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कटिहार: जर्जर सड़कें बनी किसानों की समस्या का सबब, सरकार से लगा रहे गुहार

विगत 7-8 सालों में केले की खेती के लिए पूरे सीमांचल को एक नया उभरता हब के रूप में देखा जाने लगा था. इसके अलावा किसानों की माली हालत भी सुधर रही थी. लेकिन जर्जर सड़कों ने उनकी स्थिति फिर से बदतर कर दी है. ऐसे में वे सड़कों की मरम्मती के लिए सरकार से गुहार लगा रहे हैं.

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Published : Dec 11, 2019, 1:25 PM IST

problem of farmers in katihar
जर्जर सड़कों के कारण नहीं हो पा रही है केले की खेती

कटिहार: जिले के सेमापुर इलाके में किसान अपने केले के खेतों को उजाड़ रहे हैं. चूंकि कुछ साल से इलाके की सड़कें खराब हैं, इसलिए किसान खेतों में जो भी केला उपजा रहे हैं, उसे खरीदने कोई व्यापारी नहीं आता है. जिसके कारण उन्हें लागत का पैसा भी नहीं मिल पाता है.

'समस्या है जस की तस'
एक किसान ने बताया कि कभी उनके इलाके में केले की खेती मुनाफे का सौदा हुआ करती थी. लेकिन अब आलम ये है कि लोग इससे तौबा कर रहे हैं. वहीं, किसान अनंत भारती बताते हैं कि खराब सड़कों के कारण किसानों को बहुत परेशानी हो रही है. वे कई बार स्थानीय जनप्रतिनिधियों के पास इसको लेकर फरियाद कर चुके हैं. लेकिन नतीजा अभी तक कुछ नहीं निकल सका है. समस्या जस की तस है.

जर्जर सड़कों के कारण नहीं हो पा रही है केले की खेती

किसान लगा रहे सरकार से गुहार
बाढ़ और कटाव जैसी प्राकृतिक आपदा से पीड़ित जिले के किसानों ने धान और गेहूं जैसी परंपरागत खेती को छोड़ केले की खेती करने की ठानी थी. जिससे विगत 7-8 सालों में केले की खेती के लिए पूरे सीमांचल को एक नया उभरता हब के रूप में देखा जाने लगा था. इसके अलावा किसानों की माली हालत भी सुधर रही थी. लेकिन जर्जर सड़कों ने उनकी स्थिति फिर से बदतर कर दी है. ऐसे में वे सड़कों की मरम्मती के लिए सरकार से गुहार लगा रहे हैं.

कटिहार: जिले के सेमापुर इलाके में किसान अपने केले के खेतों को उजाड़ रहे हैं. चूंकि कुछ साल से इलाके की सड़कें खराब हैं, इसलिए किसान खेतों में जो भी केला उपजा रहे हैं, उसे खरीदने कोई व्यापारी नहीं आता है. जिसके कारण उन्हें लागत का पैसा भी नहीं मिल पाता है.

'समस्या है जस की तस'
एक किसान ने बताया कि कभी उनके इलाके में केले की खेती मुनाफे का सौदा हुआ करती थी. लेकिन अब आलम ये है कि लोग इससे तौबा कर रहे हैं. वहीं, किसान अनंत भारती बताते हैं कि खराब सड़कों के कारण किसानों को बहुत परेशानी हो रही है. वे कई बार स्थानीय जनप्रतिनिधियों के पास इसको लेकर फरियाद कर चुके हैं. लेकिन नतीजा अभी तक कुछ नहीं निकल सका है. समस्या जस की तस है.

जर्जर सड़कों के कारण नहीं हो पा रही है केले की खेती

किसान लगा रहे सरकार से गुहार
बाढ़ और कटाव जैसी प्राकृतिक आपदा से पीड़ित जिले के किसानों ने धान और गेहूं जैसी परंपरागत खेती को छोड़ केले की खेती करने की ठानी थी. जिससे विगत 7-8 सालों में केले की खेती के लिए पूरे सीमांचल को एक नया उभरता हब के रूप में देखा जाने लगा था. इसके अलावा किसानों की माली हालत भी सुधर रही थी. लेकिन जर्जर सड़कों ने उनकी स्थिति फिर से बदतर कर दी है. ऐसे में वे सड़कों की मरम्मती के लिए सरकार से गुहार लगा रहे हैं.

Intro:..........कटिहार में केला किसान हैं परेशान....। कर रहें हैं किसानी से तौबा.....। उजाड़ रहे हैं खेत.....क्योंकि इलाके की खराब सड़कों ने कर रखा हैं किसानों का बेड़ा गर्क....। बाहर के व्यापारियों के नहीं पहुँचने से नहीं मिल रहे हैं फलों के खरीददार.....।


Body:यह दृश्य कटिहार के सेमापुर इलाके का हैं जहाँ किसान अपने केले के खेतों को उजाड़ने मे लगे हैं । केला किसान , फसलों को यूँ ही नहीं उजाड़ रहे बल्कि इसके पीछे इलाके की खराब सड़कें हैं । खराब सड़कों की वजह से किसान , खेतों में फसल तो उपजा लेते हैं लेकिन उसे खरीदने कोई व्यापारी नहीं आता जिस कारण किसानों के लागत भी बमुश्किल निकल पाते ....। स्थानीय किसान अनंत भारती बताते हैं कि खराब सड़कों ने उसका बेड़ा गर्क कर रखा हैं । कई बार स्थानीय जनप्रतिनिधियों को लोगों ने लिखकर फरियाद लगायी , मनुहार किया लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं निकला ....समस्या जस की तस रहीं.....। स्थानीय किसान किशोर कुणाल चौधरी बताते हैं कि कभी इलाके में केले की खेती , मुनाफे का सौदा हुआ करता था लेकिन अब लोग इससे तौबा कर रहे हैं.....। स्थानीय किसान कैलाश प्रसाद मंडल बताते हैं कि यदि सड़क अच्छी रहती तो लोगों को अपने हाथों से अपना ही खेत उजाड़ना नहीं पड़ता लेकिन अब करें तो क्या करें....। समझ मे नहीं आता कि खराब सड़कों के बीच कैसे अपने फसलों को व्यापारियों को बेचे.....। स्थानीय किसान अब्बास बताते हैं कि केले की खेती को खराब सड़कों ने चौपट कर दिया....अब लोग करें तो क्या करें , समझ मे नहीं आता.....।


Conclusion:बाढ़ और कटाव जैसे प्राकृतिक आपदा से पीड़ित कटिहार के लोगों ने धान , गेहूँ जैसे परंपरागत खेती को छोड़ केले की खेती करने की ठानी और विगत सात - आठ सालों में इलाके में केले की फसल ने पूरे सीमाँचल को केले के खेती के लिये सूबे में उभरता हुआ एक नया हब के रूप में जाना जाने लगा और धीरे - धीरे किसानों की माली हालत और तकदीर बदलने लगी लेकिन इलाके के अधकचरे विकास और टूटे - फूटे सड़कों की वजह से यदि किसान इससे भी तौबा कर लें तो यह राज्य सरकार की विफलत माना जायेगा.....। उम्मीद करनी चाहिये कि राज्य सरकार किसानों की समस्या पर जल्द से जल्द ध्यान देगी और सड़कें दुरुस्त करने की दिशा में कदमें उठाये जायेंगे .......।
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