कैमूरः जब हौसला आसमान को छूने का हो तो रास्ते खुद बन जाते हैं. ऐसाही हौसलारखने वालीकैमूर की एक बेटी प्रोफेसर डॉ मधुलता शुक्ला हैं. जो अमेरिका की इंटरनेशनल जर्नल ऑफ कंप्यूटेशनल एंड थ्योरेटिकल केमिस्ट्री की मुख्य संपादक हैं.
प्रो.डॉ मधुलता शुक्ला कैमूर जिले के मोहनिया प्रखंड अन्तर्गत शुक्लपिपरा गांव की हैं, जो वर्तमान में अपने गांव में रहती हैं. जिले के रामगढ़ प्रखंड केजीबी कॉलेज में केमिस्ट्री विभाग में अस्सिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्त हैं. इन्हें अप्रैल में जापान की राजधानी टोक्यो में ग्रीन केमिस्ट्री विषय पर आयोजित होने वाली अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में विशेष व्यख्यान का इनविटेशन भी मिला है.
UGC कीतरफ से मिला स्टार्टअप प्रोजेक्ट
प्रो शुक्ला ने कैमूर जिले के इतिहास में किसी डिग्री कॉलेज में पहली बार राष्ट्रीय सेमिनार का सफल आयोजन कर अपने प्रतिभा का लोहा मनवाया था. इनके नाम से अब तक 24 रिसर्च पेपर प्रकाशित हो चुके हैं. यही नहीं अभी हाल ही में प्रो. शुक्ला को इंटरनेशनल जर्नल इंटेक का भी संपादक बनाया गया है. प्रो शुक्ला वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय की एकमात्र ऐसी प्रोफेसर हैं, जिन्होंने अपने टैलेन्ट के दम पर यूजीसी के तरफ से स्टार्टअप प्रोजेक्ट प्राप्त किया है. वह बताती हैं कि रिसर्च करना उनका पैशन है.
हमेशा मिला परिवार का साथ
ईटीवी भारत से खास बातचीत में प्रोफेसर शुक्ला ने कहा कि उनकी प्रारंभिक पढ़ाई रोहतास जिले के डेहरी ऑन-सोन स्तिथ मॉडल स्कूल से हुई है. जिसके बाद उन्होंने बीएचयू से ग्रेजुएशन, पोस्टग्रेजुएट और पीएचडी की डिग्री हासिल की. उन्होंने बताया कि लड़कियां किसी भी क्षेत्र में लड़कों से कम नही हैं. बस जरूरत है कि परिवार उनका साथ दे. आज जिस मुकाम पर वो खुद खड़ीं हैं वो उनके परिवार का विश्वास ही है.
क्या चाहती हैं प्रोफेसर शुक्ला
प्रो शुक्ला ने बताया कि उन्हें बहुत जगहों से ऑफर मिला बावजूद उन्होंने अपने गांव के नजदीक कॉलेज में पढ़ाने का निर्णय लिया, क्योंकि वो अपने गांव के लिए कुछ करना चाहती हैं. आज वो खुद जिस कॉलेज में प्रोफेसर हैं, उस कॉलेज का नीव जब रखा गया था तो उनके परिवार के सदस्य भी शामिल थे. प्रोफेसर शुक्ला ने बताया कि उनका लक्ष्य है कि वो उच्च शिक्षा के लिए गांव और छोटे शहरों के बच्चों को प्रेरित करें. उन्हें इस काबिल बनाये की गांव के बच्चे भी देश और दुनिया में बिहार का नाम रौशन करें.