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कटिहारः बाढ़ पीड़ितों के सामुदायिक किचन पर बाबुओं की लूट

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Published : Oct 3, 2019, 8:01 PM IST

एमडीएम प्रभारी मंजू देवी बताती हैं कि राशि का आवंटन ही नहीं हुआ है तो हम कहां से पूर्ति करें. खिचड़ी-आलू चोखा देकर काम चलाया जा रहा है.

लूट-खसोट

कटिहारः बिहार में बाढ़ राहत के नाम पर बाबुओं का लूट-खसोट का खेल शुरू हो गया है. सामुदायिक किचन में दाल-चावल-सब्जी की जगह खिचड़ी-चोखा देकर जैसे-तैसे काम निपटाया जा रहा है. ग्रामीणों का आरोप है कि जहां चार-पांच सामुदायिक किचनों की जरूरत है तो वहां एक-आधा देकर खानापूर्ति की जा रही है.

Katihar.
बाढ़ पीड़ितों को दिया जा रहा खिचड़ी-आलू चोखा
प्रशासन की तरफ से चलाया जा रहा सामुदायिक किचन
यह दृश्य कटिहार जिले के बाढ़ प्रभावित बरारी प्रखण्ड के उत्तरी कांतनगर पंचायत के केन्द्र संख्या 26 की है. जहां बाढ़ पीड़ितों के लिये प्रशासन सामुदायिक किचन चला रहा है. उनका मकसद है किसी भी बाढ़ पीड़ित को भूखे नहीं रहने देना. इसके लिए मेन्यू बनायी गयी है. जिसमें दाल-चावल-सब्जी का प्रावधान किया गया है. लेकिन यहां दाल-चावल-सब्जी की जगह खिचड़ी-आलू चोखा दे कर काम चलाया जा रहा है.
Katihar.
एमडीएम प्रभारी मंजू देवी
नहीं हुआ राशि का आवंटन
जब इसके पीछे की वजह को जानना चाहा तो एमडीएम प्रभारी मंजू देवी बताती हैं कि राशि का आवंटन ही नहीं हुआ है तो हम कहां से पूर्ति करें. खिचड़ी-आलू चोखा देकर काम चलाया जा रहा हैं. स्थानीय मुखिया रंजीत झा बताते हैं कि एक हजार रूपया केन्द्र चलाने के लिये बाबुओं ने दिया था. लेकिन वह फुर्र हो गया. अब राशि ही नहीं हैं तो दाल-चावल-सब्जी कैसे खिलाएं.
पदाधिकारी मेन्यू में करते हैं हेराफेरी
प्रशासन की तरफ से एक पंचायत में एक या दो सामुदायिक किचन चलाया जाता है. जिसमें हजारों पीड़ित को भोजन देने का लक्ष्य रखा जाता है. इस हजारों पीड़ितों के भोजन के लिये मेन्यू तैयार किया जाता है. जिस पर खर्च प्रतिदिन हजारों रूपया आता है. लेकिन लूट-खसोट पदाधिकारी मेन्यू में हेराफेरी कर जैसे-तैसे खिचड़ी-आलू चोखा खिला कर, थोड़े समय बाद अच्छे भोजन का बिलिंग निकालते हैं और पूरे पंचायत के आबादी के हिसाब से यह बिलिंग लाखों में पहुंच जाती है.
बाढ़ पीड़ितों के सामुदायिक किचन पर बाबुओं की लूट
लूट-खसोट का मामला
जैसे ही बाढ़ का हल्ला कम होता है, लूट-खसोट पदाधिकारी धीरे से यह बिल निकाल मालामाल हो जाते हैं. खास बात यह है कि बाढ़ राहत के बिलिंग पर जल्दी रोक नहीं लगती. यही कारण है कि कटिहार जिले में बाढ़ पीड़ितों के बीच खिचड़ी-आलू चोखा वितरण का खानापूर्ति और लूट-खसोट जारी है.

कटिहारः बिहार में बाढ़ राहत के नाम पर बाबुओं का लूट-खसोट का खेल शुरू हो गया है. सामुदायिक किचन में दाल-चावल-सब्जी की जगह खिचड़ी-चोखा देकर जैसे-तैसे काम निपटाया जा रहा है. ग्रामीणों का आरोप है कि जहां चार-पांच सामुदायिक किचनों की जरूरत है तो वहां एक-आधा देकर खानापूर्ति की जा रही है.

Katihar.
बाढ़ पीड़ितों को दिया जा रहा खिचड़ी-आलू चोखा
प्रशासन की तरफ से चलाया जा रहा सामुदायिक किचन
यह दृश्य कटिहार जिले के बाढ़ प्रभावित बरारी प्रखण्ड के उत्तरी कांतनगर पंचायत के केन्द्र संख्या 26 की है. जहां बाढ़ पीड़ितों के लिये प्रशासन सामुदायिक किचन चला रहा है. उनका मकसद है किसी भी बाढ़ पीड़ित को भूखे नहीं रहने देना. इसके लिए मेन्यू बनायी गयी है. जिसमें दाल-चावल-सब्जी का प्रावधान किया गया है. लेकिन यहां दाल-चावल-सब्जी की जगह खिचड़ी-आलू चोखा दे कर काम चलाया जा रहा है.
Katihar.
एमडीएम प्रभारी मंजू देवी
नहीं हुआ राशि का आवंटन
जब इसके पीछे की वजह को जानना चाहा तो एमडीएम प्रभारी मंजू देवी बताती हैं कि राशि का आवंटन ही नहीं हुआ है तो हम कहां से पूर्ति करें. खिचड़ी-आलू चोखा देकर काम चलाया जा रहा हैं. स्थानीय मुखिया रंजीत झा बताते हैं कि एक हजार रूपया केन्द्र चलाने के लिये बाबुओं ने दिया था. लेकिन वह फुर्र हो गया. अब राशि ही नहीं हैं तो दाल-चावल-सब्जी कैसे खिलाएं.
पदाधिकारी मेन्यू में करते हैं हेराफेरी
प्रशासन की तरफ से एक पंचायत में एक या दो सामुदायिक किचन चलाया जाता है. जिसमें हजारों पीड़ित को भोजन देने का लक्ष्य रखा जाता है. इस हजारों पीड़ितों के भोजन के लिये मेन्यू तैयार किया जाता है. जिस पर खर्च प्रतिदिन हजारों रूपया आता है. लेकिन लूट-खसोट पदाधिकारी मेन्यू में हेराफेरी कर जैसे-तैसे खिचड़ी-आलू चोखा खिला कर, थोड़े समय बाद अच्छे भोजन का बिलिंग निकालते हैं और पूरे पंचायत के आबादी के हिसाब से यह बिलिंग लाखों में पहुंच जाती है.
बाढ़ पीड़ितों के सामुदायिक किचन पर बाबुओं की लूट
लूट-खसोट का मामला
जैसे ही बाढ़ का हल्ला कम होता है, लूट-खसोट पदाधिकारी धीरे से यह बिल निकाल मालामाल हो जाते हैं. खास बात यह है कि बाढ़ राहत के बिलिंग पर जल्दी रोक नहीं लगती. यही कारण है कि कटिहार जिले में बाढ़ पीड़ितों के बीच खिचड़ी-आलू चोखा वितरण का खानापूर्ति और लूट-खसोट जारी है.
Intro:.....बिहार में बाढ़ राहत के नाम पर शुरू हो गया बाबुओं के लूट - खसोट का खेल .....। सामुदायिक किचेन में भात - दाल - सब्जी की जगह खिचड़ी - चोखा दे निपटाया जा रहा हैं जैसे - तैसे काम .....। हुआ खुलासा - कि ऊपरवाले बाबू जब राशि ही नहीं देते तो हम मेन्यू का पालन कहाँ से करें ......। ग्रामीणों का आरोप कि जहाँ जरूरत चार - पाँच सामुदायिक किचेनों की तो वहाँ एक - आध दे पूरा किया जा रहा हैं कोरम ......। ना कोई भोजन की पंगत और ना ही कोई सिस्टम....बस जैसे - तैसे राहत खानापूर्ति पूरा......।


Body:यह दृश्य कटिहार जिले के बाढ़प्रभावित बरारी प्रखण्ड के उत्तरी कान्तनगर पंचायत के केन्द्र संख्या 26 की हैं जहाँ बाढ़ पीड़ितों के लिये प्रशासन द्वारा सामुदायिक किचेन चलाया जा रहा हैं । मकसद हैं किसी भी बाढ़ पीड़ित को भूखे नहीं रहने दिया जाये । इसके लिये मेन्यू बनायी गयी हैं जिसमे भात - दाल - सब्जी का प्रावधान किया गया हैं लेकिन आप जरा गौर से देखिये ....। भात - दाल - सब्जी की जगह खिचड़ी - आलू चोखा दे काम चलाया जा रहा हैं । जब हमने इसके पीछे की वजह को जानना चाहा तो एमडीएम प्रभारी मंजू देवी बताती हैं कि राशि का आवंटन ही नहीं हुआ हैं तो हम कहाँ से पूर्ति करें । खिचड़ी - आलू चोखा दे काम चलाया जा रहा हैं । ग्रामीण मो .मूसा बताते हैं कि जहाँ आबादी के हिसाब से चार - पाँच कम्यूनिटी किचेन चलने चाहिये , वहाँ महज एक - आध चालू कर काम चलाया जा रहा हैं और वहाँ भी राशि के अभाव में खिचड़ी - आलू चोखा दिया जा रहा है .....। स्थानीय मुखिया रंजीत झा बताते हैं कि एक हजार रुपया केन्द्र चलाने के लिये बाबुओं ने दिया था लेकिन वह खर्च में फुर्र हो गया ....। अब राशि ही नहीं हैं तो भात - दाल - सब्जी कैसे खिलायें , जैसे - तैसे काम चलाया जा रहा हैं .....।


Conclusion:दरअसल , कैसे होता हैं बाढ़ राहत के नाम पर लूट - खसोट , जरा इस गणित को समझिये .....। प्रशासन द्वारा एक पंचायत में एक या दो सामुदायिक किचेन चलाया जाता हैं जिसमे हजारों पीड़ित को भोजन देने का लक्ष्य रखा जाता हैं । इस हजारों पीड़ितों के भोजन के लिये मेन्यू तैयार किया जाता हैं जिसपर खर्च प्रतिदिन हजारों रुपया आता हैं लेकिन लूट - खसोट पदाधिकारी मेन्यू में हेराफेरी कर जैसे - तैसे खिचड़ी - आलू चोखा खिला थोड़े समय बाद अच्छे भोजन का बिलिंग निकालते हैं और पूरे पंचायत के आबादी के हिसाब से यह बिलिंग लाखों में पहुँच जाती हैं । जैसे ही बाढ़ का हल्ला कम होता हैं और लूट - खसोट पदाधिकारी धीरे से यह बिल निकाल मालोंमाल हो जातें हैं । खास बात यह हैं कि बाढ़ राहत के बिलिंग पर जल्दी रोक नहीं लगती .....शायद यही कारण हैं कटिहार जिले में बाढ़पीड़ितों के बीच खिचड़ी - आलू चोखा वितरण का .....। खानापूर्ति और लूट - खसोट जारी हैं .....। अब देखना दिलचस्प होगा कि लूट - खसोट के इस मामले के सामने आने के बाद प्रशासन क्या कार्रवाई करता हैं .....।
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