जमुईः देश की आजादी के लिए लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानी का परिवार आज मुफलिसी में गुजर-बसर कर रहा है. 1942 के आंदोलन से जुड़े रहे कमला मंडल बताते हैं कि उनकी उम्र 100 साल से अधिक हो गई है. जमुई जिला मुख्यालय से लगभग 15-16 किलोमीटर दूर खैरा प्रखंड अंतर्गत डुमरकोला गांव के रहने वाले कमला मंडल का परिवार आज भी गरीबी से जूझ रहा है. परिवार का खाना मिट्टी के चूल्हे पकता है.
उनके पास अब तक न तो घर है और ना ही शौचालय. परिवार आज भी मजदूरी करके जीवन-यापन करता है. ETV भारत को स्वतंत्रता सेनानी कमला मंडल ने अपना दुखड़ा सुनाया है. उन्होंने सरकार से किसानों और मजदूरों की आर्थिक सहायता करने की अपील की.
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1942 के आंदोलन से जुड़े रहे कमला
कमला बताते हैं कि वे 1942 के आंदोलन से जुड़े थे. उस दौरान उनका काम जमींदारों की कचहरी जलाना था. 1942 के आंदोलन में गांधी जी के आह्वान पर जमुई के साथियों के साथ संगठन बनाकर समाजवादी नेता स्वतंत्रता सेनानी कृष्णा सिंह के नेतृत्व में आंदोलन से जुड़े रहे थे. उनके साथ मथुरा पांडे, रांधी मांझी आदि क्रांतिकारी जुडे़ रहे. कमला आगे बताते हैं कि आंदोलन के दौरान कई साथी पकड़े गए, उन्हें जेल भी हुई. वे अंग्रेजों से बचने के लिये दिनभर छिपकर रहते थे. फिर रात में 11-12 बजे जमींदारों की कचहरी जलाने का काम करते थे.
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आज भी जीवित हैं कई स्वतंत्रता सेनानी
आज भी जिले में कई स्वतंत्रता सेनानी जीवित हैं. जीवित स्वतंत्रता सेनानियों को 26 जनवरी और 15 अगस्त के मौके पर कार्यक्रम के दौरान जिला प्रशासन के द्वारा प्रशस्ति पत्र, चादर देकर सम्मानित किया जाता है. देश और राज्य में हो रहे विकास पर उन्होंने कहा कि "विकास तो हो रहा है लेकिन, किसानों और मजदूरों की आर्थिक स्थिति आज भी खराब है. सरकार को उनकी सहायता करनी चाहिए.
वे आगे बताते हैं कि उनका एक भरा-पूरा परिवार है. करीब चार बीघा जमीन है. लेकिन फिर भी उनकी स्थिति खराब है. उनके 5 बेटें हैं, और उन्हें खाना के लिए पांचों बेटों ने पाली बांध रखी है. उन्हें सरकार से वास्तविक मदद की जरूरत है.