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विभाग की छवि खराब करने के आरोपी हेडमास्टर के समर्थन में शिक्षकों ने बेचा बोरा

सरकार के आदेश का अनुपालन करने के लिए घूम-घूम कर बोरा बेचने वाले शिक्षक के निलंबन के खिलाफ नियोजित शिक्षकों ने बोरा बेचकर विरोध जताया. आंदोलनकारी शिक्षकों ने उक्त शिक्षक का निलंबन वापस लेने की मांग की. पढ़ें पूरी खबर.

शिक्षकों ने बेचा बोरा
शिक्षकों ने बेचा बोरा
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Published : Aug 16, 2021, 7:22 PM IST

जमुई: बिहार सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ (Bihar State Elementary Teachers Association) के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप कुमार पप्पू के आह्वान पर जिले के नियोजित शिक्षकों ने मुख्यालय स्थित अम्बेडकर प्रतिमा के सामने बोरा बेचा (Teachers sold sacks). दरअसल, शिक्षक मध्याह्न भोजन योजना (Mid Day Meal), बिहार के निदेशक की कार्रवाई से परेशान हैं. उस अधिकारी ने पत्र लिखकर मध्याह्न भोजन योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2014-15 व 2015-16 में प्राप्त चावल के बोरों को बेचकर 10 रुपये प्रति बोरा राशि जमा करने का निर्देश दिया था.

ये भी पढ़ें: नप गए 'बोरा बेचने वाले' मास्टर साहब, शिक्षा विभाग ने कर दिया निलंबित.. जानें पूरा मामला

इस निर्देश के अनुपालन के लिए कटिहार जिले के कदवा के कांताडीह के प्रभारी प्रधानाध्यपक मो. तमिजुद्दीन ने घूम-घूम कर बोरा बेचना शुरू किया था. उस शिक्षक के बोरा बेचने का वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो गया था. इसके बाद विशेष सचिव, शिक्षा विभाग सह निदेशक मध्याह्न भोजन योजना ने विभाग की छवि खराब करने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. आखिरकार तमिजुद्दीन को निलंबित कर दिया गया था.

उसी काे लेकर शिक्षक आंदोलित हैं तथा विभाग पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगा रहे हैं. उनका कहना है कि कार्रवाई ऐसे आदेश देने वाले पदाधिकारी पर होनी चाहिए. इसे लेकर शिक्षकों ने अम्बेडकर चौक पर सोमवार को बोरा बेचा. इसका नेतृत्व जिला कार्यकारी अध्यक्ष नवल किशोर यादव व सचिव जवाहर प्रसाद यादव ने किया.

सचिव ने कहा कि जब तक मो. तमिजुद्दीन का निलंबन तथा बोरा बेचने का आदेश वापस नहीं लिया जाता, तब तक हमारा विरोध जारी रहेगा. चाहे हम शिक्षकों को सड़क पर उतरना क्यों नहीं पड़े. मौके पर जिला महासचिव मनोज कुमार यादव, जिला उपाध्यक्ष राजेन्द्र दास, शिक्षा सेवक प्रदेश महासचिव नीतेश्वर आजाद, प्रखंडों के अध्यक्ष विनय कुमार दास, धीरज कुमार, उदय कुमार, राजकुमार यादव, उपेन्द्र यादव, चन्द्रमोहन प्रसाद, प्रेमदास, प्रमोद दास, समेत दर्जनों शिक्षक मौजूद थे.

यहां बता दें कि बिहार सरकार के शिक्षा विभाग (Education Department) के आदेश के विरोध में बोरा बेचने वाले कटिहार के शिक्षक पर कार्रवाई की गई थी. मध्यान्ह भोजन योजना समिति (MDM Program) ने शिक्षा विभाग की छवि को धूमिल करने और इस प्रदर्शन को नियमावली के खिलाफ बताकर कार्रवाई की अनुशंसा की थी. जिसके बाद उस शिक्षक को निलंबित कर दिया गया है.

गौरतलब है कि बता दें कि कुछ दिन पूर्व कटिहार के कदवा विधानसभा क्षेत्र के कदवा सौनैली बाजार में एक सरकारी शिक्षक मध्यान्ह भोजन योजना (मिड-डे मील) के तहत स्कूलों में आए राशन के खाली बोरे बेचते नजर आए थे. उन्होंने कहा था कि वे सरकार से मिले आदेश के बाद ऐसा कर रहे हैं.

शिक्षक ने यह भी कहा था कि अगर वे बोरे बेचकर पैसे विभाग को नहीं देते हैं, तो उनके वेतन से पैसे काट लिए जाएंगे. दरअसल, कांताडीह कदवा प्राथमिक विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यक मो. तमिजुद्दीन सरकार के इस फैसले का इस तरीके से विरोध कर रहे थे, जो अब उन्हें और भी महंगा पड़ गया है.

ये भी पढ़ें: बिहार के विभिन्न जिलों में 'बोरा बेचकर' शिक्षकों ने किया विरोध प्रदर्शन

दरअसल, पूरा मामला स्कूली बच्चों के मध्याह्न भोजन योजना से जुड़ा है. शिक्षा विभाग ने एक आदेश जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि सत्र 2014-15 और सत्र 2015-16 में सरकारी स्कूलों को जो एमडीएम के चावल उपलब्ध कराए गए थे, उनके खाली बोरों को गिनती के साथ बिक्री कर प्रति बोरे 10 रूपये की दर से राशि विभाग को भेजी जाए.

शिक्षा विभाग के इसी आदेश का शिक्षक मो. तमिजुद्दीन ने विरोध किया था. अकेले मो.तमिजुद्दीन ने ही नहीं, बल्कि अन्य शिक्षकों ने भी इस फैसले से नाराजगी जताई है. क्योंकि शिक्षा विभाग के आदेश में यह भी कहा गया है कि जो शिक्षक बोरा बेचकर राशि विभाग को नहीं भेजेंगे, उनके वेतन से बोरे की राशि काट ली जाएगी.

शिक्षक ने कहा था काफी समय बीत जाने के कारण बोरों को चूहों ने काट दिया है. वहीं बेंच-डेस्क के अभाव में स्कूली बच्चों ने बैठने के लिए भी बोरों को इस्तेमाल किया है. अब पांच सालों के बाद उन पुराने बोरों को कहां से वापस लाएंगे और राशि कैसे भेजी जाएगी. उन्होंने यह भी तर्क दिया था कि हम चाहते हैं कि 'बच्चे हमारे पास पढ़ने के लिए आएं न कि बोरे खरीदने के लिए.

जमुई: बिहार सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ (Bihar State Elementary Teachers Association) के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप कुमार पप्पू के आह्वान पर जिले के नियोजित शिक्षकों ने मुख्यालय स्थित अम्बेडकर प्रतिमा के सामने बोरा बेचा (Teachers sold sacks). दरअसल, शिक्षक मध्याह्न भोजन योजना (Mid Day Meal), बिहार के निदेशक की कार्रवाई से परेशान हैं. उस अधिकारी ने पत्र लिखकर मध्याह्न भोजन योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2014-15 व 2015-16 में प्राप्त चावल के बोरों को बेचकर 10 रुपये प्रति बोरा राशि जमा करने का निर्देश दिया था.

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इस निर्देश के अनुपालन के लिए कटिहार जिले के कदवा के कांताडीह के प्रभारी प्रधानाध्यपक मो. तमिजुद्दीन ने घूम-घूम कर बोरा बेचना शुरू किया था. उस शिक्षक के बोरा बेचने का वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो गया था. इसके बाद विशेष सचिव, शिक्षा विभाग सह निदेशक मध्याह्न भोजन योजना ने विभाग की छवि खराब करने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. आखिरकार तमिजुद्दीन को निलंबित कर दिया गया था.

उसी काे लेकर शिक्षक आंदोलित हैं तथा विभाग पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगा रहे हैं. उनका कहना है कि कार्रवाई ऐसे आदेश देने वाले पदाधिकारी पर होनी चाहिए. इसे लेकर शिक्षकों ने अम्बेडकर चौक पर सोमवार को बोरा बेचा. इसका नेतृत्व जिला कार्यकारी अध्यक्ष नवल किशोर यादव व सचिव जवाहर प्रसाद यादव ने किया.

सचिव ने कहा कि जब तक मो. तमिजुद्दीन का निलंबन तथा बोरा बेचने का आदेश वापस नहीं लिया जाता, तब तक हमारा विरोध जारी रहेगा. चाहे हम शिक्षकों को सड़क पर उतरना क्यों नहीं पड़े. मौके पर जिला महासचिव मनोज कुमार यादव, जिला उपाध्यक्ष राजेन्द्र दास, शिक्षा सेवक प्रदेश महासचिव नीतेश्वर आजाद, प्रखंडों के अध्यक्ष विनय कुमार दास, धीरज कुमार, उदय कुमार, राजकुमार यादव, उपेन्द्र यादव, चन्द्रमोहन प्रसाद, प्रेमदास, प्रमोद दास, समेत दर्जनों शिक्षक मौजूद थे.

यहां बता दें कि बिहार सरकार के शिक्षा विभाग (Education Department) के आदेश के विरोध में बोरा बेचने वाले कटिहार के शिक्षक पर कार्रवाई की गई थी. मध्यान्ह भोजन योजना समिति (MDM Program) ने शिक्षा विभाग की छवि को धूमिल करने और इस प्रदर्शन को नियमावली के खिलाफ बताकर कार्रवाई की अनुशंसा की थी. जिसके बाद उस शिक्षक को निलंबित कर दिया गया है.

गौरतलब है कि बता दें कि कुछ दिन पूर्व कटिहार के कदवा विधानसभा क्षेत्र के कदवा सौनैली बाजार में एक सरकारी शिक्षक मध्यान्ह भोजन योजना (मिड-डे मील) के तहत स्कूलों में आए राशन के खाली बोरे बेचते नजर आए थे. उन्होंने कहा था कि वे सरकार से मिले आदेश के बाद ऐसा कर रहे हैं.

शिक्षक ने यह भी कहा था कि अगर वे बोरे बेचकर पैसे विभाग को नहीं देते हैं, तो उनके वेतन से पैसे काट लिए जाएंगे. दरअसल, कांताडीह कदवा प्राथमिक विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यक मो. तमिजुद्दीन सरकार के इस फैसले का इस तरीके से विरोध कर रहे थे, जो अब उन्हें और भी महंगा पड़ गया है.

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दरअसल, पूरा मामला स्कूली बच्चों के मध्याह्न भोजन योजना से जुड़ा है. शिक्षा विभाग ने एक आदेश जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि सत्र 2014-15 और सत्र 2015-16 में सरकारी स्कूलों को जो एमडीएम के चावल उपलब्ध कराए गए थे, उनके खाली बोरों को गिनती के साथ बिक्री कर प्रति बोरे 10 रूपये की दर से राशि विभाग को भेजी जाए.

शिक्षा विभाग के इसी आदेश का शिक्षक मो. तमिजुद्दीन ने विरोध किया था. अकेले मो.तमिजुद्दीन ने ही नहीं, बल्कि अन्य शिक्षकों ने भी इस फैसले से नाराजगी जताई है. क्योंकि शिक्षा विभाग के आदेश में यह भी कहा गया है कि जो शिक्षक बोरा बेचकर राशि विभाग को नहीं भेजेंगे, उनके वेतन से बोरे की राशि काट ली जाएगी.

शिक्षक ने कहा था काफी समय बीत जाने के कारण बोरों को चूहों ने काट दिया है. वहीं बेंच-डेस्क के अभाव में स्कूली बच्चों ने बैठने के लिए भी बोरों को इस्तेमाल किया है. अब पांच सालों के बाद उन पुराने बोरों को कहां से वापस लाएंगे और राशि कैसे भेजी जाएगी. उन्होंने यह भी तर्क दिया था कि हम चाहते हैं कि 'बच्चे हमारे पास पढ़ने के लिए आएं न कि बोरे खरीदने के लिए.

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