पटना: वक्फ कानून संशोधन विधेयक को लेकर बनी वक्फ संसदीय समिति 12 नवंबर को पटना पहुंच रही है. 13 नवंबर को बिहार सरकार और वक्त बोर्ड से जुड़ी विभिन्न संस्थाओं से बातचीत करेगी और उनकी राय लेगी. पांच राज्यों के दौर में आखिरी दौरा उत्तर प्रदेश का होगा. वक्फ संशोधन बिल 2024 पर पब्लिक कंसल्टेशन के लिए समिति का ये आखिरी दौरा है. इसके बाद जेपीसी अपनी रिपोर्ट सौंप देगी.
जेडीयू का एक खेमा नाराजः वक्फ संसदीय समिति का बिहार दौरा बहुत खास है, क्योंकि जदयू ने लोकसभा में बिल का समर्थन किया था. इसको लेकर पार्टी के अंदर एक खेमा नाराज है. मुस्लिम संगठन भी नीतीश कुमार से मिलकर अपनी नाराजगी जाता चुका है. अब सरकार की तरफ से भी जेपीसी में बात रखी जाएगी. विपक्ष नीतीश कुमार पर दोहरा चरित्र अपनाने का आरोप लगा रहा है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नीतीश कुमार बीजेपी को भी खुश करना चाहते हैं, मुस्लिम नाराज ना हो यह भी दिखाने की कोशिश में है.
"नीतीश कुमार धर्मनिरपेक्षता की बात करते हैं और उनको मुस्लिम वोट को लेकर भी चिंता रहती है. ललन सिंह ने सदन में वक्फ विधेयक को लेकर समर्थन किया था अब सबकी नजर नीतीश कुमार पर है, क्योंकि पार्टी के सर्वेसर्वा नीतीश कुमार ही हैं. क्या फैसला लेते हैं वह देखने वाली बात होगी."- प्रिय रंजन भारती, राजनीतिक विश्लेषक
जेपीसी का बिहार दौरा महत्वपूर्णः नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के सहयोग से केंद्र में सरकार चल रही है. जदयू ने लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक को पुरजोर समर्थन किया था लेकिन बिहार के मुस्लिम संगठन जदयू के फैसले से नाराज हैं. विभिन्न मुस्लिम संगठन नीतीश कुमार पर दबाव बना रहा है. वहीं नाराजगी दूर करने के लिए नीतीश कुमार बिहार के सिया वक्फ बोर्ड, सुन्नी वक्फ बोर्ड और अन्य मुस्लिम संगठनों से बातचीत कर उन्हें आश्वासन दिया है.
मुस्लिम संगठनों को नीतीश से उम्मीदः बिहार सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खान ने कहा कि जो भी फीडबैक सरकार की तरफ से लिया गया है और मुस्लिम संगठनों की जो भी चिंता है उन सबको जेपीसी के सामने रखा जाएगा. सिया वक्त बोर्ड के अध्यक्ष सैयद अफजल अब्बास का कहना है कि वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक में 33 बिंदुओं पर हम लोगों की आपत्ति है. हम लोग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिल चुके हैं. उन्होंने जेपीसी के आने का आश्वासन दिया था.
बिहार में बढ़ी सियासी हलचलः जेपीसी के बिहार दौरे को लेकर बिहार में सियासी हलचल भी बढ़ने लगी है. ऐसे जेपीसी बिहार दौरे में राजनीतिक दलों से मुलाकात नहीं करने वाली है. जो शेड्यूल जारी हुआ है उसके अनुसार बिहार सरकार के प्रतिनिधि सिया और सुन्नी वर्क बोर्ड, बिहार राज्य अल्पसंख्यक आयोग, बार काउंसिल के प्रतिनिधि से मुलाकात करने की है. आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है कि जेपीसी का दौरा आई वाश है. क्योंकि गृह मंत्री अमित शाह लगातार जिस प्रकार से बयान दे रहे हैं उससे उनकी मंशा साफ है.
"जदयू का दोहरा चरित्र है. एक तरफ ललन सिंह जिस प्रकार से समर्थन किया है, वह बीजेपी की सोच के साथ चल रहे हैं वहीं नीतीश कुमार मुस्लिम संगठनों से मुलाकात तो करते हैं लेकिन ललन सिंह को लेकर कोई बयान नहीं देते हैं. जनता समझ रही है कि नीतीश कुमार बीजेपी की सोच के साथ चल रहे हैं."- एजाज अहमद, राजद प्रवक्ता
दो नाव पर सवार हैं नीतीश कुमारः राजनीतिक विश्लेषक सुनील पांडे का कहना है कि नीतीश कुमार दो नाव पर पैर रख रहे हैं. बीजेपी को भी नाराज नहीं करना चाहते हैं और मुस्लिम नाराज ना हो जाए इसकी भी कोशिश में लगे हैं. इसलिए मुस्लिम संगठनों से बातचीत के लिए अपने अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री को लगाया था. ललन सिंह के साथ सभी की एक बैठक भी करवाई थी. जो भी चिंता उनकी है उसे दूर करने की कोशिश की गई है. लेकिन इसका बहुत ज्यादा असर अभी तक वक्फ बोर्ड के स्टेक होल्डर पर नहीं हुआ है.
फतुहा दौरा कर सकती है समितिः बिहार दौरे पर सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता में बनी संयुक्त समिति स्टेकहोल्डर मुस्लिम महिलाओं, शिक्षाविदों, वकीलों और सामाजिक-धार्मिक संगठनों की राय तो लेगी ही साथ ही वक्फ बोर्ड से पीड़ित लोगों से भी मिल सकती है. पिछले दिनों फतुहा के पास गोविंदपुर का मामला बहुत ही विवादित रहा था. एक गांव को वक्फ की संपत्ति घोषित कर दी गई थी. वक्फ बोर्ड ने 30 दिन में गांव खाली करने का आदेश दिया था. पटना हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद कार्रवाई रुकी थी.
नौ नवंबर से दौरा कर रही समितिः वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर बनी संयुक्त संसदीय समिति 9 नवंबर से ही पांच राज्यों का दौरा कर रही है. 9 नवंबर को समिति गुवाहाटी से दौरा शुरू की. 11 नवंबर को भुवनेश्वर, 12 नवंबर को कोलकाता,12- 13 नवंबर को पटना और 13- 14 नवंबर को समिति लखनऊ का दौरा करेगी. JPC नवंबर के आखिरी हफ्ते तक अपनी रिपोर्ट शीतकालीन सत्र में संसद में देगी.
कई राज्यों का कर चुकी है दौराः इससे पहले संयुक्त संसदीय समिति ने 26 सितंबर से एक अक्टूबर तक लगातार 5 दिन मीटिंग कर 7 राज्यों की अल्पसंख्यक बॉडी से मुलाकात की थी. इस दौरान JPC ने 26 सितंबर को मुंबई और अगले दिन 27 सितंबर को गुजरात, 28 सितंबर को हैदराबाद, 30 सितंबर को चेन्नई और एक अक्टूबर को बैंगलोर का दौरा किया था. इसके साथ ही समिति ने स्थानीय अल्पसंख्यक आयोग और अन्य स्टेक होल्डर्स के साथ मीटिंग भी की थी.
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