कैमूर: कैमूर पहाड़ी पर बसे अधौरा प्रखंड के सैकड़ों लोगों ने वन अधिकारी को कानून के तहत अपनी पैतृक जमीन वापस लेने का दावा पत्र भरा था. लेकिन अनुमंडल वन अधिकारी समिति ने सभी पत्र को रद्द कर दिया है. जिसके बाद जिला पदाधिकारी डॉ नवल किशोर चौधरी ने खुद मोर्चा संभालते हुए अधौरा प्रखंड के आदिवासियों से मुलाकात की और उनकी समस्याओं को सुना.
प्रशासन ने 13 लाख जनजातियों का दावा पत्र किया रद्द
वनवासियों का आरोप है कि जिला कल्याण पदाधिकारी ने 5 गांव के लोगों को मौखिक रूप से बुलाया है. जबकि उन्हें कानूनी प्रक्रिया के तहत जारी किए गए पत्र पर बुलाना चाहिए था. जिला प्रशासन ने 2006 से अब तक 13 लाख जनजातियों के दावे पत्र को रद्द कर दिया है. वनवासी कह रहे हैं कि जंगल की जमीन पर उनके पूर्वज खेती करते आ रहे हैं. इन्हीं जमीनों पर खेती कर के उनके परिवार का गुजारा होता है. ऐसे में जिला प्रशासन ने उनका दावा पत्र अस्वीकृत कर दिया है. अस्वीकृति किस कारण से हुई है, वह उन्हें मालूम नहीं.
अपनी जमीन वापस चाहते हैं वनवासी
वनवासियों का कहना है कि 2006 में वन अधिकारी कानून आया था. लेकिन जिला प्रशासन ने इन 13 सालों में एक भी दावा पत्र की स्वीकृति नहीं दी है और इसका कोई जमीनी कागजात भी नहीं हैं. वनवासी चाहते हैं कि उनके पूर्वजों की जमीन उन्हें मिल जाए, ताकि उनके परिवार का गुजारा हो सके.
जल्द लिया जाएगा फैसला- DM
डीएम डॉ नवल किशोर चौधरी का कहना है कि अनुमंडल वन अधिकारी समिति के तहत इस विवाद पर निर्णय लिया जाएगा. इस समिति ने पहले वनवासियों के दावे पत्र को निरस्त कर दिया था. ऐसे में वे खुद सभी जनजातियों से मिल रहे हैं और उनकी समस्याएं सुन रहे हैं. जमीन पर दावा करने वाले आदिवासियों के पास कोई दस्तावेज है या नहीं, वे इसकी समीक्षा भी कर रहे हैं. बनाई गई समिति में जिला वन पदाधिकारी भी हैं. समिति जो फैसला लेगी, उससे सरकार को अवगत करवाया जाएगा.