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कैमूर: घर से 12 किमी दूर पहाड़ पर है आंगनवाड़ी, कहां पढ़ेंगे नौनिहाल?

सरकारी नियमावली की बात करें तो 6 साल से कम उम्र के बच्चों का नामांकन सरकारी विद्यालय में नहीं होता है लेकिन बिनोवानगर के नौनिहालों को उनके माता पिता गांव के प्राथमिक स्कूल भेजते हैं.

बच्चे
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Published : Feb 9, 2020, 9:29 AM IST

Updated : Feb 9, 2020, 10:02 AM IST

कैमूर: बिहार में सरकार शिक्षा व्यवस्था को लेकर लाख दावे कर ले लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है. बच्चों के पढ़ने के लिए स्कूल और आंगनवाड़ी केंद्र नजदीक नहीं होने से नौनिहालों का पढ़ना दुश्वार हो गया है. दरअसल, कैमूर के अधौरा प्रखंड के बिनोवानगर के रहने वाले बच्चे आंगनवाड़ी में पहाड़ से 12 किलोमीटर दूर है. जिस कारण बच्चे पढ़ने नहीं जा पाते हैं. यदि सड़क से इस केंद्र की दूरी देखी जाए तो लगभग 50 किमी की दूरी है. इतनी लंबी दूरी तय करना बच्चों के लिए कोई आसान काम नहीं है.

kaimur
पढ़ने जाते बच्चे

बता दें कि सदियों पुराने इस गांव का आंगनवाड़ी केंद्र पहाड़ पर बसा है. ऐसे में आज तक इस गांव के एक भी बच्चे केंद्र पर नहीं पहुंच पाए हैं. ग्रामीण बतातें हैं कि गांव के कई लोगों ने केंद्र को देखा तक नहीं है. ग्रमाीणों ने कहा कि बच्चों को पढ़ने के लिए सरकार को आंगनवाड़ी केंद्र को नजदीक लाने की जरुरत है. बच्चों की सुविधा के लिए सरकार और स्वास्थय विभाग दोनों को इस पर सोचने की आवश्यकता है.

बच्चे और गर्भावती महिला को आजतक नहीं मिला लाभ
सरकार की ओर से आंगनवाड़ी केंद्र पर छोटे बच्चों और गर्भावती महिलाओं के लिए कई योजना चलाई जाती है लेकिन आज तक इस गांव के बच्चों और महिलाओं को एक भी लाभ नहीं मिला है. सरकार की मानें तो केंद्र पर 6 साल से कम बच्चों के लिए टीकाकरण, गर्भवती महिलाओं के लिए टीकाकरण, पोषण योजना, स्वास्थ योजना, विद्यालय पूर्व शिक्षा का लाभ आंगनवाड़ी केन्द्र पर दिया जाता है लेकिन अफसोस की बात है कि इस गांव के बच्चों और महिलाओं को यह सब आज तक नसीब नहीं हुआ है.

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देवेंद्र कुमार यादव, प्रभारी प्रिंसिपल

गांव का प्राथमिक विद्यालय बना सहारा
सरकारी नियमावली की बात करें तो 6 साल से कम उम्र के बच्चों का नामांकन सरकारी विद्यालय में नहीं होता है लेकिन बिनोवानगर के नावनिहलों को उनके माता पिता गांव के प्राथमिक स्कूल भेजते हैं. स्कूल के प्रभारी प्रिंसिपल देवेंद्र कुमार ने बताया कि उन्हें 6 साल से कम उम्र के बच्चों का नामांकन लेना मना है लेकिन गांव में आंगनवाड़ी नहीं होने की वजह से 20-25 छोटे बच्चें जिनके उम्र 6 साल से कम हैं यहीं पढ़ने आते हैं. जिन्हें बिना नामांकन के स्कूल में पढ़ाते हैं और एमडीएम भी खिलाते हैं.

कैमूर से ईटीवी भारत की रिपोर्ट

विभाग को सौंपेगी जानकारी
आईसीडीएस की जिला प्रोग्राम अधिकारी रश्मि कुमारी ने कहा कि अधौरा प्रखण्ड भौगोलिक दृष्टिकोण से बहुत जटिल है. उन्होंने कहा कि बिनोवानागर कि जानकारी उन्हें मिली हैं. इस संबंध में विभाग से पत्र लिखकर आंगनवाड़ी को नजदीक लाने की कोशिश की जाएगी. जिससे बच्चों को परेशानी नहीं झेलना पड़े.

कैमूर: बिहार में सरकार शिक्षा व्यवस्था को लेकर लाख दावे कर ले लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है. बच्चों के पढ़ने के लिए स्कूल और आंगनवाड़ी केंद्र नजदीक नहीं होने से नौनिहालों का पढ़ना दुश्वार हो गया है. दरअसल, कैमूर के अधौरा प्रखंड के बिनोवानगर के रहने वाले बच्चे आंगनवाड़ी में पहाड़ से 12 किलोमीटर दूर है. जिस कारण बच्चे पढ़ने नहीं जा पाते हैं. यदि सड़क से इस केंद्र की दूरी देखी जाए तो लगभग 50 किमी की दूरी है. इतनी लंबी दूरी तय करना बच्चों के लिए कोई आसान काम नहीं है.

kaimur
पढ़ने जाते बच्चे

बता दें कि सदियों पुराने इस गांव का आंगनवाड़ी केंद्र पहाड़ पर बसा है. ऐसे में आज तक इस गांव के एक भी बच्चे केंद्र पर नहीं पहुंच पाए हैं. ग्रामीण बतातें हैं कि गांव के कई लोगों ने केंद्र को देखा तक नहीं है. ग्रमाीणों ने कहा कि बच्चों को पढ़ने के लिए सरकार को आंगनवाड़ी केंद्र को नजदीक लाने की जरुरत है. बच्चों की सुविधा के लिए सरकार और स्वास्थय विभाग दोनों को इस पर सोचने की आवश्यकता है.

बच्चे और गर्भावती महिला को आजतक नहीं मिला लाभ
सरकार की ओर से आंगनवाड़ी केंद्र पर छोटे बच्चों और गर्भावती महिलाओं के लिए कई योजना चलाई जाती है लेकिन आज तक इस गांव के बच्चों और महिलाओं को एक भी लाभ नहीं मिला है. सरकार की मानें तो केंद्र पर 6 साल से कम बच्चों के लिए टीकाकरण, गर्भवती महिलाओं के लिए टीकाकरण, पोषण योजना, स्वास्थ योजना, विद्यालय पूर्व शिक्षा का लाभ आंगनवाड़ी केन्द्र पर दिया जाता है लेकिन अफसोस की बात है कि इस गांव के बच्चों और महिलाओं को यह सब आज तक नसीब नहीं हुआ है.

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देवेंद्र कुमार यादव, प्रभारी प्रिंसिपल

गांव का प्राथमिक विद्यालय बना सहारा
सरकारी नियमावली की बात करें तो 6 साल से कम उम्र के बच्चों का नामांकन सरकारी विद्यालय में नहीं होता है लेकिन बिनोवानगर के नावनिहलों को उनके माता पिता गांव के प्राथमिक स्कूल भेजते हैं. स्कूल के प्रभारी प्रिंसिपल देवेंद्र कुमार ने बताया कि उन्हें 6 साल से कम उम्र के बच्चों का नामांकन लेना मना है लेकिन गांव में आंगनवाड़ी नहीं होने की वजह से 20-25 छोटे बच्चें जिनके उम्र 6 साल से कम हैं यहीं पढ़ने आते हैं. जिन्हें बिना नामांकन के स्कूल में पढ़ाते हैं और एमडीएम भी खिलाते हैं.

कैमूर से ईटीवी भारत की रिपोर्ट

विभाग को सौंपेगी जानकारी
आईसीडीएस की जिला प्रोग्राम अधिकारी रश्मि कुमारी ने कहा कि अधौरा प्रखण्ड भौगोलिक दृष्टिकोण से बहुत जटिल है. उन्होंने कहा कि बिनोवानागर कि जानकारी उन्हें मिली हैं. इस संबंध में विभाग से पत्र लिखकर आंगनवाड़ी को नजदीक लाने की कोशिश की जाएगी. जिससे बच्चों को परेशानी नहीं झेलना पड़े.

Intro:कैमूर।

बिहार के कैमूर जिलें में एक ऐसा गांव हैं जिसका आंगनबाड़ी केन्द्र गांव से जटिल पहाड़ियों के रास्ते होते हुए 12 किमी दूर पहाड़ पर स्तिथ हैं। यदि सड़क से इस केन्द्र की दूरी देखी जाए तो लगभग 50 किमी की दूरी हैं। सोचने में यह नामुमकिन से हैं लेकिन हैं हकीकत। कैमूर में यह कारनामा अधौरा प्रखण्ड का विनोबानगर का हैं। जहां के नावनिहलों के लिए आंगनबाड़ी केन्द्र उनके गांव में नहीं बल्कि पहाड़ पर हैं। ऐसे में गांव के मासूम बच्चों के साथ कितना इंसाफ हुआ हैं इसका अंदाजा लगाया जा सकता हैं।


Body:आपकों बतादें कि सदियों पुराने इस गांव का आंगनबाड़ी केन्द्र पहाड़ पर हैं। ऐसे में आजतक इस गांव के एक भी बच्च केन्द्र पर नहीं पहुँच पाए हैं। जिस पहाड़ के जटिल रास्ते पर बड़े लोगों को चढ़ना मुश्किल हैं वैसे रास्ते पर छोटे बच्चें कैसे चल सकतें हैं। ग्रामीण बतातें हैं कि गांव के कितने लोगों ने केन्द्र देखा तक नहीं हैं।


एक भी बच्चें और गर्भावती महिला को आजतक नहीं मिला लाभ

सरकार द्वारा आंगनबाड़ी केन्द्र पर छोटे बच्चों और गर्भावती महिलाओं के लिए कई योजना चलाई जाती हैं लेकिन आगजक इस गांव के बच्चों और महिलाओं को एक भी लाभ नहीं मिला हैं।
सरकार की मानें तो केंद्र पर 6 वर्ष से कम बच्चों के लिए टीकाकरण, गर्भवती महिलाओं के लिए टीकाकरण, पोषण योजना, स्वास्थ योजना, विद्यालय पूर्व शिक्षा का लाभ आंगनबाड़ी केन्द्र पर दिया जाता हैं। लेकिन अफसोस कि बात हैं कि इस गांव के बच्चों और महिलाओं को यह सब आजतक नसीब नहीं हुआ हैं।


गांव के प्राथमिक विद्यालय बना सहारा

सरकार नियमावली की बात करें तो 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का नामांकन सरकार विद्यालय में नहीं होता हैं। लेकिन विनोवा नगर के नावनिहलों को उनके माता पिता गांव के प्राथमिक स्कूल भेजते हैं। स्कूल के प्रभारी प्रिंसिपल नें बताया कि उन्हें 6 साल से कम उम्र के बच्चों का नामांकन लेना मना हैं। लेकिन गांव में आंगनबाड़ी नहीं होने की वजह से 20-25 छोटे बच्चें जिनके उम्र 6 साल से कम हैं स्कूल आते हैं। जिन्हें बिना नामांकन के स्कूल में पढ़ाते हैं और एमडीएम भी खिलाते हैं।


आसीडीएस की जिला प्रोग्राम पदाधिकारी रश्मि कुमारी बताती हैं। उन्होंने बताया कि अधौरा प्रखण्ड भौगोलिक दृष्टिकोण से बहुत जटिल हैं। विनोवनागर कि जानकारी उन्हें मिली हैं। इस संबंध में विभाग से पत्रचार कर कोशिश करेंगी की दूसरे प्रखंड के नजदीकी आंगनबाड़ी केंद्र से बच्चों और महिलाओं को सभी लाभ उपलब्ध कराया जाए।






Conclusion:अब देखना यह होगा कि आखिरकार कब गांव के बच्चों को केन्द्र मिलता हैं।

बाइट 1 - देवेंद्र कुमार यादव, प्रभारी प्रिंसिपल, प्राथमिक विद्यालय विनोवनागर, अधौरा
बाइट 2 - कलावती देवी, ग्रामीण
बाइट 3- रीता देवी , ग्रामीण
बाइट 4- रामसूरत राम, ग्रामीण
बाइट 5 - रश्मि कुमारी, जिला प्रोग्राम पदाधिकारी, आईसीडीएस
Last Updated : Feb 9, 2020, 10:02 AM IST
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