कैमूर: जब ठेकेदारी में घाटा होने लगा तो मुकेश चौहान ने स्वांग रचकर खुद को शीतला माता का कलयुगी अवतार बताने लगा. भोले-भाले लोग इसके दिव्य अवतारी वाली कहानी के झांसे में आने लगे. लोगों के बीच इसके प्रति आस्था गहरी होने लगी. देखते ही देखते उसके भक्तों की संख्या बढ़ने लगी. हैरानी की बात है कि इसके बढ़ते अंधविश्वास पर नकेल कसने के लिए प्रशासन भी लापरवाह बना हुआ है.
ढोंगी बाबा फैला रहा अंधविश्वास
ढोंगी बाबा की सलाह और करतूतों से इलाके के लोगों की जान पर खतरा मंडरा रहा है. लोगों को लगता है कि बाबा के छू लेने से उनके रोग दूर हो जाएंगे. बावजूद इसके इलाके में जागरूकता के लिए प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. ढोंगी बाबा लगातार लोगों की जान को खतरे में डालकर अपना घर भर रहा है.
'ग्रामीण क्षेत्र में आज भी अंधविश्वास है. जिससे लोग डॉक्टर के पास जाने के बदले बाबा के पास आते हैं. रोज भीड़ रहती है, लेकिन रविवार और मंगलवार को काफी भीड़ होती है.'- अनिल सिंह पटेल, पूर्व मुखिया, सिंकदरपुर
कथित बाबा की काली कहानी
कुछ साल पहले कथित बाबा चेन्नई और हैदराबाद में ठेकेदारी करता था. जब उसे ठेकेदारी में घाटा हुआ तो वो बाबा बन गया. कुछ वक्त में ही उसने दो मंजिला मकान बना लिए. घर में ही शीतला माता का मंदिर बनाया और फिर अंधविश्वास का खेल शुरू कर दिया.
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ढोंगी बाबा के झांसे में न आना
इस खेल को चालू हुए महज 2 महीने ही हुए हैं, पर ग्रामीण इलाके में लोग इसके अंधविश्वास के लपेटे में लोग आते रहे. कोई बीमारी से छुटकारे की चाहत में आया, कोई संतान की चाहत में मन्नत लेकर आया. दुखों से पीड़ित लोग सुख की कामना से यहां पहुंचने लगे. रातों-रात ठेकेदार मुकेश चौहान बाबा बन गया. कथित बाबा का दावा है कि वो बड़े से बड़ा रोग 29 मिनट में दूर कर देगा. उसने दावा किया कि ये उसकी 17 साल की तपस्या का नतीजा है.
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एक भी मरीज नहीं हुआ ठीक
जिसकी औलाद नहीं हुई उसे तीन माहीने में गर्भवती होने के साथ सभी समस्याओं के निदान का दावा करता है. इस धंधे से खुद की एक दुकान है. सभी लोगों को उसी दुकान से खरीदने को कहा जाता है. आज तक कोई ऐसा मरीज नहीं मिला जो बाबा के इलाज से ठीक हो गया हो. सभी ने बोला कि इनकी बड़ी कृपा सुनकर यहां आए हैं.
ऐसे ढोंगी बाबा समाज में अंधविश्वास फैलाते हैं. इसकी सूचना पुलिस और जिम्मेदारों के पास भी पहुंचती है. लेकिन प्रशासन तब तक ऐसे बाबाओं पर एक्शन लेना मुनासिब नहीं समझता जब तक कोई अनहोनी न हो जाए. लगता है इस केस में भी प्रशासन किसी अनहोनी के इंतजार में बैठा है. जिस प्रशासन को अंधविश्वास पर लगाम लगाने के लिए जागरूकता फैलानी चाहिए वही, चुप्पी साधे बैठा है. जरूरत है ऐसे बाबाओं को सलाखों के पीछे डालने की. ताकि किसी की जान से कोई खिलवाड़ न कर सके.