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बिहार के इस स्कूल में 3 साल से एक भी छात्र ने नहीं लिया एडमिशन, स्कूल में हैं सिर्फ 10 छात्र

किसी भी सरकारी स्कूल में कम से कम 40 छात्र रहते हैं, तभी स्कूल खुलता है. इसके बावजूद न्यू प्राथमिक विद्यालय कर्णपुरा में महज 10 छात्रों का नामांकन है और ये स्कूल विधिवत चल रहा है.

बिहार की ताजा खबर
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Published : Feb 15, 2020, 7:34 PM IST

कैमूर: जिला मुख्यालय भभुआ से लगभग 40 किमी दूर रामगढ़ प्रखंड के कर्णपुरा गांव में एक ऐसा विद्यालय है, जहां पिछले 3 सालों से किसी छात्र का नामांकन नहीं हुआ है. इस विद्यालय में करीब 2 वर्षों से एमडीएम की सुविधा भी बच्चों के लिए उपलब्ध नहीं है.

न्यू प्राथमिक विद्यालय कर्णपुरा को पिछले 3 सालों से छात्रों का इंतजार है. आलम यह है कि विद्यालय में महज 10 छात्रों का नामांकन है. जो चौथी और पांचवी के छात्र हैं. वहीं, स्कूल में एक से तीन तक किसी भी छात्र का नामांकन नहीं है. नामांकन न होने का सिलसिला इस विद्यालय में कोई नई बात नहीं है. यही नहीं, इस विद्यालय में एमडीएम यानी मिड-डे मील में करीब 2 सालों से बन्द पड़ी है.

कैमूर से कौशल की रिपोर्ट

'प्राइवेट स्कूल में जाते हैं छात्र'
इस बाबत विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक अरविंद मांझी ने बताया कि उनकी लाख कोशिशों के बावजूद विद्यालय में पिछले 3 वर्षों से किसी छात्र का नामांकन नहीं हो पाया है. नामांकन में कमी होने की वजह से करीब 2 सालों से एमडीएम भी बन्द पड़ा है. उन्होंने बताया कि पास में 2 विद्यालय होने की वजह से नामांकन में कमी है, तो दूसरी तरफ गांव के लोग अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल भेजते हैं. ऐसे में नामांकन कम हो रहा है. उन्होंने बताया कि विद्यालय में उनके अलावा एक अन्य शिक्षक है. प्रतिदिन विद्यालय में औसतन 3 से 4 छात्र स्कूल आते हैं.

क्लास रूम में तीन छात्र मिले
क्लास रूम में तीन छात्र मिले

औसतन 40 छात्रों पर ही खुलता है स्कूल, फिर ऐसा क्यों?
क्लास 4 की छात्रा पूजा कुमारी ने बताया कि विद्यालय में सर अच्छी पढ़ाई कराते हैं, लेकिन गांव के अधिकांश बच्चे प्राइवेट स्कूल में पढ़ाई करने के लिए जाते हैं. इसलिए स्कूल में बहुत कम बच्चे हैं. ऐसे में कहीं न कहीं यह सवाल जरूर खड़ा हो रहा है कि आखिरकार क्यों सरकारी विद्यालय में सारी सुविधा होने के बावजूद बच्चों की संख्या न के बराबर है.

इस बाबत जब जिला शिक्षा पदाधिकारी सूर्यनारायण से पूछा गया कि किसी कारण विद्यालय में बच्चों की संख्या कम है. तो उन्होंने जांच करा आगे की कार्रवाई करने की बात कही. स्कूल में कम से कम 40 छात्र रहते हैं, तभी स्कूल खुलता है. यानी शुरू में छात्र होंगे, अब क्यों नहीं हैं. इसकी जांच करायी जाएगी.

कैमूर: जिला मुख्यालय भभुआ से लगभग 40 किमी दूर रामगढ़ प्रखंड के कर्णपुरा गांव में एक ऐसा विद्यालय है, जहां पिछले 3 सालों से किसी छात्र का नामांकन नहीं हुआ है. इस विद्यालय में करीब 2 वर्षों से एमडीएम की सुविधा भी बच्चों के लिए उपलब्ध नहीं है.

न्यू प्राथमिक विद्यालय कर्णपुरा को पिछले 3 सालों से छात्रों का इंतजार है. आलम यह है कि विद्यालय में महज 10 छात्रों का नामांकन है. जो चौथी और पांचवी के छात्र हैं. वहीं, स्कूल में एक से तीन तक किसी भी छात्र का नामांकन नहीं है. नामांकन न होने का सिलसिला इस विद्यालय में कोई नई बात नहीं है. यही नहीं, इस विद्यालय में एमडीएम यानी मिड-डे मील में करीब 2 सालों से बन्द पड़ी है.

कैमूर से कौशल की रिपोर्ट

'प्राइवेट स्कूल में जाते हैं छात्र'
इस बाबत विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक अरविंद मांझी ने बताया कि उनकी लाख कोशिशों के बावजूद विद्यालय में पिछले 3 वर्षों से किसी छात्र का नामांकन नहीं हो पाया है. नामांकन में कमी होने की वजह से करीब 2 सालों से एमडीएम भी बन्द पड़ा है. उन्होंने बताया कि पास में 2 विद्यालय होने की वजह से नामांकन में कमी है, तो दूसरी तरफ गांव के लोग अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल भेजते हैं. ऐसे में नामांकन कम हो रहा है. उन्होंने बताया कि विद्यालय में उनके अलावा एक अन्य शिक्षक है. प्रतिदिन विद्यालय में औसतन 3 से 4 छात्र स्कूल आते हैं.

क्लास रूम में तीन छात्र मिले
क्लास रूम में तीन छात्र मिले

औसतन 40 छात्रों पर ही खुलता है स्कूल, फिर ऐसा क्यों?
क्लास 4 की छात्रा पूजा कुमारी ने बताया कि विद्यालय में सर अच्छी पढ़ाई कराते हैं, लेकिन गांव के अधिकांश बच्चे प्राइवेट स्कूल में पढ़ाई करने के लिए जाते हैं. इसलिए स्कूल में बहुत कम बच्चे हैं. ऐसे में कहीं न कहीं यह सवाल जरूर खड़ा हो रहा है कि आखिरकार क्यों सरकारी विद्यालय में सारी सुविधा होने के बावजूद बच्चों की संख्या न के बराबर है.

इस बाबत जब जिला शिक्षा पदाधिकारी सूर्यनारायण से पूछा गया कि किसी कारण विद्यालय में बच्चों की संख्या कम है. तो उन्होंने जांच करा आगे की कार्रवाई करने की बात कही. स्कूल में कम से कम 40 छात्र रहते हैं, तभी स्कूल खुलता है. यानी शुरू में छात्र होंगे, अब क्यों नहीं हैं. इसकी जांच करायी जाएगी.

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