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बच्चों के भविष्य से खिलवाड़, स्कूल में बर्तन धोने को विवश नौनिहाल - Children wash dishes in New Primary School of Chainpur Block

चैनपुर प्रखंड के न्यू प्राथमिक विद्यालय में मिड डे मील ग्रहण करने के बाद नौनिहालों को बर्तन धोने पर विवश किया जा रहा है. वहीं, स्कूल प्रबंधन की ओर से इस पूरे मामले में लापरवाही बरती जा रही है.

Kaimur School
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Published : Oct 19, 2019, 9:04 AM IST

कैमूर: शिक्षा के अधिकार के तहत स्कूल आने वाले बच्चों को नियमित रूप से मिड-डे मील आहार देने के तौर तरीके पर सवाल खड़े हो रहे हैं. सरकार नारा दे रही है कि पढ़ेगा इंडिया तो बढ़ेगा इंडिया लेकिन जिले के सरकारी स्कूलों में मिड डे मील ग्रहण करने के बाद नौनिहालों को बर्तन धोने पर विवश किया जा रहा है. चैनपुर प्रखंड के न्यू प्राथमिक विद्यालय में भी इसी तरह का नजारा देखने को मिला. वहीं, स्कूल प्रबंधन की ओर से इस पूरे मामले में लापरवाही बरती जा रही है.

Kaimur School
स्कूल में बर्तन धोने को विवश हैं नैनिहाल

बर्तन धोने को विवश है नौनिहाल
बता दें कि चैनपुर प्रखंड के न्यू प्राथमिक विद्यालय रमौली में बच्चों को एमडीएम के लिए खुद बर्तन धोने का नजारा देखने को मिलता है. इसके बावजूद भी विद्यालय प्रशासन के तरफ से कोई रोक-टोक नहीं होती है ना ही कुछ पूछने पर जवाब दिया जाता है. आलम यह है कि इस विद्यालय में छोटे-छोटे बच्चों को खाना खाने से पहले और बाद खुद से बर्तन धोने पड़ते है.

Kaimur School
इस स्कूल में नैनिहाल धोते हैं बर्तन

पढ़ाई होती है बाधित
शिक्षा और स्कूलों को लेकर चिंतित दिखाई देने वाली सरकार को नौनिहालों की बदहाल दशा पर संज्ञान लेना होगा, तभी मिड -डे मील जैसी स्कीम अपने मूल उद्देश्यों में सफल होगी. मिड-डे मील लेने के बाद बच्चे नल पर बर्तन धोते रहते है. इससे उनकी पढ़ाई भी बाधित होती है. वहीं, दूसरी ओर स्कूल इंचार्ज और शिक्षक स्कूली बच्चों के प्रति सौतेला व्यवहार करते नजर आते है. इस बारे में जब स्कूल के बच्चों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उन्हें अपना बर्तन खुद साफ करना पड़ता है. खास तौर पर छोट-छोटे बच्चों को इससे काफी परेशानी उठानी पड़ती है. कई बार तो उनके ड्रेस भी खराब हो जाते है.

बर्तन धोने को विवश हैं बच्चे

जांच कर की जाएगी कार्रवाई-डीपीओ
एमडीएम के डीपीओ यदुवंश राम ने बताया कि जिले में ऐसा देखने को नहीं मिला है. यदि कहीं से कोई शिकायत मिलती हैं तो तुरंत कार्रवाई की जाती हैं और जिले में ऐसा कहीं नहीं हो इसपर विचार विमर्श भी किया जाता है.

कैमूर: शिक्षा के अधिकार के तहत स्कूल आने वाले बच्चों को नियमित रूप से मिड-डे मील आहार देने के तौर तरीके पर सवाल खड़े हो रहे हैं. सरकार नारा दे रही है कि पढ़ेगा इंडिया तो बढ़ेगा इंडिया लेकिन जिले के सरकारी स्कूलों में मिड डे मील ग्रहण करने के बाद नौनिहालों को बर्तन धोने पर विवश किया जा रहा है. चैनपुर प्रखंड के न्यू प्राथमिक विद्यालय में भी इसी तरह का नजारा देखने को मिला. वहीं, स्कूल प्रबंधन की ओर से इस पूरे मामले में लापरवाही बरती जा रही है.

Kaimur School
स्कूल में बर्तन धोने को विवश हैं नैनिहाल

बर्तन धोने को विवश है नौनिहाल
बता दें कि चैनपुर प्रखंड के न्यू प्राथमिक विद्यालय रमौली में बच्चों को एमडीएम के लिए खुद बर्तन धोने का नजारा देखने को मिलता है. इसके बावजूद भी विद्यालय प्रशासन के तरफ से कोई रोक-टोक नहीं होती है ना ही कुछ पूछने पर जवाब दिया जाता है. आलम यह है कि इस विद्यालय में छोटे-छोटे बच्चों को खाना खाने से पहले और बाद खुद से बर्तन धोने पड़ते है.

Kaimur School
इस स्कूल में नैनिहाल धोते हैं बर्तन

पढ़ाई होती है बाधित
शिक्षा और स्कूलों को लेकर चिंतित दिखाई देने वाली सरकार को नौनिहालों की बदहाल दशा पर संज्ञान लेना होगा, तभी मिड -डे मील जैसी स्कीम अपने मूल उद्देश्यों में सफल होगी. मिड-डे मील लेने के बाद बच्चे नल पर बर्तन धोते रहते है. इससे उनकी पढ़ाई भी बाधित होती है. वहीं, दूसरी ओर स्कूल इंचार्ज और शिक्षक स्कूली बच्चों के प्रति सौतेला व्यवहार करते नजर आते है. इस बारे में जब स्कूल के बच्चों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उन्हें अपना बर्तन खुद साफ करना पड़ता है. खास तौर पर छोट-छोटे बच्चों को इससे काफी परेशानी उठानी पड़ती है. कई बार तो उनके ड्रेस भी खराब हो जाते है.

बर्तन धोने को विवश हैं बच्चे

जांच कर की जाएगी कार्रवाई-डीपीओ
एमडीएम के डीपीओ यदुवंश राम ने बताया कि जिले में ऐसा देखने को नहीं मिला है. यदि कहीं से कोई शिकायत मिलती हैं तो तुरंत कार्रवाई की जाती हैं और जिले में ऐसा कहीं नहीं हो इसपर विचार विमर्श भी किया जाता है.

Intro:कैमूर।

एक तरफ तो सरकार यह नारा दे रही हैं कि पढ़ेगा इंडिया तो बढ़ेगा इंडिया वही दूसरी तरफ स्कूल में मिड डे मील के लिए नैनिहालो को बर्तन धोने की तस्वीर सामने आ रही हैं। ऐसे में कैसे पड़ेगा और कैसे बढ़ेगा इंडिया इसका अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं।


Body:आपकों बतादें कि चैनपुर प्रखंड के न्यू प्राथमिक विद्यालय रमौली में बच्चों को एमडीएम के लिए खुद बर्तन धोने का नजारा देखने को मिलता हैं बावजूद इसके विद्यालय प्रशासन के तरफ से कोई रोक टोक नही होती हैं न ही कुछ पूछने पर जवाब दिया जाता हैं। आलम यह हैं कि इस विद्यालय में छोटे छोटे बच्चों को खाना खाने से पहले और बाद खुद से बर्तन धोने पड़ते हैं।

सोचने वाली बात यह हैं कि भारत सरकार और बिहार एक तरफ कुपोषण मुक्त देश बनाने के लिए लगातार अभियान चला रहा हैं। लोगों को कुपोषण के प्रति जागरूक किया जा रहा हैं। लेकिन सरकार के उद्देश्य को जमीनी स्तर पर उतरने ने वक़्त लगेगा क्योंकि शिक्षा की मंदिर में पढ़ाने वाले गुरुजी के सामने रोजाना छोटे छोटे नौनिहालों से बर्तन धुलवाया जाता हैं और किसी को कोई फर्क नही पड़ता हैं।

बच्चों की सेहत में इजाफा के मद्देनजर एमडीएम तो शुरू किया गया हैं। लेकिन छोटे छोटे नौनिहालों से एमडीएम के लिए बर्तन साफ करवाने से नौनिहालों कि शिक्षा के सेहत पर क्या असर पड़ेगा इसका अंदाजा लगाना मुश्किल हैं।


शिक्षा को लेकर हमेशा पीठ थपथपाने वाली सरकार को बच्चों के इस स्तिथि को गंभीरता से देखते हुए संज्ञान लेने की जरूरत हैं।


Conclusion:हालांकि एमडीएम के डीपीओ यदुवंश राम ने बताया कि जिले में ऐसा देखने को नही मिलता हैं। यदि कही से कोई शिकायत मिलती हैं तो तुरंत कार्रवाई की जाती हैं और जिले में ऐसा कही नही हो इसपर विचार विमर्श भी किया जाता हैं।
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