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सरकारी शिक्षक के बच्चों को पढ़ाने का अनोखा स्टाइल, नाच-गाकर बच्चों को आसानी से पढ़ा देते हैं रास बिहारी

जमुई में सरकारी शिक्षक का पढ़ाने का अनोखा तरीका (Unique Style of Teaching Government Teacher In Jamui) लोगों को खूब भा रहा है. शिक्षक का नाम रास बिहारी तांती है. वो अनोखे तरीके से बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं. नाच-गाकर बच्चों को आसानी से पहाड़ा और हिंदी वर्ण का ज्ञान छात्रों को करा देंते हैं. उत्क्रमित मध्य विद्यालय पथलघट्टा के शिक्षक के पढ़ाने के इस स्टाइल को लोगों खूब सराहा रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर...

जमुई के सरकारी टीचर का पढ़ाने का स्टाइल लोगों को खूब भा रहा है
जमुई के सरकारी टीचर का पढ़ाने का स्टाइल लोगों को खूब भा रहा है
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Published : Oct 6, 2022, 6:02 AM IST

जमुई: बिहार के जमुई में एक सरकारी शिक्षक का पढ़ाने का तरीका खूब लोगों को भा रहा है. कहते हैं कि बचपन में अगर आपने पढ़ाई सही से नहीं की तो आगे चलकर वो अपना असर जरूर दिखाता है. इसलिए बच्चों के माता-पिता और शिक्षक छात्रों को बेस मजबूत करने के लिए जी तोड़ मेहनत करते हैं. परिजन से लेकर स्कूल टीचर तक उन्हें पढ़ाने के लिए कोई न कोई अनोखा तरीका ढूंढ ही लेते हैं. आपको याद होगा कि बचपन में पहाड़ा याद रखने के लिए आपने भी कभी न कभी गा कर ही उसे सीखा होगा. कुछ इसी के तर्ज पर उत्क्रमित मध्य विद्यालय पथलघट्टा (Upgraded Middle School Pathalghatta In Jamui) के शिक्षक बच्चों को पढ़ाते हैं.

ये भी पढ़ें- गीत और नृत्य के माध्यम इस स्कूल पढ़ाते शिक्षक

जमुई के सरकारी टीचर के पढ़ाने का अनोखा तरीका : गौरतलब है कि बच्चों को गिनती और हिंदी की मात्रा याद करने में जब तकलीफ हुई, तो बिहार सरकार के शिक्षा विभाग (Education Department of Bihar Government) सभी विधालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक और नामित शिक्षक को गैर आवासीय पांच दिवसीय चहक कार्यक्रम का प्रशिक्षण दिया था. प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके उत्क्रमित मध्य विद्यालय पथलघट्टा के शिक्षक रास बिहारी तांती ने चहक कार्यक्रम के तहत ऐसा तरीका अपनाया जिसे देखकर बच्चे लोट-पोट तो होंगे लेकिन गिनती और हिंन्दी की मात्राएं कभी नही भूलेंगे.

इस तहर बच्चों को पढ़ने में आता है आनंद : शिक्षक रास बिहारी तांती के प्रथम, द्धितीय एवं तृतीय कक्षा के बच्चों को नाच-गाकर ही बैसिक अक्षर एंव संख्या का ज्ञान दे रहे हैं. इस प्रकार से शिक्षा देने पर बच्चे बड़ी आसानी से अक्षरों को पहचान लेते हैं. गीत के माध्यम से पूरी मात्रा सहित अंग्रेजी के अल्फाबेट सहित अन्य संख्यात्मक ज्ञान भी हो जाता है. शिक्षक रास बिहारी तांती ने बताया कि इस प्रकार बच्चों को पढ़ाने में बड़ा ही आनंद आता है. साथ ही बच्चों को भी इस प्रकार शिक्षा लेने में आसानी रहती है. जल्द ही इन लोगों को बेसिक ज्ञान भी मिल जाता है.

'शिक्षा का महत्व वर्तमान समय में बहुत ही महत्वपूर्ण है. मैं भी सरकारी विद्यालय से शिक्षा-दीक्षा ग्रहण किया हूं. इसलिए मेरी ज्यादा कोशिश रहती है कि विद्यालय के बच्चे अच्छी तरह से पढ़ कर जिला सहित पूरे राज्य में इस विद्यालय का नाम रौशन करें.' - रास बिहारी तांती, शिक्षक, उत्क्रमित मध्य विद्यालय पथलघट्टा, जमुई

जमुई: बिहार के जमुई में एक सरकारी शिक्षक का पढ़ाने का तरीका खूब लोगों को भा रहा है. कहते हैं कि बचपन में अगर आपने पढ़ाई सही से नहीं की तो आगे चलकर वो अपना असर जरूर दिखाता है. इसलिए बच्चों के माता-पिता और शिक्षक छात्रों को बेस मजबूत करने के लिए जी तोड़ मेहनत करते हैं. परिजन से लेकर स्कूल टीचर तक उन्हें पढ़ाने के लिए कोई न कोई अनोखा तरीका ढूंढ ही लेते हैं. आपको याद होगा कि बचपन में पहाड़ा याद रखने के लिए आपने भी कभी न कभी गा कर ही उसे सीखा होगा. कुछ इसी के तर्ज पर उत्क्रमित मध्य विद्यालय पथलघट्टा (Upgraded Middle School Pathalghatta In Jamui) के शिक्षक बच्चों को पढ़ाते हैं.

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जमुई के सरकारी टीचर के पढ़ाने का अनोखा तरीका : गौरतलब है कि बच्चों को गिनती और हिंदी की मात्रा याद करने में जब तकलीफ हुई, तो बिहार सरकार के शिक्षा विभाग (Education Department of Bihar Government) सभी विधालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक और नामित शिक्षक को गैर आवासीय पांच दिवसीय चहक कार्यक्रम का प्रशिक्षण दिया था. प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके उत्क्रमित मध्य विद्यालय पथलघट्टा के शिक्षक रास बिहारी तांती ने चहक कार्यक्रम के तहत ऐसा तरीका अपनाया जिसे देखकर बच्चे लोट-पोट तो होंगे लेकिन गिनती और हिंन्दी की मात्राएं कभी नही भूलेंगे.

इस तहर बच्चों को पढ़ने में आता है आनंद : शिक्षक रास बिहारी तांती के प्रथम, द्धितीय एवं तृतीय कक्षा के बच्चों को नाच-गाकर ही बैसिक अक्षर एंव संख्या का ज्ञान दे रहे हैं. इस प्रकार से शिक्षा देने पर बच्चे बड़ी आसानी से अक्षरों को पहचान लेते हैं. गीत के माध्यम से पूरी मात्रा सहित अंग्रेजी के अल्फाबेट सहित अन्य संख्यात्मक ज्ञान भी हो जाता है. शिक्षक रास बिहारी तांती ने बताया कि इस प्रकार बच्चों को पढ़ाने में बड़ा ही आनंद आता है. साथ ही बच्चों को भी इस प्रकार शिक्षा लेने में आसानी रहती है. जल्द ही इन लोगों को बेसिक ज्ञान भी मिल जाता है.

'शिक्षा का महत्व वर्तमान समय में बहुत ही महत्वपूर्ण है. मैं भी सरकारी विद्यालय से शिक्षा-दीक्षा ग्रहण किया हूं. इसलिए मेरी ज्यादा कोशिश रहती है कि विद्यालय के बच्चे अच्छी तरह से पढ़ कर जिला सहित पूरे राज्य में इस विद्यालय का नाम रौशन करें.' - रास बिहारी तांती, शिक्षक, उत्क्रमित मध्य विद्यालय पथलघट्टा, जमुई

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