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बालगृह में मानसिक रूप से बीमार बच्चे ने जमकर मचाया उत्पात, लाखों का हुआ नुकसान - etv bihar news

जमुई में बालगृह में तोड़फोड़ (Demolition of children Home in Jamui) करने का मामला सामने आया है. मिली जानकारी के अनुसार मानसिक रूप से बीमार बच्चे ने बालगृह में तोड़फोड़ किया है. जिससे भारी नुकसान हुआ है. बच्चे ने हमले को दौरान बालगृह के अन्य बच्चों पर हमला करने के साथ-साथ खुद को भी घायल कर लिया...

बालगृह में तोड़फोड़
बालगृह में तोड़फोड़
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Published : Jun 1, 2022, 8:33 PM IST

जमुई: बिहार के जमुई में बालगृह (Children Home in Jamui) में मानसिक रूप से बीमार बच्चे ने जमकर तोड़फोड़ किया. समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित बालगृह में मंगलवार की देर रात उसने जमकर तोड़फोड़ की. इस दौरान मानसिक रूप से बीमार बच्चे ने बालगृह में रखे तीन कंप्यूटर, लैपटॉप, कुर्सी, टेबल, जिम का सामान सहित आलमीरा और अन्य सामानों को तोड़ डाला.

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बालगृह में तोड़फोड़: बताया जा रहा है कि 17 वर्षीय मनोज सोरेन मानसिक रूप से बीमार है. मंगलवार की देर रात सामानों को तोड़फोड़ करने के दौरान जब बालगृह के सुपरवाइजर उसे रोकना चाहा, तो बच्चे ने लोहे की कुर्सी से उन पर भी हमला बोल दिया. हालांकि सुपरवाइजर बाल-बाल बच गया. ऐन वक्त पर टाउन थाने की पुलिस पहुंच गई और कड़ी मशक्कत के बाद बच्चे को कब्जे में लिया. तोड़फोड़ के दौरान मनोज सोरेन ने खुद को भी गंभीर रूप से घायल कर लिया. जिसे पुलिस ने इलाज के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया है. डॉक्टर ने मानसिक रूप से बीमार इस बच्चे को बेहतर इलाज के लिए पीएमसीएच रेफर कर दिया है.

'इस घटना में दस लाख की क्षति पहुंची है. बालगृह में फिलहाल 15 बच्चे रह रहे हैं, लेकिन मनोज के मानसिक स्थिति को देखते हुए उसे बालगृह के पहले तल्ले के मेडिकल रूम में रखा गया था. अन्य बच्चों को उसके ऊपर तल्ले के कमरे में रखा गया है. डॉक्टर के सलाह पर मनो चिकित्सक से इलाज के लिए उसे पटना भेजा गया है. वो पहले भी दो बार हमला कर चुका है.' - वासुदेव कश्यप, जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी

मानसिक रूप से बीमार लड़का घायल: गौरतलब है कि मनोज सोरेन इसके पहले भी बालगृह में रह रहे बच्चों पर हिंसक हमला कर चुका है. प. बंगाल के मेदनीपुर निवासी भानु सोरेन का 17 वर्षीय पुत्र मनोज सोरेन को 7 दिसंबर 2021 को लखीसराय बाल संरक्षण इकाई ने जमुई स्थित बालगृह में भेजा था. इस छह महीने के दौरान मनोज ने दो बार बालगृह में रह रहे बच्चों पर हमला कर चुका है.

मानसिक रूप से बच्चे का चल रहा है इलाज: बच्चों पर हमले के दौरान उसने सामानों को नुकसान पहुंचाया था. जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी बताते हैं कि प्रथम दृष्टया मनोज की उम्र 18 वर्ष से अधिक लगती है. लेकिन लखीसराय बाल संरक्षण इकाई द्वारा 17 वर्ष का नाबालिग बताकर इसे भेजा गया है. उन्होंने इस बात की जानकारी विभागीय पदाधिकारी को भी दिया है. बता दें कि बालगृह में अनाथ, बेसहारा, परित्यक्त, भूले-भटके और बाल श्रम से मुक्त कराए बच्चों को रखा जाता है.

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बालगृह में तोड़फोड़: बताया जा रहा है कि 17 वर्षीय मनोज सोरेन मानसिक रूप से बीमार है. मंगलवार की देर रात सामानों को तोड़फोड़ करने के दौरान जब बालगृह के सुपरवाइजर उसे रोकना चाहा, तो बच्चे ने लोहे की कुर्सी से उन पर भी हमला बोल दिया. हालांकि सुपरवाइजर बाल-बाल बच गया. ऐन वक्त पर टाउन थाने की पुलिस पहुंच गई और कड़ी मशक्कत के बाद बच्चे को कब्जे में लिया. तोड़फोड़ के दौरान मनोज सोरेन ने खुद को भी गंभीर रूप से घायल कर लिया. जिसे पुलिस ने इलाज के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया है. डॉक्टर ने मानसिक रूप से बीमार इस बच्चे को बेहतर इलाज के लिए पीएमसीएच रेफर कर दिया है.

'इस घटना में दस लाख की क्षति पहुंची है. बालगृह में फिलहाल 15 बच्चे रह रहे हैं, लेकिन मनोज के मानसिक स्थिति को देखते हुए उसे बालगृह के पहले तल्ले के मेडिकल रूम में रखा गया था. अन्य बच्चों को उसके ऊपर तल्ले के कमरे में रखा गया है. डॉक्टर के सलाह पर मनो चिकित्सक से इलाज के लिए उसे पटना भेजा गया है. वो पहले भी दो बार हमला कर चुका है.' - वासुदेव कश्यप, जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी

मानसिक रूप से बीमार लड़का घायल: गौरतलब है कि मनोज सोरेन इसके पहले भी बालगृह में रह रहे बच्चों पर हिंसक हमला कर चुका है. प. बंगाल के मेदनीपुर निवासी भानु सोरेन का 17 वर्षीय पुत्र मनोज सोरेन को 7 दिसंबर 2021 को लखीसराय बाल संरक्षण इकाई ने जमुई स्थित बालगृह में भेजा था. इस छह महीने के दौरान मनोज ने दो बार बालगृह में रह रहे बच्चों पर हमला कर चुका है.

मानसिक रूप से बच्चे का चल रहा है इलाज: बच्चों पर हमले के दौरान उसने सामानों को नुकसान पहुंचाया था. जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी बताते हैं कि प्रथम दृष्टया मनोज की उम्र 18 वर्ष से अधिक लगती है. लेकिन लखीसराय बाल संरक्षण इकाई द्वारा 17 वर्ष का नाबालिग बताकर इसे भेजा गया है. उन्होंने इस बात की जानकारी विभागीय पदाधिकारी को भी दिया है. बता दें कि बालगृह में अनाथ, बेसहारा, परित्यक्त, भूले-भटके और बाल श्रम से मुक्त कराए बच्चों को रखा जाता है.

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