कटिहारः जिले के बरारी प्रखंड स्थित काढ़ागोला घाट ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व रखता है. इस गंगा घाट की वजह से कटिहार को मुक्ति धाम भी कहा जाता है. काढ़ागोला घाट पर गंगा स्नान करने दूर-दराज से लोग आते हैं. देश-दूनिया से सिख समुदाय के लोग अपने नौवें गुरु तेग बहादुर के हुकुमनामा का दर्शन करने यहां पहुंचते हैं.
माघी पूर्णिमा पर लगता है मेला
बनारस, इलाहाबाद, काशी और प्रयाग की तरह कटिहार का काढ़ागोला घाट भी मुक्ति धाम है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार जिसके शव का दाहसंस्कार इस घाट पर होता है, उसे मोक्ष की प्रप्ती होती हैं. लगभग 100 लाशे यहां प्रतिदिन जलाई जाती है. माघी पूर्णिमा के अवसर पर घाट पर मेला लगता है. इस मौके पर गंगा स्नान के लिए देश-विदेश से हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं.
नहीं हैं मूलभूत सुविधाएं
काढ़ागोला घाट का धार्मिक महत्व के कारण दूर-दराज से श्रद्धालु सालोभर यहां आते रहते हैं. लेकिन घाट मूलभूत सुविधाओं का मौहताज है. स्थानीय लोगों ने बताया कि धूप-बरशात से बचने के लिए शेड नहीं है. शौचालय और पीने के पानी की भी कोई व्यवस्था नहीं है. श्रद्धालुओं को रात्रि विश्राम के लिए भटकना पड़ता है. घाट पर गंदगी का अंबार है. केंद्र सरकार की गंगा सफाई अभियान के दावे यहां दम तोड़ देती है. घाट पर गंगा स्नान के लिए समुचित व्यवस्था नहीं है. जिससे लोगों के डूबने की आशंका बनी रहती है.
ऐसे पड़ा नाम काढ़ागोला
बताया जाता है कि सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर पटना से आसाम जा रहे थे, इस क्रम में उनका पहला पड़ाव कटिहार के इसी गंगा घाट पर लगा था. तब हजारों लोग उनके अनुयायी बने थे. सतसंग में प्रसाद के रूप में कड़ाह का गोला बांटा गया था. जो बाद में इलाके में बहुत प्रचलित हो गया. प्रसाद के नाम के आधार पर घाट का नाम काढ़ागोला घाट रखा गया. बरारी के लक्ष्मीपुर गांव में गुरु तेग बहादुर के नाम पर एक गुरुद्वारा है. जहां पंजाब, अमृतसर, लाहौर सहित अन्य जगहों से सिख समुदाय के लोग गुरु तेग बहादुर के हुकुमनामा का दर्शन करने पहुंचते हैं.
उठती रही है पर्यटन स्थल बनाने की मांग
हालांकि काढागोला घाट को पर्यटन स्थल बनाने के लिए विधानसभा में आवाज उठाई गई है. स्थानीय विधायक नीरज यादव ने बताया कि माह के अंत तक घाटों का सौंदर्यीकरण कर दिया जाएगा. जल्द ही इसे पर्यटन स्थल बनाने की कवायद शुरू की जाएगी.