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कोरोना नहीं, यहां भूतों को भगाने के लिए लोगों को किया जाता है 'लॉकडाउन' - लोगों किया जाता है लॉकडाउन

भूत-पिचाश की काली छाया दूर करने के जमुई के एक गांव में जो कुछ चल रहा है, वो भयावह है. यहां पीड़ितों को जानवरों की तरह पेड़ों से बांधकर रखा गया है.

जमुई से गौतम कुमार की रिपोर्ट
जमुई से गौतम कुमार की रिपोर्ट
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Published : May 22, 2020, 8:04 PM IST

जमुई: आधुनिक युग में अंधविश्वास की बेड़ियां लोगों को मजबूती से जकड़े हुए हैं. इसका जीता जागता उदाहरण बिहार के जमुई जिले के अमरथ गांव में देखने को मिल रहा है. आस्था और इलाज के नाम पर लोगों को जंजीरों से बांधकर प्रताड़ित किया जा रहा है.

जमुई मुख्यालय से महज 6 किलोमीटर की दूरी पर बसे इस गांव में अंधविश्वास का काला खेल चल रहा है. इलाज के नाम पर लोगों को प्रताड़ित किया जा रहा है. ऐसा दावा है कि अमरथ गांव स्थित सैयद अहमद खान गाजी की मजार पर भूत-पिचाश, चुडैल, डायन से पीड़ित या मानसिक संतुलन खो चुके लोगों का इलाज किया जाता है. जो भी यहां आता है वो ठीक होकर जाता है. दावा यह है कि जब डॉक्टरी दवाईयां काम नहीं करती, तब लोग यहां आते हैं.

जमुई से गौतम कुमार की रिपोर्ट

दूर-दूर से आते हैं लोग
मजार के प्रबंधक पीर बाबा हामिद खान ने बताया कि यहां बिहार ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों को लोग भी आते हैं. उन्होंने कहा कि यूपी, एमपी, झारखंड, राजस्थान और पश्चिम बंगाल से लोग इलाज कराने आते हैं. हामिद की माने, तो लाखों की संख्या में लोग इलाज कराने आते हैं और ठीक हो कर जाते हैं.

मोटी-मोटी जंजीरों से लॉक किये जाते हैं पीड़ित
मोटी-मोटी जंजीरों से लॉक किये जाते हैं पीड़ित

बेड़ियों में बांध होता है इलाज
यहां, आये लोगों का इलाज बड़े ही क्रूर तरीकों से होता है. यहां आने वाले पीड़ितों के उपचार के लिए सरसों तेल तथा पानी का प्रयोग किया जाता है. पीड़ितों को मजार परिसर में ही मोटी-मोटी जंजीरों और तालों से लॉक कर दिया जाता है. फिर उन्हें जानवरों की तरह पेड़ से बांधकर खाने-पीने की सामाग्री मुहैया करायी जाती है. इस दौरान पीड़ित चिल्लाते भी हैं लेकिन उन्हें सुनने वाला कोई नहीं होता.

पेड़ों से बांधा गया पीड़ित
पेड़ से बांधा गया पीड़ित

वहीं, सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ. सैयद नौशाद अहमद ने इसे पूरी तरह अंधविश्वास बताया. उन्होंने कहा कि उन्होंने बताया कि जहां अंधविश्वास होता है, वहां विज्ञान भी हार मान लेता है. लोग झाड़-फूड़ पर विश्वास करते हैं. लोगों को समझाना पड़ेगा. ये एक तरह का मेंटल टॉर्चर है. अमानवीय कृत्य है.

एक तस्वीर ये भी
एक तस्वीर ये भी

अंधविश्वास से परे कुछ नहीं
विज्ञान के इस युग में जहां हम चांद और मंगल ग्रह पर बसने की सोच रहे हैं. ऐसे में इस मजार पर इलाज कर लोगों को सही करने का दावा अंधविश्वास को बढ़ावा देता नजर आता है. ईटीवी भारत ऐसे किसी भी अंधविश्वास का पुरजोर विरोध करता है. हम किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत करने का कोई भी उद्देश्य नहीं रखते हैं.

जमुई: आधुनिक युग में अंधविश्वास की बेड़ियां लोगों को मजबूती से जकड़े हुए हैं. इसका जीता जागता उदाहरण बिहार के जमुई जिले के अमरथ गांव में देखने को मिल रहा है. आस्था और इलाज के नाम पर लोगों को जंजीरों से बांधकर प्रताड़ित किया जा रहा है.

जमुई मुख्यालय से महज 6 किलोमीटर की दूरी पर बसे इस गांव में अंधविश्वास का काला खेल चल रहा है. इलाज के नाम पर लोगों को प्रताड़ित किया जा रहा है. ऐसा दावा है कि अमरथ गांव स्थित सैयद अहमद खान गाजी की मजार पर भूत-पिचाश, चुडैल, डायन से पीड़ित या मानसिक संतुलन खो चुके लोगों का इलाज किया जाता है. जो भी यहां आता है वो ठीक होकर जाता है. दावा यह है कि जब डॉक्टरी दवाईयां काम नहीं करती, तब लोग यहां आते हैं.

जमुई से गौतम कुमार की रिपोर्ट

दूर-दूर से आते हैं लोग
मजार के प्रबंधक पीर बाबा हामिद खान ने बताया कि यहां बिहार ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों को लोग भी आते हैं. उन्होंने कहा कि यूपी, एमपी, झारखंड, राजस्थान और पश्चिम बंगाल से लोग इलाज कराने आते हैं. हामिद की माने, तो लाखों की संख्या में लोग इलाज कराने आते हैं और ठीक हो कर जाते हैं.

मोटी-मोटी जंजीरों से लॉक किये जाते हैं पीड़ित
मोटी-मोटी जंजीरों से लॉक किये जाते हैं पीड़ित

बेड़ियों में बांध होता है इलाज
यहां, आये लोगों का इलाज बड़े ही क्रूर तरीकों से होता है. यहां आने वाले पीड़ितों के उपचार के लिए सरसों तेल तथा पानी का प्रयोग किया जाता है. पीड़ितों को मजार परिसर में ही मोटी-मोटी जंजीरों और तालों से लॉक कर दिया जाता है. फिर उन्हें जानवरों की तरह पेड़ से बांधकर खाने-पीने की सामाग्री मुहैया करायी जाती है. इस दौरान पीड़ित चिल्लाते भी हैं लेकिन उन्हें सुनने वाला कोई नहीं होता.

पेड़ों से बांधा गया पीड़ित
पेड़ से बांधा गया पीड़ित

वहीं, सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ. सैयद नौशाद अहमद ने इसे पूरी तरह अंधविश्वास बताया. उन्होंने कहा कि उन्होंने बताया कि जहां अंधविश्वास होता है, वहां विज्ञान भी हार मान लेता है. लोग झाड़-फूड़ पर विश्वास करते हैं. लोगों को समझाना पड़ेगा. ये एक तरह का मेंटल टॉर्चर है. अमानवीय कृत्य है.

एक तस्वीर ये भी
एक तस्वीर ये भी

अंधविश्वास से परे कुछ नहीं
विज्ञान के इस युग में जहां हम चांद और मंगल ग्रह पर बसने की सोच रहे हैं. ऐसे में इस मजार पर इलाज कर लोगों को सही करने का दावा अंधविश्वास को बढ़ावा देता नजर आता है. ईटीवी भारत ऐसे किसी भी अंधविश्वास का पुरजोर विरोध करता है. हम किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत करने का कोई भी उद्देश्य नहीं रखते हैं.

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