कैमूर: शिक्षा के अधिकार के तहत स्कूल आने वाले बच्चों को नियमित रूप से मिड-डे मील आहार देने के तौर तरीके पर सवाल खड़े हो रहे हैं. सरकार नारा दे रही है कि पढ़ेगा इंडिया तो बढ़ेगा इंडिया लेकिन जिले के सरकारी स्कूलों में मिड डे मील ग्रहण करने के बाद नौनिहालों को बर्तन धोने पर विवश किया जा रहा है. चैनपुर प्रखंड के न्यू प्राथमिक विद्यालय में भी इसी तरह का नजारा देखने को मिला. वहीं, स्कूल प्रबंधन की ओर से इस पूरे मामले में लापरवाही बरती जा रही है.
बर्तन धोने को विवश है नौनिहाल
बता दें कि चैनपुर प्रखंड के न्यू प्राथमिक विद्यालय रमौली में बच्चों को एमडीएम के लिए खुद बर्तन धोने का नजारा देखने को मिलता है. इसके बावजूद भी विद्यालय प्रशासन के तरफ से कोई रोक-टोक नहीं होती है ना ही कुछ पूछने पर जवाब दिया जाता है. आलम यह है कि इस विद्यालय में छोटे-छोटे बच्चों को खाना खाने से पहले और बाद खुद से बर्तन धोने पड़ते है.
पढ़ाई होती है बाधित
शिक्षा और स्कूलों को लेकर चिंतित दिखाई देने वाली सरकार को नौनिहालों की बदहाल दशा पर संज्ञान लेना होगा, तभी मिड -डे मील जैसी स्कीम अपने मूल उद्देश्यों में सफल होगी. मिड-डे मील लेने के बाद बच्चे नल पर बर्तन धोते रहते है. इससे उनकी पढ़ाई भी बाधित होती है. वहीं, दूसरी ओर स्कूल इंचार्ज और शिक्षक स्कूली बच्चों के प्रति सौतेला व्यवहार करते नजर आते है. इस बारे में जब स्कूल के बच्चों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उन्हें अपना बर्तन खुद साफ करना पड़ता है. खास तौर पर छोट-छोटे बच्चों को इससे काफी परेशानी उठानी पड़ती है. कई बार तो उनके ड्रेस भी खराब हो जाते है.
जांच कर की जाएगी कार्रवाई-डीपीओ
एमडीएम के डीपीओ यदुवंश राम ने बताया कि जिले में ऐसा देखने को नहीं मिला है. यदि कहीं से कोई शिकायत मिलती हैं तो तुरंत कार्रवाई की जाती हैं और जिले में ऐसा कहीं नहीं हो इसपर विचार विमर्श भी किया जाता है.