लोकसभा चुनाव की रनभेरी बज चुकी है. सियासी समर में सभी दलों के नेता कूदने को तैयार हैं. बात जमुई लोकसभा की करें तो इस बार यहां दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है. 2014 में यहां से सांसद चुने गए रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान 2019 में भी जमुई से ही चुनाव लड़ेंगे. उनके सामने होंगे...महागठबंधन से आरएलएसपी के प्रत्याशी भूदेव चौधरी. वर्तमान सांसद और पूर्व सांसद के बीच मुकाबला कड़ा होने वाला है.
चिराग का सियासी सफर
यूं तो चिराग पासवान ने अपने करियर की शुरुआत फिल्म इंडस्ट्री से की थी. कुछ दिनों के लिए चर्चा में भी आए, लेकिन राजनीतिक विरासत ऐसी की सियासत में आना तो तय ही था. दिग्गज राजनेता और लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान के बेटे ने फिल्म इंडस्ट्री को छोड़कर सियासत में कदम रखा और जमुई से 2014 में जीतकर लोकसभा पहुंचे. साल 2014 से अब 2019 आ गया चिराग पासवान इस बार भी चुनावी मैदान में हैं.
जिले का राजनीतिक तापमान बढ़ा
जमुई लोकसभा क्षेत्र के लिए पहले चरण में 11 अप्रैल को चुनाव होना है. जमुई सीट के लिए महागठबंधन ने रालोसपा के भूदेव चौधरी को उम्मीदवार बनाया है. नामों की घोषणा होने के साथ ही जिले में राजनीतिक तापमान बढ़ गया है. भूदेव चौधरी जमुई लोक सभा सीट से 2009 में जीत दर्ज कर चुके हैं. उन्होंने जदयू के टिकट से चुनाव लड़ा था और उस समय उन्होंने राजद के श्याम रजक को हराया था. इस बार भूदेव चौधरी चिराग पासवान को टक्कर देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं.
जमुई संसदीय क्षेत्र का इतिहास
जमुई संसदीय क्षेत्र पहले भी कई बार अस्तित्व में आया, लेकिन फिर मुंगेर संसदीय सीट में शामिल हो गया. साल 2009 में एक लंबे अंतराल के बाद जमुई संसदीय सीट को अपनी पहचान मिली. जिले की चारों विधानसभा जमुई, चकाई, झाझा और सिकंदरा विधानसभा क्षेत्र के साथ-साथ मुंगेर जिले के तारापुर और शेखपुरा जिले के शेखपुरा विधानसभा को मिलाकर जमुई लोकसभा क्षेत्र बनाया गया. लंबे अंतराल के बाद यहां से 2009 में जदयू के भूदेव चौधरी सांसद चुने गए. इसके बाद 2014 में जमुई लोकसभा सीट पर लोक जनशक्ति पार्टी के चिराग पासवान यहां से संसद भवन पहुंचे.
चिराग को लेकर सकारात्मरक दिख रही जनता
इन पांच सालों में जनता के लिए चिराग पासवान ने क्या कुछ किया है ये तो चुनाव परिणाम के दिन ही पता चल पाएगा लेकिन जमुई की जनता चिराग पासवान को लेकर सकारात्मक दिख रही है. उनके कामों की शहर औक कस्बे की जनता तारीफ भी कर रही है. ऐसे में चिराग के हौसले इस बार भी बुलंद ही होंगे. हालांकि इस बार चिराग के लिए चुनौतियां कम नहीं हैं. एक तरफ जातीय समीकरण होंगे तो दूसरी तरफ भूदेव चौधरी की कड़ी टक्कर. वहीं, ग्रामीण इलाके के कुछ लोगों में चिराग पासवान को लेकर नाराजगी भी है. वे कहते हैं कि उनके सांसद महोदय ने इन पांच सालों में उनपर कुछ विशेष ध्यान नहीं दिया है.
भूदेव भी जोर-शोर से लगे
इधर, भूदेव चौधरी भी लगातार जमुई के लोगों से मिल रहे हैं. महागठबंधन के तमाम नेताओं के साथ मिलकर चुनावी तैयारियों पर चर्चा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमने रणनीति बना ली है इस बार राहुल होंगे देश के पीएम और तेजस्वी होगें बिहार के सीएम.
मतदाताओं की संख्या
साल 2014 के चुनाव पर नजर डालें तो यहां मतदाताओं की संख्या 15,50,936 थी. इनमें इनमें से केवल 7,75639 लोगों ने अपने मतों का प्रयोग किया था. जिनमें पुरुषों की संख्या 415743 और महिलाओं की संख्या 359896 थी. जबकि इस वर्ष जो जिला निर्वाचन कार्यालय से जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक जमुई लोकसभा में मतदाताओं की कुल संख्या 17 लाख 9396 है जिनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 905492 जबकि महिला वोटरों की संख्या 803740 है थर्ड जेंडर मतदाताओं की संख्या 34 है.
जातीय समीकरण का गणित
जातीय समीकरण पर गौर करें तो लगभग 17 लाख मतदाता वाले वाले इस लोकसभा क्षेत्र में यादव और मुस्लिम गठजोड़ सब पर भारी है. इसकी सबसे बड़ी वजह है कि यादव समुदाय के वोटरों के बाद यहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है. यहां लगभग साढ़े तीन लाख यादव वोटर हैं जबकि मुस्लिम मतदाताओं की संख्या दो लाख 15 हजार के आसपास है. यहां पिछड़ी जाति के चार लाख वोटर हैं जबकि महादलित मतदाताओं की संख्या भी दो लाख 15 हजार है. जबकि यहां सवर्ण वोटरों की संख्या भी दो लाख के आसपास है. अब इस जातीय समीकरण के साथ विकास को आधार बनाते हुए यहां से कौन बाजी मारेगा ये तो जमुई की जनता चुनाव परिणाम के दिन तय करेगी.