कैमूर (भभुआ): बिहार के कैमूर जिले में पराली को खेतों में जलाने से किसान (Farmers Burnt Stubble In Kaimur) बाज नहीं आ रहे हैं. जबकि सरकार द्वारा खेतों में पराली नहीं जलाने के लिए लगातार किसानों को जागरूक किया जा रहा है. साथ ही कड़ी चेतावनी भी दी जा रही है कि खेतों में पराली जलाने से वायु प्रदूषण (Pollution Due To Stubble Burning) तो बढ़ता ही है, मिट्टी की उर्वरता भी घट जाती है. बावजूद इसके पराली जलाने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं.
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दरअसल, धान की फसल पककर तैयार हो गई है. खेतों में धान के कटनी शुरू हो चुकी है. ऐसे में मशीनों द्वारा धान की कटाई होने पर उसके बचे हुए अवशेष को लोग जला दे रहे हैं. ऐसे में लगातार खेतों में जल रहे पराली से वायु प्रदूषण का खतरा बढ़ रहा है. ऐसे में लगातार किसानों के बीच कृषि विभाग के कर्मी और पदाधिकारी सहित प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा पराली नहीं जलाने के लिए जागरूक किया जा रहा है.
इसके साथ ही उन्हें कानूनी कार्रवाई की हिदायत भी दी गई है, लेकिन इसके बावजूद भी कई किसान जान बूझकर कर खेत में पराली जला रहे हैं. बता दें कि बिहार में सरकार की ओर से पराली जलाने पर रोक लगाई गई है. बिहार सरकार की ओर से इसे संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखा गया है. अगर कोई किसान पराली जलाते हुए पकड़ा जाता है तो उस पर आईपीसी की धारा 435 के तहत कार्रवाई की जाती है.
वहीं, इस मामले में दोषी पाए जाने पर किसान को 7 साल की कैद के साथ ही जुर्माना भी लग सकता है. सरकार ने कहा है कि जो किसान पराली जलाएगा, उसे 3 साल तक कृषि व सहकारिता विभाग की कल्याणकारी योजनाओं के अनुदान व अन्य लाभ से किसान वंचित रखा जाएगा.
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