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स्वास्थ्य महकमा का अजीब हाल है 'साहब', कुत्तों को देने वाला इंजेक्शन बच्चे को दे दिया - Child hospitalized in jamui

जमुई में जन औषधि केंद्र संचालक ने कुत्ते को देने वाला इंजेक्शन बच्चे को दिया. बच्चे की हालत बिगड़ने पर उसे अस्पताल में भर्ती किया गया. बच्चे के परिजनों ने एसडीओ से मिलकर आरोपी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की.

जमुई
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Published : Feb 17, 2021, 8:27 PM IST

जमुई: जिले के सदर अस्पताल में चार सप्ताह से रेबीज की सुई नहीं होने के कारण डॉग बाइट के मरीजों के परिजन सुई के लिए प्रत्येक दिन सदर अस्पताल के चक्कर लगा रहे हैं. वहीं, बुधवार को सदर प्रखंड क्षेत्र के पद्मावत गांव निवासी नकूल राम अपने 8 वर्षीय पुत्र विशाल कुमार को रेबीज की सुई दिलवाने के लिए सदर अस्पताल पहुंचा था.

ये भी पढ़ें- जमुई: चिकित्सकों ने पुलिसकर्मियों को दी गई फर्स्ट उपचार की ट्रेनिंग

जन औषधि केंद्र संचालक की लापरवाही
सुई नहीं रहने के कारण अस्पताल परिसर में स्थित प्रधानमंत्री के महत्वकांक्षी योजना भारतीय जन औषधि केंद्र में जब नकूल राम पहुंचा, तो उन्होंने वहां पर मौजूद कर्मी से रेबीज सुई की जानकारी ली, तो उसके द्वारा बताया गया कि 160 रूपये में रेबीज की सुई उपलब्ध है.

बच्चे को अस्पताल में कराया भर्ती
वहीं, सभी बातों से अनजान नकुल ने अपने 8 वर्षीय बच्चे को सुई दिलवाई. जैसे ही वह सुई दिलाकर बच्चे को अपने घर ले जाने लगा, तभी उसके एक जानकार ने उन्हें बताया कि ये सुई कुत्ते को देने के लिए बनाई गई है. वहीं, इस बात की जानकारी के बाद बच्चे के परिजन के होश उड़ गए. उन्होंने आनन-फानन में सदर अस्पताल पहुंचकर भारतीय जन औषधि केंद्र में जमकर हंगामा किया. जबकि बच्चे को इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया गया.

जानवरों का इंजेक्शन होने की पुष्टि
जानवरों का इंजेक्शन होने की पुष्टि

जानवरों का इंजेक्शन होने की पुष्टि
पूरे मामले की जांच के लिए डयूटी पर तैनात चिकित्सक डाॅ.संजीव कुमार सिंह और डॉ.धनश्याम सुमन से मिलकर दवा का सैंपल दिखाया गया, तो उन्होंने बताया कि ये सुई पालतू कुत्ते को एक बाद दी जाती है. जिससे रेबीज से बचाव किया जाता है. साथ ही चिकित्सक ने बताया कि ये दवा अमूमन जो मेडिकल स्टोर जानवरों के दवा बेचते हैं. वैसे स्टॉकिस्ट के पास हो, तो ये जन औषधि केन्द्र में रखना भी गलत है.

ये भी पढ़ें- बिना रुपए लिए नहीं हुआ शव का पोस्टमार्टम, पैर पकड़कर गुहार लगाता रहा मृतक का भाई

कानूनी कार्रवाई की मांग
घटना के बाद पीड़ित परिजनों ने सदर एसडीओ प्रतिभा रानी के कार्यालय पहुंचकर. आरोपी केंद्र संचालक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की. साथ ही बताया कि जन औषधि केन्द्र में जानवरों की दवा कहां से आई, ये जांच का विषय है.

स्वास्थ्य महकमा का अजीब हाल है 'साहब', कुत्तों को देने वाला इंजेक्शन बच्चे को दे दिया

जमुई: जिले के सदर अस्पताल में चार सप्ताह से रेबीज की सुई नहीं होने के कारण डॉग बाइट के मरीजों के परिजन सुई के लिए प्रत्येक दिन सदर अस्पताल के चक्कर लगा रहे हैं. वहीं, बुधवार को सदर प्रखंड क्षेत्र के पद्मावत गांव निवासी नकूल राम अपने 8 वर्षीय पुत्र विशाल कुमार को रेबीज की सुई दिलवाने के लिए सदर अस्पताल पहुंचा था.

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जन औषधि केंद्र संचालक की लापरवाही
सुई नहीं रहने के कारण अस्पताल परिसर में स्थित प्रधानमंत्री के महत्वकांक्षी योजना भारतीय जन औषधि केंद्र में जब नकूल राम पहुंचा, तो उन्होंने वहां पर मौजूद कर्मी से रेबीज सुई की जानकारी ली, तो उसके द्वारा बताया गया कि 160 रूपये में रेबीज की सुई उपलब्ध है.

बच्चे को अस्पताल में कराया भर्ती
वहीं, सभी बातों से अनजान नकुल ने अपने 8 वर्षीय बच्चे को सुई दिलवाई. जैसे ही वह सुई दिलाकर बच्चे को अपने घर ले जाने लगा, तभी उसके एक जानकार ने उन्हें बताया कि ये सुई कुत्ते को देने के लिए बनाई गई है. वहीं, इस बात की जानकारी के बाद बच्चे के परिजन के होश उड़ गए. उन्होंने आनन-फानन में सदर अस्पताल पहुंचकर भारतीय जन औषधि केंद्र में जमकर हंगामा किया. जबकि बच्चे को इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया गया.

जानवरों का इंजेक्शन होने की पुष्टि
जानवरों का इंजेक्शन होने की पुष्टि

जानवरों का इंजेक्शन होने की पुष्टि
पूरे मामले की जांच के लिए डयूटी पर तैनात चिकित्सक डाॅ.संजीव कुमार सिंह और डॉ.धनश्याम सुमन से मिलकर दवा का सैंपल दिखाया गया, तो उन्होंने बताया कि ये सुई पालतू कुत्ते को एक बाद दी जाती है. जिससे रेबीज से बचाव किया जाता है. साथ ही चिकित्सक ने बताया कि ये दवा अमूमन जो मेडिकल स्टोर जानवरों के दवा बेचते हैं. वैसे स्टॉकिस्ट के पास हो, तो ये जन औषधि केन्द्र में रखना भी गलत है.

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कानूनी कार्रवाई की मांग
घटना के बाद पीड़ित परिजनों ने सदर एसडीओ प्रतिभा रानी के कार्यालय पहुंचकर. आरोपी केंद्र संचालक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की. साथ ही बताया कि जन औषधि केन्द्र में जानवरों की दवा कहां से आई, ये जांच का विषय है.

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