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40 वर्षो से हिंदू के रखे ताजिया पर मुस्लिम करते हैं फातिहा, एक साथ निकालते हैं मातम जुलूस

बसंतपुरा गांव में हिन्दू और मुस्लिम समाज मिलकर मनाते है मुहर्रम का त्योहार. यह बेजोड़ नमूना पिछले 40 वर्षों से देखने को मिल रहा है. इस गांव में हिन्दू परिवार की ओर से आखाड़े में रखे ताजिया पर मुस्लिम समुदाय के लोग फातिहा करते हैं.

आपसी सौहार्द के साथ मनाते हैं मुहर्रम का त्योहार
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Published : Sep 10, 2019, 8:53 PM IST

कैमूरः मजहब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना....' यह लाइन कैमूर के लोगों पर बिल्कुल फिट बैठती हैं. यहा गंगा-जमुना तहजीब की शानदार मिसाल देखने को मिलती है. ग्रामिण लोग मिल जुलकर मुहर्रम का त्योहार मनाते हैं. यह बेजोड़ नमूना पिछले 40 वर्षों से देखने को मिल रहा है. इस गांव में हिन्दू परिवार की ओर से आखाड़े में रखे ताजिया पर मुस्लिम समुदाय के लोग फातिहा करते हैं. दोनों समुदाय के लोग मातम जुलूस एकसाथ निकालते हैं.

kaimur
ताजिये के साथ हिन्दू परिवार

40 वर्षों से निभा रहे है परंपरा

बसंतपुरा के 160 घरों वाली आबादी में लगभग 40 घर मुस्लिम परिवार के है. जिसमें गांव के राधे जायसवाल पिछले 40 वर्षों से ताजिया बनाने की परंपरा निभा रहे है. वह सिर्फ ताजिया ही नहीं बनाते बल्कि मुस्लिम समुदाय के साथ फातिहा भी करते है. खास बात यह है कि गांव के लोग हिन्दू मुस्लिम एकता का मिसाल पिछले कई दशक से पेश करते आ रहे हैं.

kaimur
जुलूस के दौरान

गांव में आपसी भाईचार

गांव के वार्ड सदस्य पति सैयद अंसारी बताते हैं कि गांव में पहले 2 जगह ताजिया रखा जाता था. उन्होंने कहा कि एक चौक पर मुस्लिम समुदाय के लोग रखते थे. तो दूसरी चौक पर राधे का परिवार ताजिया रखता था. लेकिन पिछले 22 वर्षों से गांव में सिर्फ एक ताजिया ही रखा जा रहा है. जो राधे जायसवाल रखते हैं. गांव में आपसी भाईचारा है. उन्होंने बताया कि राधे के दादा, परदादा ने यह परंपरा शुरू किया था. जिसे अब तक निभाई जा रही है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

वहीं कैमूर जिले के सभी प्रखंडों में शांतिपूर्ण तरीके से मोहर्रम का पर्व मनाया जा रहा हैं. कही से कोई भी अप्रिय घटना की सूचना नही है. पुलिस प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गए हैं.


कैमूरः मजहब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना....' यह लाइन कैमूर के लोगों पर बिल्कुल फिट बैठती हैं. यहा गंगा-जमुना तहजीब की शानदार मिसाल देखने को मिलती है. ग्रामिण लोग मिल जुलकर मुहर्रम का त्योहार मनाते हैं. यह बेजोड़ नमूना पिछले 40 वर्षों से देखने को मिल रहा है. इस गांव में हिन्दू परिवार की ओर से आखाड़े में रखे ताजिया पर मुस्लिम समुदाय के लोग फातिहा करते हैं. दोनों समुदाय के लोग मातम जुलूस एकसाथ निकालते हैं.

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ताजिये के साथ हिन्दू परिवार

40 वर्षों से निभा रहे है परंपरा

बसंतपुरा के 160 घरों वाली आबादी में लगभग 40 घर मुस्लिम परिवार के है. जिसमें गांव के राधे जायसवाल पिछले 40 वर्षों से ताजिया बनाने की परंपरा निभा रहे है. वह सिर्फ ताजिया ही नहीं बनाते बल्कि मुस्लिम समुदाय के साथ फातिहा भी करते है. खास बात यह है कि गांव के लोग हिन्दू मुस्लिम एकता का मिसाल पिछले कई दशक से पेश करते आ रहे हैं.

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जुलूस के दौरान

गांव में आपसी भाईचार

गांव के वार्ड सदस्य पति सैयद अंसारी बताते हैं कि गांव में पहले 2 जगह ताजिया रखा जाता था. उन्होंने कहा कि एक चौक पर मुस्लिम समुदाय के लोग रखते थे. तो दूसरी चौक पर राधे का परिवार ताजिया रखता था. लेकिन पिछले 22 वर्षों से गांव में सिर्फ एक ताजिया ही रखा जा रहा है. जो राधे जायसवाल रखते हैं. गांव में आपसी भाईचारा है. उन्होंने बताया कि राधे के दादा, परदादा ने यह परंपरा शुरू किया था. जिसे अब तक निभाई जा रही है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

वहीं कैमूर जिले के सभी प्रखंडों में शांतिपूर्ण तरीके से मोहर्रम का पर्व मनाया जा रहा हैं. कही से कोई भी अप्रिय घटना की सूचना नही है. पुलिस प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गए हैं.


Intro:कैमूर।

जिले के भगवानपुर प्रखंड बसंतपुरा गांव में हिन्दू मुस्लिम एकता का बेजोड़ नमूना पिछले 40 वर्षों से देखने को मिल रहा हैं। इस गांव में हिन्दू परिवार के द्वारा रखे गए ताज़िया पर फातिया मुस्लिम समुदाय के लोग करते हैं और मातम जुलुश एकसाथ दोनों निकालते हैं।


Body:आपकों बतादें कि बसंतपुरा के राधे जायसवाल पिछले 40 वर्षों से अपने खानदान की परंपरा को निभाते आ रहे हैं। गांव की चौक पर राधे पिछले 40 वर्षों से ताज़िया रखते हैं न सिर्फ रखते हैं बल्कि खुद उसका निर्माण करते हैं। तो दूसरी तरफ गांव के मुस्लिम समुदाय के लोग फातिया करते हैं और ताज़िया को पूरे गांव में दोनों समुदायों के लोग एक साथ घुमाते हैं। गांव में आबादी लगभग 160 घरों की हैं और गांव 40 घर मुस्लिम परिवार का हैं। लेकिन गांव में सभी लोग हिन्दू मुस्लिम एकता का मिशाल पेश पिछले कई दशक से पेश कर रहे हैं। गांव के वार्ड सदस्य पति सैयद अंसारी बताते हैं कि गांव में पहले 2 जगह ताज़िया रखा जाता था एक चौक पर मुस्लिम समुदाय के लोग रखते थे और दूसरी चौक पर राधे का परिवार रखता था। लेकिन पिछले 22 वर्षों से गांव में सिर्फ एक ताज़िया रखा जाता हैं जो राधे जायसवाल रखते हैं और ताज़िया की सारी परंपरा मुस्लिम समुदाय के लोग निभाते हैं। गांव में आपसी भाईचारा हैं। गांव के सभी लोग एक दूसरे का सहयोग करते हैं। उन्होंने बताया कि राधे के दादा परदादा ने यह परंपरा शुरू किया था जिसे पिछले 40 वर्षों से राधे निभाते आ रहे हैं।

दूसरी तरफ कैमूर जिले के सभी प्रखंडों में शांतिपूर्ण तरीके से मोहर्रम का पर्व मनाया जा रहा हैं। कई से कोई भी अप्रिय घटना की सूचना नही हैं। पुलिस प्रशासन द्वारा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गए हैं।


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