कटिहारः बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सूबे की शिक्षा व्यवस्था को लेकर लाख दावे कर लें, करोड़ों रुपये खर्च किए जाएं, लेकिन ग्राउंड रिपोर्ट में इसकी हकीकत कुछ और ही निकलती है. यहां जिले के एक स्कूल में भवन होने के बावजूद बच्चों को बरामदे में जमीन पर बैठाया जाता है, जिससे इस ठंड के मौसम में बच्चे ठिठुर कर पढ़ने को मजबूर हैं.
जमीन पर बैठकर पढ़ते हैं बच्चे
पूरा मामला कोढ़ा प्रखंड के रामपुर मध्य विद्यालय का है, जहां विद्यालय में 17 क्लासरूम होने के बावजूद भी पहली क्लास के बच्चे को बरामदे में जमीन पर बिठाकर पढ़ाया जाता है. लगभग 700 बच्चों वाले इस स्कूल में 11 शिक्षक भी मौजूद हैं. और हर दिन बच्चों की उपस्थिति भी अच्छी होती है. इसके बावजूद सरकारी सिस्टम ने अब तक बच्चों के लिए बेंच और क्लास रूम की व्यवस्था नहीं की है।
शिक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान
बिहार सरकार सूबे में शिक्षा व्यवस्था बेहतर करने के लिए हर विद्यालय को दो मंजिला कर रही है. भवन निर्माण के लिए लाखों, करोड़ों रुपए खर्च भी कर रही हैं. बावजूद कटिहार के इस विद्यालय का नजारा सवालिया निशान खड़ा करती है. आखिर करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद बनाये गये भवन के बावजूद बच्चे बरामदे और जमीन पर बैठकर पढ़ाई क्यों करते हैं? रामपुर मध्य विद्यालय के पहली कक्षा के छात्र आयुष राज बताते हैं अक्सर जमीन पर बिठाकर पढ़ाया जाता है. जिससे हम छोटे बच्चों को ठंड के मौसम में बहुत परेशानी होती है.
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'बेंच के लिए सरकार फंड नहीं देती'
इस पूरे मामले में विद्यालय के प्रधानाचार्य मोहम्मद ओबैदुल्लाह बताते हैं- हमारे विद्यालय के लिए दो रूम में मरम्मती के कार्य के बाद पेंटिंग का काम चल रहा है. एक रूम में स्मार्ट क्लास है, एक रूम में जिम का सामान रखा हुआ है और एक रूम को स्टाफ रूम बनाया जा रहा है. इसी तरह कुल 17 रूम में 10 रुम समान से भरे पड़े हैं. लिहाजा 7 क्लास रूम में ही आठवीं तक के बच्चों को पढ़ाया जाता है. प्रिंसिपल बताते हैं कि अभी तक प्राइमरी स्कूल के बच्चों के लिए किसी भी स्कूल में बेंच की व्यवस्था नहीं है. अगर सरकार की ओर से फंड दिया जाएगा तो हमारे पास लकड़ी उपलब्ध है, हम उसका बेंच तैयार कराकर बच्चों को बिठा देंगे.
शिक्षकों के लिए बन रहा स्टाफ रूम
बहरहाल, जिले से इस तरह की तस्वीर सामने आने के बाद शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठना जायज है. सोचने वाली बात ये है कि विद्यालय में 17 कमरे होने के बावजूद छोटे-छोटे बच्चों को बरामदे में जमीन पर बैठाया जाता है और विद्यालय प्रशासन अपनी सुख-सुविधा के लिए स्टाफ रूम की तैयारी में लगा हुआ है. जहां बच्चों को बैठने के लिए जगह नहीं है वहीं, शिक्षकों को बैठने के लिए अलग से स्टाफ रूम बनाया गया है.