जमुई: 100 बेड वाले सदर अस्पताल में मरीजों की सुविधा के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा छह वेंटिलेटरों की व्यवस्था की गई है, ताकि गंभीर रोगो से परेशान मरीजों की जान बचायी जा सकें. वेंटिलेटर के यहां आये एक साल बीत जाने के बावजूद इसकी सुविधा मरीजों को आज तक नहीं मिल पा रही है. जिसके कारण मरीजों को पटना और भागलपुर जाना पड़ता है. वहीं, कोविड वार्ड के कर्मचारियों ने बताया कि, "अस्पताल में वेंटिलेटर चलाने के लिए कोई विशेषज्ञ नहीं है.
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तकनीशियनों का इंतजार कर रहा वेंटिलेटर
एक साल बीत जाने के बाद भी वेंटिलेटर ऑपरेट करने के लिए तकनीशियनों की तैनाती नहीं हुई है. इस दिशा में कोई कारगर कदम भी नहीं उठाया गाय. सदर अस्पताल में कोरोना और अन्य बीमारी के गंभीर मरीजों के लिए 6 वेंटिलेटर उपलब्ध हैं. वेंटिलेटर को इंस्टॉल भी कर दिया गया है.
सदर अस्पताल में वेंटिलेटर को ऑपरेट करने के लिए प्रशिक्षित तकनीशियन उपलब्ध नहीं हैं. स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना के गंभीर मरीजों को देखते हुए यह सुविधा कोरोना के पहले वेव के दौरान जिला स्तर पर उपलब्ध कराया गया था.
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जानकारों की मानें तो वेंटिलेटर को चलाने के लिए विशेषज्ञों की टीम होती है. सदर अस्पताल में वेंटिलेटर ऑपरेट करने के लिए एक भी प्रशिक्षित टेक्नीशियन नहीं है. वेंटिलेटर मशीन को ऑपरेट करने के लिए एनेस्थीसिया के विशेषज्ञ चिकित्सकों की जरूरत होती है. सदर अस्पताल में एनेस्थीसिया चिकित्सक भी नहीं हैं.