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कैमूर: अपनी पैतृक जमीन वापस चाहते हैं वनवासी, DM ने जल्द फैसले का दिया भरोसा

डीएम डॉ नवल किशोर चौधरी का कहना है कि अनुमंडल वन अधिकारी समिति के तहत इस विवाद पर निर्णय लिया जाएगा. इस समिति ने पहले वनवासियों के दावे पत्र को निरस्त कर दिया था. ऐसे में वे खुद सभी जनजातियों से मिल रहे हैं और उनकी समस्याएं सुन रहे हैं.

वनवासियों और जिला प्रशासन के बीच कई बार जमीन को लेकर विवाद
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Published : Aug 29, 2019, 11:00 AM IST

कैमूर: कैमूर पहाड़ी पर बसे अधौरा प्रखंड के सैकड़ों लोगों ने वन अधिकारी को कानून के तहत अपनी पैतृक जमीन वापस लेने का दावा पत्र भरा था. लेकिन अनुमंडल वन अधिकारी समिति ने सभी पत्र को रद्द कर दिया है. जिसके बाद जिला पदाधिकारी डॉ नवल किशोर चौधरी ने खुद मोर्चा संभालते हुए अधौरा प्रखंड के आदिवासियों से मुलाकात की और उनकी समस्याओं को सुना.

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दावे पत्र के लिए आए वनवासी

प्रशासन ने 13 लाख जनजातियों का दावा पत्र किया रद्द
वनवासियों का आरोप है कि जिला कल्याण पदाधिकारी ने 5 गांव के लोगों को मौखिक रूप से बुलाया है. जबकि उन्हें कानूनी प्रक्रिया के तहत जारी किए गए पत्र पर बुलाना चाहिए था. जिला प्रशासन ने 2006 से अब तक 13 लाख जनजातियों के दावे पत्र को रद्द कर दिया है. वनवासी कह रहे हैं कि जंगल की जमीन पर उनके पूर्वज खेती करते आ रहे हैं. इन्हीं जमीनों पर खेती कर के उनके परिवार का गुजारा होता है. ऐसे में जिला प्रशासन ने उनका दावा पत्र अस्वीकृत कर दिया है. अस्वीकृति किस कारण से हुई है, वह उन्हें मालूम नहीं.

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जिला पदाधिकारी डॉ नवल किशोर चौधरी

अपनी जमीन वापस चाहते हैं वनवासी
वनवासियों का कहना है कि 2006 में वन अधिकारी कानून आया था. लेकिन जिला प्रशासन ने इन 13 सालों में एक भी दावा पत्र की स्वीकृति नहीं दी है और इसका कोई जमीनी कागजात भी नहीं हैं. वनवासी चाहते हैं कि उनके पूर्वजों की जमीन उन्हें मिल जाए, ताकि उनके परिवार का गुजारा हो सके.

जमीनी विवाद की समस्या का निवारण करेंगे डीएम

जल्द लिया जाएगा फैसला- DM
डीएम डॉ नवल किशोर चौधरी का कहना है कि अनुमंडल वन अधिकारी समिति के तहत इस विवाद पर निर्णय लिया जाएगा. इस समिति ने पहले वनवासियों के दावे पत्र को निरस्त कर दिया था. ऐसे में वे खुद सभी जनजातियों से मिल रहे हैं और उनकी समस्याएं सुन रहे हैं. जमीन पर दावा करने वाले आदिवासियों के पास कोई दस्तावेज है या नहीं, वे इसकी समीक्षा भी कर रहे हैं. बनाई गई समिति में जिला वन पदाधिकारी भी हैं. समिति जो फैसला लेगी, उससे सरकार को अवगत करवाया जाएगा.

कैमूर: कैमूर पहाड़ी पर बसे अधौरा प्रखंड के सैकड़ों लोगों ने वन अधिकारी को कानून के तहत अपनी पैतृक जमीन वापस लेने का दावा पत्र भरा था. लेकिन अनुमंडल वन अधिकारी समिति ने सभी पत्र को रद्द कर दिया है. जिसके बाद जिला पदाधिकारी डॉ नवल किशोर चौधरी ने खुद मोर्चा संभालते हुए अधौरा प्रखंड के आदिवासियों से मुलाकात की और उनकी समस्याओं को सुना.

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दावे पत्र के लिए आए वनवासी

प्रशासन ने 13 लाख जनजातियों का दावा पत्र किया रद्द
वनवासियों का आरोप है कि जिला कल्याण पदाधिकारी ने 5 गांव के लोगों को मौखिक रूप से बुलाया है. जबकि उन्हें कानूनी प्रक्रिया के तहत जारी किए गए पत्र पर बुलाना चाहिए था. जिला प्रशासन ने 2006 से अब तक 13 लाख जनजातियों के दावे पत्र को रद्द कर दिया है. वनवासी कह रहे हैं कि जंगल की जमीन पर उनके पूर्वज खेती करते आ रहे हैं. इन्हीं जमीनों पर खेती कर के उनके परिवार का गुजारा होता है. ऐसे में जिला प्रशासन ने उनका दावा पत्र अस्वीकृत कर दिया है. अस्वीकृति किस कारण से हुई है, वह उन्हें मालूम नहीं.

कैमूर लेटेस्ट न्यूज, कैमूर पहाड़ी अधौरा प्रखंड खबर, tribals in bihar
जिला पदाधिकारी डॉ नवल किशोर चौधरी

अपनी जमीन वापस चाहते हैं वनवासी
वनवासियों का कहना है कि 2006 में वन अधिकारी कानून आया था. लेकिन जिला प्रशासन ने इन 13 सालों में एक भी दावा पत्र की स्वीकृति नहीं दी है और इसका कोई जमीनी कागजात भी नहीं हैं. वनवासी चाहते हैं कि उनके पूर्वजों की जमीन उन्हें मिल जाए, ताकि उनके परिवार का गुजारा हो सके.

जमीनी विवाद की समस्या का निवारण करेंगे डीएम

जल्द लिया जाएगा फैसला- DM
डीएम डॉ नवल किशोर चौधरी का कहना है कि अनुमंडल वन अधिकारी समिति के तहत इस विवाद पर निर्णय लिया जाएगा. इस समिति ने पहले वनवासियों के दावे पत्र को निरस्त कर दिया था. ऐसे में वे खुद सभी जनजातियों से मिल रहे हैं और उनकी समस्याएं सुन रहे हैं. जमीन पर दावा करने वाले आदिवासियों के पास कोई दस्तावेज है या नहीं, वे इसकी समीक्षा भी कर रहे हैं. बनाई गई समिति में जिला वन पदाधिकारी भी हैं. समिति जो फैसला लेगी, उससे सरकार को अवगत करवाया जाएगा.

Intro:कैमूर।

कैमूर पहाड़ी पर बसे जिले के अधौरा प्रखंड के सैकड़ो लोगों के द्वारा वन अधिकारी कानून के तहत दावा पत्र भरा था। लेकिन अनुमंडल वन अधिकारी समिति द्वारा सभी को निरस्त कर दिया गया। जिसके बाद डीएम डॉ नवल किशोर चौधरी ने खुद मोर्चा संभालते हुए अधौरा प्रखण्ड के आदिवासियों से मुलाकात की और समस्या सुना।


Body:आपको बतादें कि अधौरा में आदिवासियों और जिला प्रशासन के बीच कई बार जमीन को लेकर विवाद हुआ हैं। जिसके निबटारा के लिए डीएम ने खुद मोर्चा संभाला हैं।

क्या कहना हैं आदिवासियों का

आदिवासियों का आरोप हैं कि जिला कल्याण पदाधिकारी द्वारा 5 गांव के लोगों को मौखिक रूप से बुलाया गया हैं। जबकी कानूनी उन्हें पत्र निर्गत कानूनी प्रक्रिया त तहत बुलाना चाहिए था। वनवासियों का आरोप हैं कि जिला प्रशासन द्वारा 2006 से अब तक 13 लाख जनजातियों के दावा पत्र निरस्त कर दिया गया हैं। आदिवासियों का कहना हैं कि जंगल के जमीन पर उनके पूर्वज खेती करते आ रहे हैं उनके जीवन ज्ञापन का कोई दूसरा माध्यम नही हैं। जंगल की जमीन पर खेती कर परिवार का गुजारा करते हैं। उनका दावा पत्र के अस्वीकृत कर दिया गया हैं जिसका कारण उन्हें नही पता हैं। आदिवासियों का कहना है कि 2006 में वन अधिकारी कानून आया था लेकिन 13 वर्षो में भी जिला प्रशासन द्वारा एक भी दावा पत्र की स्वीकृति नही हुई और कानूनी जमीनी कागजात नही हैं। आदिवासियों ने कहना हैं कि वो चाहते हैं कि उनके पूर्वज की जमीन उन्हें मिल जाये ताकि परिवार का गुजारा हो सके और वन विभाग के डंडे से बच सके।


क्या कहा डीएम ने

डीएम डॉ नवल किशोर चौधरी ने कहा कि जिला वन अधिकारी समिति के तहत वन में अधिकार देना हैं कि नही इस पर निर्णय लिया जाएगा। जिसके लिए उनके देखरेख में एक समिति का गठन किया गया हैं। अनुमंडल वन अधिकारी समिति के द्वारा आदिवासियों के दावा पत्र के निरस्त कर दिया गया था। डीएम ने बताया कि वो खुद सभी आदिवासियों से मिल रहे हैं और जमीन पर दावा करने वाले आदिवासियों के पास कोई दस्तावेज हैं या नही इसकी समीक्षा कर रहे हैं। डीएम ने बताया कि समिति बनाई गई है जिसमें जिला वन पदाधिकारी भी हैं। समिति जो निर्णय लेगी उस निर्णय से सरकार को अवगत करवाया जाएगा।


Conclusion:
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