाहाबाद, काशी और प्रयाग की तरह कटिहार का काढ़ागोला घाट भी मुक्ति धाम है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार जिसके शव का दाहसंस्कार इस घाट पर होता है, उसे मोक्ष की प्रप्ती होती हैं. लगभग 100 लाशे यहां प्रतिदिन जलाई जाती है. माघी पूर्णिमा के अवसर पर घाट पर मेला लगता है.

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Published : Aug 7, 2019, 12:52 PM IST

कटिहार के काढ़ागोला घाट

कटिहारः जिले के बरारी प्रखंड स्थित काढ़ागोला घाट ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व रखता है. इस गंगा घाट की वजह से कटिहार को मुक्ति धाम भी कहा जाता है. काढ़ागोला घाट पर गंगा स्नान करने दूर-दराज से लोग आते हैं. देश-दूनिया से सिख समुदाय के लोग अपने नौवें गुरु तेग बहादुर के हुकुमनामा का दर्शन करने यहां पहुंचते हैं.

कटिहार
घाट पर गंगदी का अंबार

माघी पूर्णिमा पर लगता है मेला
बनारस, इलाहाबाद, काशी और प्रयाग की तरह कटिहार का काढ़ागोला घाट भी मुक्ति धाम है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार जिसके शव का दाहसंस्कार इस घाट पर होता है, उसे मोक्ष की प्रप्ती होती हैं. लगभग 100 लाशे यहां प्रतिदिन जलाई जाती है. माघी पूर्णिमा के अवसर पर घाट पर मेला लगता है. इस मौके पर गंगा स्नान के लिए देश-विदेश से हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं.

कटिहार
घाट पर गंगदी का अंबार

नहीं हैं मूलभूत सुविधाएं
काढ़ागोला घाट का धार्मिक महत्व के कारण दूर-दराज से श्रद्धालु सालोभर यहां आते रहते हैं. लेकिन घाट मूलभूत सुविधाओं का मौहताज है. स्थानीय लोगों ने बताया कि धूप-बरशात से बचने के लिए शेड नहीं है. शौचालय और पीने के पानी की भी कोई व्यवस्था नहीं है. श्रद्धालुओं को रात्रि विश्राम के लिए भटकना पड़ता है. घाट पर गंदगी का अंबार है. केंद्र सरकार की गंगा सफाई अभियान के दावे यहां दम तोड़ देती है. घाट पर गंगा स्नान के लिए समुचित व्यवस्था नहीं है. जिससे लोगों के डूबने की आशंका बनी रहती है.

कटिहार
घाट पर गंगदी का अंबार

ऐसे पड़ा नाम काढ़ागोला
बताया जाता है कि सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर पटना से आसाम जा रहे थे, इस क्रम में उनका पहला पड़ाव कटिहार के इसी गंगा घाट पर लगा था. तब हजारों लोग उनके अनुयायी बने थे. सतसंग में प्रसाद के रूप में कड़ाह का गोला बांटा गया था. जो बाद में इलाके में बहुत प्रचलित हो गया. प्रसाद के नाम के आधार पर घाट का नाम काढ़ागोला घाट रखा गया. बरारी के लक्ष्मीपुर गांव में गुरु तेग बहादुर के नाम पर एक गुरुद्वारा है. जहां पंजाब, अमृतसर, लाहौर सहित अन्य जगहों से सिख समुदाय के लोग गुरु तेग बहादुर के हुकुमनामा का दर्शन करने पहुंचते हैं.

काढ़ागोला घाट को पर्यटन स्थल बनाने की मांग

उठती रही है पर्यटन स्थल बनाने की मांग
हालांकि काढागोला घाट को पर्यटन स्थल बनाने के लिए विधानसभा में आवाज उठाई गई है. स्थानीय विधायक नीरज यादव ने बताया कि माह के अंत तक घाटों का सौंदर्यीकरण कर दिया जाएगा. जल्द ही इसे पर्यटन स्थल बनाने की कवायद शुरू की जाएगी.

कटिहारः जिले के बरारी प्रखंड स्थित काढ़ागोला घाट ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व रखता है. इस गंगा घाट की वजह से कटिहार को मुक्ति धाम भी कहा जाता है. काढ़ागोला घाट पर गंगा स्नान करने दूर-दराज से लोग आते हैं. देश-दूनिया से सिख समुदाय के लोग अपने नौवें गुरु तेग बहादुर के हुकुमनामा का दर्शन करने यहां पहुंचते हैं.

कटिहार
घाट पर गंगदी का अंबार

माघी पूर्णिमा पर लगता है मेला
बनारस, इलाहाबाद, काशी और प्रयाग की तरह कटिहार का काढ़ागोला घाट भी मुक्ति धाम है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार जिसके शव का दाहसंस्कार इस घाट पर होता है, उसे मोक्ष की प्रप्ती होती हैं. लगभग 100 लाशे यहां प्रतिदिन जलाई जाती है. माघी पूर्णिमा के अवसर पर घाट पर मेला लगता है. इस मौके पर गंगा स्नान के लिए देश-विदेश से हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं.

कटिहार
घाट पर गंगदी का अंबार

नहीं हैं मूलभूत सुविधाएं
काढ़ागोला घाट का धार्मिक महत्व के कारण दूर-दराज से श्रद्धालु सालोभर यहां आते रहते हैं. लेकिन घाट मूलभूत सुविधाओं का मौहताज है. स्थानीय लोगों ने बताया कि धूप-बरशात से बचने के लिए शेड नहीं है. शौचालय और पीने के पानी की भी कोई व्यवस्था नहीं है. श्रद्धालुओं को रात्रि विश्राम के लिए भटकना पड़ता है. घाट पर गंदगी का अंबार है. केंद्र सरकार की गंगा सफाई अभियान के दावे यहां दम तोड़ देती है. घाट पर गंगा स्नान के लिए समुचित व्यवस्था नहीं है. जिससे लोगों के डूबने की आशंका बनी रहती है.

कटिहार
घाट पर गंगदी का अंबार

ऐसे पड़ा नाम काढ़ागोला
बताया जाता है कि सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर पटना से आसाम जा रहे थे, इस क्रम में उनका पहला पड़ाव कटिहार के इसी गंगा घाट पर लगा था. तब हजारों लोग उनके अनुयायी बने थे. सतसंग में प्रसाद के रूप में कड़ाह का गोला बांटा गया था. जो बाद में इलाके में बहुत प्रचलित हो गया. प्रसाद के नाम के आधार पर घाट का नाम काढ़ागोला घाट रखा गया. बरारी के लक्ष्मीपुर गांव में गुरु तेग बहादुर के नाम पर एक गुरुद्वारा है. जहां पंजाब, अमृतसर, लाहौर सहित अन्य जगहों से सिख समुदाय के लोग गुरु तेग बहादुर के हुकुमनामा का दर्शन करने पहुंचते हैं.

काढ़ागोला घाट को पर्यटन स्थल बनाने की मांग

उठती रही है पर्यटन स्थल बनाने की मांग
हालांकि काढागोला घाट को पर्यटन स्थल बनाने के लिए विधानसभा में आवाज उठाई गई है. स्थानीय विधायक नीरज यादव ने बताया कि माह के अंत तक घाटों का सौंदर्यीकरण कर दिया जाएगा. जल्द ही इसे पर्यटन स्थल बनाने की कवायद शुरू की जाएगी.

Intro:कटिहार

कटिहार का ऐतिहासिक और धार्मिक काढ़ागोला घाट पर गंदगी का अंबार तथा मूलभूत सुविधाओं से है वंचित। मोक्ष की धरती के नाम से है प्रसिद्ध। देश-विदेश से लोग यहां पहुंचते हैं गंगा स्नान को। पर्यटन स्थल बनाने के लिए विधानसभा में उठाया गये हैं आवाज।


Body:कटिहार के बरारी प्रखंड स्थित काढ़ागोला घाट ऐतिहासिक के साथ-साथ धार्मिक भी है। गंगा किनारे बने इस घाट का अपना एक अलग ही महत्व है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस घाट को मोक्ष की धरती के नाम से भी जानते हैं। यहां प्रतिदिन 15-20 लाशे जलाई जाती है तथा गंगा स्नान को लेकर भी हजारों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।

वहीं सीख सर्किट से जुड़ा इस जगह का अपना अलग ही इतिहास है। बताया जाता है सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर जब पटना से आसाम के दौरे पर थे उस वक्त गुरु तेग बहादुर का कटिहार के इस गंगा घाट पर पडाव लगा था और हजारों लोग उनके अनुयाई बने थे। पडाव लगने के बाद लोगों को कड़ाह में बना प्रसाद गोले के आकार में बना बांटा जाता था जिसका नाम कड़ाह गोला कहा जाता था बाद में इसी नाम से इस घाट का नामकरण किया गया और अभी यह काढ़ागोला घाट के नाम से जाना जाता है।

काढ़ागोला घाट सीख सर्किट से जुड़ा होने के साथ साथ हिंदू धर्म से भी जुड़ा है। लिहाजा यहां प्रतिदिन हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है। गुरु तेग बहादुर के नाम पर एक गुरुद्वारा भी बनाया गया है जो बरारी के लक्ष्मीपुर गांव में स्थित है। सिख सर्किट से जुड़े होने के कारण यहां पंजाब, अमृतसर, लाहौर और अन्य जगहों से सिख समुदाय के लोग गुरु तेग बहादुर के हुकुमनामा का दर्शन करने पहुंचते हैं।


Conclusion:काढ़ागोला घाट ऐतिहासिक और धार्मिक दोनो है लेकिन यहां पर श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए कोई मूलभूत सुविधाएं नहीं है। घाट के चारों ओर गंदगी का अंबार लगा हुआ है। श्रद्धालु जैसे तैसे अपना क्रियाकलाप कर लौट जाते हैं। गंगा स्नान को लेकर भी कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। लोगों को डूबने की आशंका बनी रहती है।

हालांकि ऐतिहासिक काढागोला घाट को पर्यटन स्थल बनाने और इसे सौंदर्यीकरण कराने को लेकर विधानसभा में भी आवाज उठाई गई है। स्थानीय राजद विधायक नीरज यादव ने बताया काढागोला घाट पर पुल निर्माण हो जाने से भागलपुर के कहलगांव से बरारी का सीधा संपर्क हो जाएगा और लोगों को यहां पहुंचने में कोई दिक्कत नहीं होगी। वही इसे पर्यटन स्थल बनाने के लिए भी बात कही गई है। वहीं मूलभूत सुविधाओं से वंचित इस घाट पर विधायक जी ने कहा इस माह के अंत तक घाटों का सौंदर्यीकरण कर दिया जाएगा और जल्द ही इसे पर्यटन स्थल बनाने की कवायद शुरू की जाएगी।
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