ETV Bharat / state

कृषि मंत्री के दावों से उलट जमुई में यूरिया की किल्लत से किसान परेशान, कालाबाजारी का लगाया आरोप

जमुई में किसान यूरिया खाद (Urea Fertilizer) के लिए कभी इस ब्लॉक का तो कभी उस ब्लॉक का चक्कर लगा रहे हैं. सुबह 5 बजे से ही विस्कोमान भवन के सामने भीड़ लगने लगती है. लाइन में लोग शाम तक भूखे-प्यासे खड़े रहते हैं और फिर खाली हाथ लौटना पड़ता है. इनका आरोप है कि यूरिया की कालाबाजारी भी होती है, लेकिन कार्रवाई नहीं की जा रही है.

Jamui
Jamui
author img

By

Published : Sep 22, 2021, 8:17 PM IST

जमुई: बिहार सरकार के कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह (Amrendra Pratap Singh) भले ही कितना भी दावे करें कि प्रदेश में न तो यूरिया की कोई कमी नहीं है और न ही कालाबाजारी (Black Marketing of Urea) हो रही है, लेकिन जमुई (Jamui) में ऐसी दोनों शिकायतें सामने आई हैं. जिले में किसान यूरिया की किल्लत (Shortage of Urea) से परेशान हैं.

ये भी पढ़ें: कृषि मंत्री का दावा- ₹266 में मिल रहा 45 किलो यूरिया, कालाबाजारी का तो सवाल ही नहीं उठता

जमुई ब्लॉक अंतर्गत विस्कोमान भवन के सामने सुबह 5 बजे से ही कतारें लगनी शुरू हो जाती है. कोई खड़ा तो कोई थककर जमीन पर ही बैठ जाता है. इतने इंतजार के बाद भी अगर खाद मिल जाए तब तो फिर भी ठीक है, लेकिन आलम ये है कि सुबह से शाम तक वहां खड़े रहने के बाद उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ता है.

यूरिया की किल्लत से किसान परेशान

ईटीवी संवाददाता ने जब वहां मौजूद किसानों से इस बारे में पूछा तो उनका कहना था कि जिले के कई प्रखंडों का चक्कर लगाने के बाद वो लोग इस उम्मीद में जिला मुख्यालय के ब्लॉक में पहुंचे हैं कि शायद यहां खाद मिल जाए.

ये भी पढ़ें: जमुई में खाद नहीं मिलने से नाराज किसानों का फूटा गुस्सा, सड़क जाम कर घंटों किया हंगामा

किसान सुबह पांच बजे से ही लाइनें में लग जाते हैं. काउंटर खुलने के पहले हजारों की भीड़ हो जाती है. हद तो ये कि शाम तक लाइन में लगने के बाद भी आधे से कम किसानों को ही यूरिया मिल पाता है. बाकी को खाली हाथ ही घर लौटना पड़ता है. इनका कहना है कि कभी मशीन खराब होने की बात कही जाती है तो कभी खाद की कमी का बहाना बनाया जाता है.

वहां मौजूद किसी किसान ने बताया कि वह 4 दिन से यूरिया के लिए चक्कर लगा रहा है तो किसी ने एक सप्ताह और किसी ने 15 दिनों की बात बताई. कुछ किसानों ने बताया कि यूरिया की कालाबाजारी भी हो रही है. सरकारी दर 266 का है, लेकिन बाहर दुकानों में 500 से 600 रुपए में बेचा जा रहा है. तमाम शिकायतों के बावजूद प्रशासन की ओर से कार्रवाई नहीं हो रही है. नतीजा गरीब किसानों को भुगतना पड़ रहा है.

जमुई: बिहार सरकार के कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह (Amrendra Pratap Singh) भले ही कितना भी दावे करें कि प्रदेश में न तो यूरिया की कोई कमी नहीं है और न ही कालाबाजारी (Black Marketing of Urea) हो रही है, लेकिन जमुई (Jamui) में ऐसी दोनों शिकायतें सामने आई हैं. जिले में किसान यूरिया की किल्लत (Shortage of Urea) से परेशान हैं.

ये भी पढ़ें: कृषि मंत्री का दावा- ₹266 में मिल रहा 45 किलो यूरिया, कालाबाजारी का तो सवाल ही नहीं उठता

जमुई ब्लॉक अंतर्गत विस्कोमान भवन के सामने सुबह 5 बजे से ही कतारें लगनी शुरू हो जाती है. कोई खड़ा तो कोई थककर जमीन पर ही बैठ जाता है. इतने इंतजार के बाद भी अगर खाद मिल जाए तब तो फिर भी ठीक है, लेकिन आलम ये है कि सुबह से शाम तक वहां खड़े रहने के बाद उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ता है.

यूरिया की किल्लत से किसान परेशान

ईटीवी संवाददाता ने जब वहां मौजूद किसानों से इस बारे में पूछा तो उनका कहना था कि जिले के कई प्रखंडों का चक्कर लगाने के बाद वो लोग इस उम्मीद में जिला मुख्यालय के ब्लॉक में पहुंचे हैं कि शायद यहां खाद मिल जाए.

ये भी पढ़ें: जमुई में खाद नहीं मिलने से नाराज किसानों का फूटा गुस्सा, सड़क जाम कर घंटों किया हंगामा

किसान सुबह पांच बजे से ही लाइनें में लग जाते हैं. काउंटर खुलने के पहले हजारों की भीड़ हो जाती है. हद तो ये कि शाम तक लाइन में लगने के बाद भी आधे से कम किसानों को ही यूरिया मिल पाता है. बाकी को खाली हाथ ही घर लौटना पड़ता है. इनका कहना है कि कभी मशीन खराब होने की बात कही जाती है तो कभी खाद की कमी का बहाना बनाया जाता है.

वहां मौजूद किसी किसान ने बताया कि वह 4 दिन से यूरिया के लिए चक्कर लगा रहा है तो किसी ने एक सप्ताह और किसी ने 15 दिनों की बात बताई. कुछ किसानों ने बताया कि यूरिया की कालाबाजारी भी हो रही है. सरकारी दर 266 का है, लेकिन बाहर दुकानों में 500 से 600 रुपए में बेचा जा रहा है. तमाम शिकायतों के बावजूद प्रशासन की ओर से कार्रवाई नहीं हो रही है. नतीजा गरीब किसानों को भुगतना पड़ रहा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.